India Wealth Inequality: देश में 65 पर्सेंट पैसा सिर्फ 10 पर्सेंट लोगों के पास तो 40 पर्सेंट दौलत का आंकड़ा उड़ा देगा होश, समझें पूरा गुणा-गणित
India Wealth Inequality: वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आर्थिक असमानता काफी बढ़ चुकी है. देश का 65% पैसा सिर्फ 10% लोगों के पास है. आइए समझते हैं पूरा गणित.

India Wealth Inequality: भारत में आर्थिक असामान्यता ऐसे लेवल पर पहुंच गई है कि अब यह देश दुनिया के सबसे ज्यादा आसमान देशों में से एक बन गया है. हाल ही में आई वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अमीर लोग और बाकी आबादी के बीच खाई चौड़ी होती जा रही है. इससे पता चलता है कि 10% भारतीयों का देश की कुल संपत्ति के 65% पर कंट्रोल है. भारत देश के निचले 50% हिस्से के पास सिर्फ 6.4% संपत्ति है. यह अंतर असंतुलन को दर्शाता है और साथ ही यह भी बताता है कि हाल के दशकों में संपत्ति कैसे तेजी से ऊपर के लोगों के पास जमा हुई है.
टॉप वन प्रतिशत लोगों की संपत्ति में बढ़ोतरी
रिपोर्ट में पता लगा है कि टॉप 1% लोगों की संपत्ति के हिस्से में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है. इनके पास अब देश की 40.1% संपत्ति है. यह आंकड़ा 1961 के बाद से रिकॉर्ड किया गया सबसे ऊंचा लेवल है. इसी के साथ उनकी इनकम का हिस्सा भी बढ़कर 22.6% हो गया है. इससे एक स्ट्रक्चरल बदलाव देखने को मिलता है, जिसमें यह पता लग रहा है की संपत्ति लगातार उन लोगों की तरफ बह रही है जो पहले से ही टॉप पर है.
यह असमानता खासकर 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण के बाद से और ज्यादा गहरी हो चुकी है. यह एक ऐसा दौर था जब तेजी से हुई ग्रोथ से आम नागरिक की तुलना में बड़ी कंपनी, संपत्ति मालिक और ज्यादा इनकम वालों को काफी ज्यादा फायदा हुआ. हालांकि भारत की जीडीपी बढ़ी है लेकिन उस ग्रोथ का डिस्ट्रीब्यूशन तेजी से असंतुलित हो गया है.
कैसे टॉप 40% लोग हर चीज पर कंट्रोल करते हैं
देश के टॉप 40% लोगों के पास देश के लगभग पूरी संपत्ति है. जिससे बाकी 60% आबादी के लिए 10% से भी कम संपत्ति बचती है. यही वजह है कि गरीब तबके के लोगों के लिए कम इनकम और कम बचत के चक्र से बाहर निकालना काफी मुश्किल है. इस तरह का डिस्ट्रीब्यूशन पैटर्न देश की बढ़ती वैश्विक आर्थिक स्थिति के बावजूद भी आबादी के ज्यादातर हिस्से को वित्तीय सुरक्षा के लिए संघर्ष करने पर मजबूर करता है.
लैंगिक असमानता का बढ़ता खतरा
रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला पहलू सामने आया है. लगातार लैंगिक असमानता बढ़ती जा रही है. आर्थिक विकास के बावजूद भी महिलाओं की लेबर फोर्स में भागीदारी सिर्फ 15.7% है. यह दुनिया में सबसे कम में से एक है. यह आंकड़ा पिछले एक दशक में काफी मुश्किल से ही बदला है. इसका सीधा सा मतलब है कि देश की आधी आबादी बड़े पैमाने पर औपचारिक आर्थिक भागीदारी से बाहर है. कम अवसर, कम इनकम पर काफी कम संपत्ति के मालिकाना हक की वजह से महिलाएं बड़े पैमाने पर असमानता के संकट से प्रभावित होती हैं.
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Source: IOCL
























