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New Labour Laws: नए लेबर कोड से कितनी कम हो जाएगी इन हैंड सैलरी, ये वाली कैलकुलेशन समझते हैं आप?

New Labour Laws: नए लेबर कोड के तहत कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, उनकी CTC का कम से कम 50 फीसदी होना जरूरी है. इससे उनका पीएफ और ग्रेच्युटी कंट्रीब्यूशन ज्यादा होगा.

New Labour Laws: भारत सरकार ने 29 साल पुराने श्रम कानूनों में चार नए कोड्स को शामिल किया है. 21 नंवबर, 2025 को नए नेबल कोड्स का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है, जिसके बाद कंपनियों को अपने सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव करना होगा. सरकार की ओर से लागू किए गए लेबर कोड्स में सोशल सिक्योरिटी पर ज्यादा ध्यान दिया गया है, लेकिन कर्मचारियों का इसका एक नुकसान भी हो सकता है, जैसे-उनकी टेक होम या इन-हैंड सैलरी कम हो सकती है. 

दरअसल, नए लेबर कोड के तहत कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, उनकी CTC का कम से कम 50 फीसदी होना जरूरी है. अभी तक कंपनियां अपने कर्मचारियों का बेसिक पे कम रखकर उनके अलाउंस बढ़ा देती थीं, जिसमें एचआरए, डीए वगैरह शामिल होते थे. ऐसा करने से कर्मचारियों का पीएफ और ग्रेच्युटी कंट्रीब्यूशन कम हो जाता था और उनकी टेक होम सैलरी ज्यादा होती थी. अब समझते हैं नए लेबर कोड में किस तरह के बदलाव किए गए हैं और उससे टेक होम सैलरी कितनी कम हो जाएगी. 

क्यों लाए गए नए लेबर कोड?

नए लेबर कोड को लागू करने का मकसद कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है. बेसिक सैलरी को सीटीसी का 50 फीसदी करने का मकसद यह है कि पीएफ और ग्रेच्युटी में उनका कंट्रीब्यूशन बढ़ेगा, जिससे रिटायरमेंट के समय उनके पास एक मजबूत फंड मौजूद होगा. इससे कर्मचारियों को लॉन्ग टर्म बेनिफिट्स तो मिलेंगे, लेकिन मौजूदा समय में उनकी जेब पर बोझ बढ़ सकता है. 

इस तरह समझें पूरी कैलकुलेशन

मान लेते हैं कि किसी कर्मचारी की CTC 50000 रुपये है. इसमें उसकी बेसिक सैलरी 15 से 20 हजार रुपये के बीच होती है. इस पर 12 फीसदी पीएफ कंट्रीब्यूशन कटता है, जो 1800 से 2400 रुपये के बीच होता है. अब नए लेबर कोड लागू होने से कंपनियों को अपने कर्मचारी को सीटीसी का 50 फीसदी बेसिक सैलरी देनी होगी. 50 हजार CTC के हिसाब से यह 25 हजार हो जाती है. इस पर पीएफ कंट्रीब्यूशन 3000 रुपये हो जाएगा, जो 1200 से लेकर 600 रुपये तक ज्यादा है. इससे रिटायमेंट सेविंग बढ़ेगी, लेकिन टेक होम सैलरी से 1200 रुपये अधिक कटेंगे. इसी तरह ग्रेच्युटी भी टेक होम सैलरी पर कटेगी. 

यह भी पढ़ें: राजनाथ सिंह ने किया सिंध वापस लेने का दावा, क्या रक्षा मंत्री के आदेश पर तीनों सेनाएं कर सकती हैं हमला?

प्रांजुल श्रीवास्तव एबीपी न्यूज में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. फिलहाल फीचर डेस्क पर काम कर रहे प्रांजुल को पत्रकारिता में 9 साल तजुर्बा है. खबरों के साइड एंगल से लेकर पॉलिटिकल खबरें और एक्सप्लेनर पर उनकी पकड़ बेहतरीन है. लखनऊ के बाबा साहब भीम राव आंबेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का 'क, ख, ग़' सीखने के बाद उन्होंने कई शहरों में रहकर रिपोर्टिंग की बारीकियों को समझा और अब मीडिया के डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं. प्रांजुल का मानना है कि पाठक को बासी खबरों और बासी न्यूज एंगल से एलर्जी होती है, इसलिए जब तक उसे ताजातरीन खबरें और रोचक एंगल की खुराक न मिले, वह संतुष्ट नहीं होता. इसलिए हर खबर में नवाचार बेहद जरूरी है.

प्रांजुल श्रीवास्तव काम में परफेक्शन पर भरोसा रखते हैं. उनका मानना है कि पत्रकारिता सिर्फ सूचनाओं को पहुंचाने का काम नहीं है, यह भी जरूरी है कि पाठक तक सही और सटीक खबर पहुंचे. इसलिए वह अपने हर टास्क को जिम्मेदारी के साथ शुरू और खत्म करते हैं. 

अलग अलग संस्थानों में काम कर चुके प्रांजुल को खाली समय में किताबें पढ़ने, कविताएं लिखने, घूमने और कुकिंग का भी शौक है. जब वह दफ्तर में नहीं होते तो वह किसी खूबसूरत लोकेशन पर किताबों और चाय के प्याले के साथ आपसे टकरा सकते हैं.

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