पाकिस्तान में कैसे होता है हिंदुओं का अंतिम संस्कार, किन चीजों का करना पड़ता है इंतजार?
पाकिस्तान में हिंदू धर्म के लोगों के लिए कराची के उपनगर ल्यारी में हिंदुओं का सबसे बड़ा शमशान घाट बना है. इसके अलावा पाकिस्तान सरकार ने कुछ जिलों में हिंदुओं को अंतिम संस्कार के लिए जमीन दी हुई है.

पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं की स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है. कई रिपोर्ट्स में पाकिस्तान में मौजूद अल्पसंख्यकों की बुरी हालत के बारे में भी बताया गया है. जिसमें धर्म परिवर्तन से लेकर सामाजिक प्रताड़ना जैसे मुद्दे शामिल है. ऐसे में कई बार सवाल यह भी उठाया जाता है कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू धर्म के लोग अंतिम संस्कार कैसे करते हैं. क्या वहां भी श्मशान घाट है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पाकिस्तान में हिंदुओं का अंतिम संस्कार कैसे होता है और किन चीजों का लंबा इंतजार करना पड़ता है.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत खराब बताई जाती है. वहीं हिंदू समुदाय वहां सबसे ज्यादा प्रताड़ना झेलता है. पाकिस्तान में हिंदू धर्म के लोगों के लिए कराची के उपनगर ल्यारी में हिंदुओं का सबसे बड़ा शमशान घाट बना हुआ है. इसके अलावा पाकिस्तान सरकार ने कुछ जिलों में हिंदुओं को अंतिम संस्कार के लिए जमीन दी हुई है. लेकिन कराची समेत कई शहरों में रहने वाले हिंदू शमशान घाटों पर अंतिम संस्कार नहीं कर पाते हैं. जिसकी बड़ी वजह अंतिम संस्कार के सामान की बड़ी कमी और महंगाई बताई जाती है. इस कारण कई बार हिंदू समुदाय के लोग पाकिस्तान में लोगों को जलाने की बजाय दफनाते हैं. पाकिस्तान में हिंदुओं के अलावा अन्य धर्म के लोग भी अंतिम संस्कार को लेकर परेशान रहते हैं. कई रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सरकार ने भले ही इसाई, पंजाबी और हिंदू धर्म के लोगों को कुछ जिलों में अंतिम संस्कार के लिए जमीनी दी हो लेकिन आबादी के हिसाब से यह जगह बहुत कम है. वहीं कई इलाकों में यह जगह इतनी दूर है की शव को वहां ले जाना भी मुश्किल होता है. पाकिस्तान में दाह संस्कार की सामग्री भी आसानी से नहीं मिलती है. इसके अलावा लकड़ी, घी और अन्य जरूरी चीजें महंगी है, जिसके चलते हिंदू परिवार शवों को जलाने की बजाय दफनाते हैं.
पाकिस्तान में हिंदुओं को कैसे दफनाया जाता है?
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोग इस शव को मुसलमानों की तरह नहीं दफनाते हैं. पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू शव को बैठने की मुद्रा यानी ध्यान की मुद्रा में दफनाते हैं. इसके लिए कब्र जैसी जगह नहीं बल्कि एक गड्ढा खोदा जाता है और उसके ऊपर शंकु के आकार की समाधि बना दी जाती है.
पाकिस्तान में अस्थि विसर्जन को लेकर मुश्किलें
भारत में हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद अस्थियों का गंगा नदी में विसर्जन होता है. मगर पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदाय को इसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. वहां जिन लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है उनकी अस्थियां वहीं की नदियों में विसर्जित की जाती है. हालांकि कई हिंदू परिवारों की इच्छा होती है कि उनके पूर्वजों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित हो. इसके लिए उन्हें लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, क्योंकि पाकिस्तान से अस्थियां भारत लाने की अनुमति जल्दी नहीं मिलती है. वहीं हाल ही में पाकिस्तान से 400 से ज्यादा अस्थि कलश भारत लाए गए थे. जिनका हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जन किया गया था. ये अस्थियां अटारी बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंची थीं. कराची के श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत के अनुसार यह अस्थियां करीब 8 साल से पाकिस्तान में रखी हुई थी. जब अस्थियों की संख्या बढ़ जाती है, तब उन्हें भारत लाकर गंगा में विसर्जित किया जाता है. भारत और पाकिस्तान बंटवारे के बाद अब तक तीन बार अस्थियों को भारत लाया जा चुका है इससे पहले 2011 और 2016 में भी ऐसा हुआ था.
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