छुट्टी के दौरान मौत होने पर क्या जवानों को शहीद का दर्जा मिलता है? जान लीजिए जवाब
Which Soldiers Get Martyr Status: पहलगाम आतंकी हमले में सेना के दो जवान की भी मौत हो गई है. वो दोनों जवान परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए गए थे. ऐसे में क्या उनको शहीद का दर्जा मिल सकता है.

पहलगाम हमले में जिन 26 मासूमों की मौत हुई है, उनमें नौसेना के अधिकारी विनय नरवाल और भारतीय वायुसेना के कार्पोरल टागे हैलियांग की भी मौत हो गई है. हैलियांग अपनी पत्नी के साथ पहलगाम घूमने गए थे. सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने पहले उनका धर्म पूछा और फिर गोली मार दी. वहीं विनय नरवाल नौसेना में अधिकारी थे और कोच्चि में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात थे. वह भी अपनी पत्नी के साथ पहलगाम घूमने के लिए गए थे. ऐसे में एक सवाल यह भी है कि क्या सेना के जवानों की छुट्टी के दौरान मौत हो जाने पर उनको शहीद का दर्जा मिलता है या नहीं. चलिए जानें.
कौन नहीं कहलाते हैं शहीद
सेना के वो जवान जो किसी दुश्मन देश के साथ युद्ध या फिर आतंकवादी, उग्रवादी या फिर नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान संघर्ष में मारे गए सैनिक ही शहीद कहलाते हैं. उन्हीं को शहीद का दर्जा दिया जाता है और उन्हीं के परिजनों को आर्थिक सहायता का पैकेज मिलता है. इसके लिए भी सेना मुख्यालय ये बैटल कैजुअल्टी प्रमाण पत्र और पैरा मिलिट्री फोर्सेज के अभिलेख कार्यालय से ऑपरेशन कैजुअल्टी प्रमाण पत्र का होना जरूरी होता है.
नियम के अनुसार अन्य कारणों से मरने वाले सैनिकों को न तो शहीद का दर्जा मिलता है और न ही कोई पैकेज. यदि कोई सैनिक बीमारी, आत्महत्या, दुर्घटना, करंट लगने या फिर किसी अन्य कारणों से मरा है तो नियमों के तहत उनको शहीद का दर्जा नहीं मिल सकता है.
शहीदों को क्या सुविधाएं मिलती हैं
देश में सेना के जवान की मृत्यु के बाद आम भाषा में उसको शहीद भी कहा जाता है. लेकिन सेना के जिन जवानों को शहीद का दर्जा मिलता है उनको अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं. इन सुविधाओं में मकान या जमीन, गैस एजेंसी या फिर पेट्रोल पंप, शहीद की पत्नी को पूरा वेतन, शहीद के परिवार वालों को हवाई और रेल के किराए में 50 प्रतिशत की छूट और राज्य सरकार की ओर से आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी समेत और भी सुविधाएं मिलती हैं.
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