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यहां दुश्मनों मारने के बाद दिमाग निकालकर खा जाते थे इंसान, वैज्ञानिकों ने खोज लिए बिना खोपड़ी वाले कंकाल!

People Eat Human Brains: कुछ वक्त पहले साइंटिफिक रिपोर्ट्स में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट में ऐसा पाया गया है कि आज से हजारों साल पहले दुनिया में दुश्मनों को मारकर उनके दिमाग क खाया जाता था.

आपने बहुत सारे नरभक्षियों की कहानी सुनी होंगी, जो कि इंसानों को मारने के बाद उनको खा जाते थे. कई फिल्मों में भी आपने ऐसा देखा होगा, लेकिन क्या आप यह सोच सकते हैं कि कोई इंसान किसी को मारकर उसका दिमाग खा सकता है? जी हां ऐसा सच है. दुनिया में लोगों ने दुश्मनों को मारने के बाद उसका दिमाग निकालकर भी खाया है. वैज्ञानिकों की मानें तो करीब 18000 साल पहले यानि आइस एज में यूरोप में रहने वाले कुछ लोग भी ऐसा करते थे. हाल ही में वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे ही बिना खोपड़ी वाले कंकाल भी खोज निकाले हैं. चलिए इसके बारे में विस्तार से जानें. 

आखिर कहां दिमाग खा जाते थे लोग

कुछ वक्त पहले साइंटिफिक रिपोर्ट्स में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट की मानें तो पोलैंड की मस्जिका गुफा में मैग्डालेनियन नाम के ग्रुप ने अपने मरे हुए दुश्मनों के दिमाग को खाया होगा. शोधकर्ताओं ने मैग्डालेनियन संस्कृति के कम से कम 10 लोगों की हड्डियों की जांच की जो कि 11,000-17,000 साल पहले यूरोप में रहते थे. इमेजिंग टेक्निक का इस्तेमाल करते हुए, फ्रांस, स्पेन और पोलैंड के संस्थानों के शोधकर्ताओं की टीम ने उन निशानों और कटों की पहचान की जो कि लंबी हड्डियों में मज्जा और खोपड़ी में मस्तिष्क को निकालने से जुड़े हुए थे. कई अन्य स्टडीज से पता चला है कि मैग्डालेनियाई लोगों में नरभक्षण अपेक्षाकृत आम था.

कैसे हुई इसकी पहचान

जब वैज्ञानिकों की एक टीम ने 19वीं शताब्दी में हड्डियों और जानवरों के अवशेषों का अध्ययन किया. जो 10 लोग थे, उसमें से छह वयस्क थे औक चार बच्चे शामिल थे. उनके अवशेषों में कट और टूट-फूट के निशान थे. रिसर्च के दौरान इन स्कैल्टन पर खोपड़ी की स्किन को हटाने और कान के काटने के भी संकेत मिले हैं.इस खोज से पता चलता है कि वहां के लोगों ने बाहरी लोगों को मारने के बाद उनके शवों को काटा और उसका इस्तेमाल किया है. वहीं कुछ कंकाल ऐसे भी थे, जो कि सम्मानपूर्वक दफना दिए गए थे, वहीं कुछ के टुकड़े करके उसको जानवरों के अवशेषों के साथ फेंक दिया गया था. 

हड्डियों से बनाए औजार

वैसे तो मैग्डालेनियनों के बारे में जानकारी बहुत कम ही है, लेकिन दशकों से इस पर अध्ययन चल रहा है, जिससे पता चलता है कि उनकी परंपराओं में अंतिम संस्कार भी प्रक्रिया भी शामिल है. लेकिन शवों से मांस निकालना और अलग करना और हड्डियों का इस्तेमाल औजारों के लिए करना शामिल है. कुछ स्टडी में यह भी सामने आया है कि यहां के लोगों ने खोपड़ी का इस्तेमाल कप बनाने, गहने बनाने और कच्चे माल के लिए भी इंसानी हड्डियों का इस्तेमाल किया है. 

क्यों शुरू हुआ नरभक्षण

इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने तो रिसर्च पेपर में भी इस बात को लिखा है कि कुछ नमूनों से स्किन और मांस को हटाकर उससे सजावटी सामान भी बनाया गया है. वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि आइस एज के बाद जनसंख्या बढ़ाने के लिए संसाधनों के जुटाने पर काम शुरू किया गया. यही वजह रही कि युद्ध और इंसानों को खाने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिला. 

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