Dharmendra Death: सिद्धू मूसेवाला की तरह ही हुई थी धर्मेंद्र के भाई की हत्या, घेरकर मारी गई थीं कई गोलियां
Dharmendra Death: बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हो गया है. मुंबई के विले पार्ले श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. आइए जानें कि धर्मेंद्र के भाई की हत्या कैसे हुई थी.

Dharmendra Death: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे. बीमारी के चलते 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है. कुछ दिन पहले तबीयत में अचानक गिरावट आने के बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन फिर तबीयत में कुछ सुधार के बाद वे घर आ गए थे. लेकिन आज उनका निधन हो गया.
यहां आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि धर्मेंद्र के भाई के बारे में, जिनका नाम वीरेंद्र था. वीरेंद्र की हत्या बिल्कुल उसी तरह से की गई थी, जैसे कि सिद्धू मूसेवाला को मारा गया था. आइए इस बारे में जानें.
पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री का जाना-माना नाम थे वीरेंद्र
कहा जाता है कि शोहरत की रोशनी कभी-कभी अपने ही साये से खतरनाक हो उठती है. धर्मेंद्र के भाई वीरेंद्र की जिंदगी और मौत इसका सबूत हैं. पंजाब के मशहूर अभिनेता वीरेंद्र सिंह देओल, जिन्हें लोग प्यार से पंजाब का धर्मेन्द्र भी कहते थे. लंबे कद, मजबूत कद-काठी और बड़ी स्क्रीन पर दमदार मौजूदगी ने उन्हें 1970 से 1988 तक पंजाबी फिल्मों का एक जाना-माना नाम बना दिया था. पर वही शोहरत अंततः उनकी कमजोरी भी बन गई.
बेहज सफल कलाकार थे धर्मेंद्र के भाई
वीरेंद्र की फिल्मी यात्रा बेहद सफल रही. उन्होंने करीब पच्चीस पंजाबी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें धर्म जीत, तेरी मेरी एक जिंदड़ी, कुंवारा मामा और रांझा मेरा यार जैसी फिल्में खास तौर पर याद रखी जाती हैं. दर्शकों ने उन्हें तुरंत अपनाया, निर्देशक और प्रोड्यूसर उन्हें हिट मानते थे. सफलता ऐसे दौर में आई, जब पंजाबी सिनेमा अपने पांव जमा रहा था, और वीरेंद्र उस उभरते सितारे की तरह चमके जो हर किसी की निगाहें खींच ले.
कैसे हुइ धर्मेंद्र के भाई की हत्या
मगर 6 दिसंबर 1988 का दिन इस कहानी का भयावह मोड़ बनकर आया. वीरेंद्र उस वक्त अपने एक प्रोजेक्ट फिल्म ‘जट ते जमीन’ की शूटिंग में व्यस्त थे. सेट पर हंसी-खुशी, कैमरों की रोशनी और कलाकारों की चहल-पहल थी, अचानक सूनी हवा की तरह चुप्पी टूट गई. कुछ अज्ञात लोगों ने शूटिंग सेट पर घेरकर गोलीबारी शुरू कर दी. वीरेंद्र पर अंधाधुंध गोलियों की बौछार हुई और वे वहीं ढह गए. घटनास्थल पर पुलिस के पहुंचने से पहले ही उनकी जान जा चुकी थी.
शोहरत से हुई थी जलन
कहा जाता है कि वीरेंद्र की बढ़ती शोहरत ने कुछ लोगों में जलन जगाई, यही जलन और प्रतिद्वंदिता उन्हें नुकसान पहुंचाने वाली वजहों में गिनी जाती है. हालांकि मामले के हर पहलू पर सेना-सी राजदारी और स्थानीय स्थितियों का असर था, पर असलियत यह है कि एक चमकते सितारे की चमक ने उसे घातक साजिशों के बाजार में लाकर खड़ा कर दिया था.
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Source: IOCL
























