DGCA के नए रूल्स का Indigo पर ही क्यों हुआ असर, Air India और Spicejet जैसी एयरलाइंस ने इसे कैसे किया मैनेज?
DGCA Rules For Airlines: DGCA के नियम तो सभी के लिए एक समान बदले, लेकिन असर सिर्फ उस एयरलाइन पर दिखा जिसके ऑपरेशन सबसे ज्यादा आक्रामक थे. आइए जानें कि ऐसा आखिर क्यों हुआ.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इस वक्त ऐसे संकट में फंसी है, जिसकी कल्पना उसने भी नहीं की थी. DGCA के नए weekly rest और night-duty नियम लागू होते ही इसका पूरा ऑपरेशनल ढांचा डगमगा गया और हजारों यात्री अचानक फंसे रह गए. हैरानी की बात यह है कि वही नियम अन्य एयरलाइंस पर लगभग बेअसर रहे. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि आखिर इंडिगो ही क्यों चरमराई, जबकि एयर इंडिया, स्पाइसजेट और बाकी कंपनियों ने हालात को आसानी से संभाल लिया? इसी रहस्य को आज हम विस्तार से समझते हैं,
DGCA नियम लागू हुए, पर झटका सिर्फ इंडिगो को क्यों लगा?
DGCA के नए नियमों के बाद इंडिगो का नेटवर्क जिस तरह लड़खड़ाया, उसकी वजह सिर्फ एक नहीं बल्कि कई परतों में छिपी है. कागज पर नियम सभी एयरलाइंस पर बराबर लागू हुए लेकिन असर सबसे ज्यादा इंडिगो ने महसूस किया, क्योंकि उसका ऑपरेशन पूरे देश में एक बारीक धागे की तरह जुड़ा हुआ है. किसी एक सेक्टर में देरी हुई तो प्रभाव सीधे देश के दूसरे छोर तक पहुंच गया.
इंडिगो सबसे बड़े घरेलू नेटवर्क के साथ चलता है और उसका ऑपरेशन ‘हाइपर यूज’ मॉडल पर आधारित है. यानी हर विमान और हर क्रू को अधिकतम उपयोग में लाना. ऐसे में नए आराम नियमों और रात की उड़ानों पर लगी पाबंदियों ने उसके पूरे रोस्टर को लगभग तोड़कर रख दिया.
इंडिगो की रणनीति कहां फिसली?
सबसे बड़ा झटका इंडिगो को इसलिए लगा क्योंकि उसका ढांचा बाकी एयरलाइंस की तुलना में कहीं अधिक सघन और दबावपूर्ण था. घरेलू उड्डयन बाजार का लगभग 60% हिस्सा अकेले इंडिगो संभालता है. इतने बड़े नेटवर्क को चलाने के लिए जिस अतिरिक्त क्रू और बैकअप टीम की जरूरत होती है, वह कंपनी ने समय रहते नहीं बढ़ाई.
रात की उड़ानों और कनेक्टिंग पैटर्न में भी इंडिगो सबसे आगे है. DGCA ने रात में ड्यूटी और ‘रेड-आई’ ऑपरेशंस पर सख्ती की तो कंपनी को अतिरिक्त पायलट चाहिए थे, लेकिन इतने बड़े स्केल को संभालने लायक स्टाफ उपलब्ध ही नहीं था.
सबसे बड़ा झटका इसके ‘लीन स्टाफिंग’ मॉडल से मिला कम कर्मचारी, ज्यादा उड़ानें. यह फॉर्मूला तब तक कारगर था जब तक नियम पुराने थे. नए नियम आते ही हर उड़ान के साथ जुड़ी तीन-चार अगली उड़ानें भी प्रभावित होने लगीं और एक-एक करके पूरा सिस्टम जाम हो गया.
एयर इंडिया और स्पाइसजेट कैसे बच गईं?
इंडिगो जहां रोस्टर की कमी से जूझ रही थी, वहीं एयर इंडिया, विस्तारा, स्पाइसजेट और अकासा जैसी एयरलाइंस पहले ही अपने क्रू प्लानिंग को नए नियमों के मुताबिक एडजस्ट कर चुकी थीं. इन एयरलाइंस का नेटवर्क अपेक्षाकृत छोटा है और वे ‘ओवर-यूटिलाइजेशन’ मॉडल पर निर्भर नहीं रहतीं हैं. कम फ्लाइटें, ज्यादा बैकअप और पहले से किए गए रोस्टर सुधार ने उन्हें इस बदलाव को सहजता से संभालने में मदद दी.
इसी वजह से जिन नियमों ने इंडिगो को हिला दिया, वही नियम दूसरी कंपनियों के लिए सिर्फ एक सामान्य प्रशासनिक बदलाव बनकर रह गए.
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Source: IOCL






















