Japanese Bowing: जापान में लोग झुक कर क्यों करते हैं अभिवादन, कहां से शुरू हुई यह परंपरा
Japanese Bowing: जापान में अभिवादन करने के लिए लोग एक दूसरे से हाथ नहीं मिलने बल्कि वे झुक कर अभिवादन करते हैं. आइए जानते हैं कहां से शुरू हुई यह परंपरा.

Japanese Bowing: अगर आप जापान जाना चाहते हैं तो सबसे पहले जिन चीजों पर आपका ध्यान जाएगा उनमें से एक है कि वहां पर एक दूसरे से मिलते वक्त लोग हाथ नहीं मिलते. इसके बजाय वे झुककर अभिवादन करते हैं. उनका यह तरीका जापानी संस्कृति में इतना स्वाभाविक और गहराई से जुड़ा हुआ है कि बिना कुछ कहे ही इसे समझा जा सकता है. झुक कर अभिवादन करने को ओजिगी कहा जाता है. आइए जानते हैं कहां से शुरू हुई यह परंपरा.
सम्मान और विनम्रता के तौर पर झुकना
जापानी संस्कृत में सिर झुकाना विनम्रता को दर्शाता है. सिर को शरीर के सबसे जरूरी और पवित्र हिस्से के रूप में पहचाना जाता है. इस वजह से सिर झुकाना यह संकेत देता है कि कोई व्यक्ति सम्मान दे रहा है और दूसरे व्यक्ति के सामने खुद को छोटा कर रहा है. अब चाहे किसी भी सहकर्मी का अभिवादन करना हो या फिर किसी दोस्त को धन्यवाद देना हो झुकना शिष्टाचार को दर्शाता है.
जापान की संस्कृति
जापान की सांस्कृतिक संरचना सामाजिक सद्भाव को काफी ज्यादा महत्व देती है. यही वजह है कि झुकना इस मानसिकता के साथ पूरी तरह से मेल खाता है. इतना ही नहीं बल्कि कितना झुकना है यह भी लोगों के बीच संबंध के आधार पर बदलता है. उच्च दर्जे वाले व्यक्ति के लिए या फिर औपचारिक अवसरों पर गहरा और लंबा झुकना इस्तेमाल किया जाता है. दोस्तों के लिए हल्का सिर हिलना ही काफी होता है.
कहां से हुई यह परंपरा शुरू
झुकने की परंपरा पांचवी और आठवीं शताब्दी के बीच चीन से बौद्ध धर्म के आने से जुड़ी हुई है. बौद्ध भिक्षु भक्ति और श्रद्धा को दर्शाने के लिए बुद्ध की मूर्ति, शिक्षक और आध्यात्मिक हस्तियों के सामने झुकते थे. जैसे-जैसे बौद्ध धर्म जापानी समाज में शामिल होता गया यह प्रथा रोजमर्रा के सामाजिक मेलजोल का हिस्सा बनती चली गई.
कैसे फैली यह परंपरा
चीनी शाही शिष्टाचार और कन्फ्यूशियस सिद्धांतों के फैलने के साथ झुकना वफादारी, आज्ञाकारिता और सामाजिक व्यवस्था की अवधारणा से जुड़ता चला गया. कामाकुरा काल के दौरान, समुराई वर्ग ने रेइहो नाम की अनुशासित झुकने की रस्म को अपनाया. इस रस्म से योद्धा समाज में सम्मान और इज्जत मजबूत हुई.
एदो काल और उसके बाद का समय
एदो काल (1603-1868) तक झुकना जापानी समाज में जड़ों तक फैल चुका था. जैसे-जैसे शहरी जीवन बढ़ा और व्यावसायिक लेनदेन बढ़े झुकना अभिवादन और पहचान का एक रूप बनता चला गया.
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