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सोने के तार से सिले जाते थे कपड़े, इस वजह से कपड़ों को 10-10 के बंडल में रखवाता था मुगल शासक अकबर
शहंशाह अकबर को उनके कार्यों के लिए याद किया जाता है, हालांकि अकबर काफी शौकीन राजा भी हुआ करते थे. उन्हें नए कपड़ों का बेहद शौक था.
![सोने के तार से सिले जाते थे कपड़े, इस वजह से कपड़ों को 10-10 के बंडल में रखवाता था मुगल शासक अकबर Clothes were stitched with gold wire this is why Mughal ruler Akbar used to keep clothes in bundles of 10 each सोने के तार से सिले जाते थे कपड़े, इस वजह से कपड़ों को 10-10 के बंडल में रखवाता था मुगल शासक अकबर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/27/0f8db66f86163e6d7f70e5b289923ad21709038190205742_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
मुगल बादशाह अकबर ने कई युद्ध लड़े और उनमें जीत भी हासिल की. अकबर को सभी धर्मों का सम्मान करने के लिए भी जाना जाता था. साथ ही उन्होंने कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण भी करवाया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अकबर कपड़ों के भी काफी शौकीन हुआ करते थे और इसके लिए वो एक बार में ही पूरे साल के कपड़े बनवा लिया करते थे.
एक साल के लिए अकबर बनवाते थे इतने कपड़े
बता दें बादशाह अकबर के कपड़ों के शौक से सभी लोग वाकिफ थे. एक साल के लिए उनकेे लिए एक हजार कपड़े सिलवाए जाते थे. उनके कपड़े 10-10 बंडल में रखे जाते थे ताकि उन्हें पहनने में आसानी हो.
सोने के तारों से होती थी कढ़ाई
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अकबर अधिकतर सिल्क के कपड़े पहनते थे जिस पर सोने के तारों से कढ़ाई की गई होती थी. अकबर को मोती पहनने का भी काफी शौक था. इस हिसाब से अकबर के कपड़ों में सोने के तारों से कढ़ाई और मोतियों की कढ़ाई का पूरा ध्यान रखा जाता था. जिसके बाद काफी मेहनत से ये कपड़े तैयार होते थे.
हर समारोह के लिए होते थे अलग कपड़े
अकबर हर सुबह पहला सार्वजनिक समारोह करते थे. वो अपने महल की खिड़की से लोगों को दर्शन देते थे. उनकी झलक पाने के लिए महल के बाहर लोगों की भीड़ पहले से ही जमा हो जाती थी. बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में 'अकबर द ग्रेटेस्ट मुगल' किताब के हवाले से लिखा है कि फ़तहपुर सीकरी में परंपरा थी कि जब तक लोग सम्राट के दर्शन नहीं कर लेते थे, वो न तो अपना मुंह धोते थे और न ही कुछ खाते या पीते थे. इस रस्म से लोगों को ये आभास तो होता ही था कि सम्राट जीवित हैं बल्कि वो लोगों को उनके और करीब लाता था. जब भी अकबर का दरबार लगता था, लोगों को नगाड़े पीट कर इसकी सूचना दी जाती थी.
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