चीन क्यों निकालता है विक्ट्री डे परेड, किस देश से हुए युद्ध से इसका कनेक्शन?
इस साल बीजिंग में हुई परेड अब तक की सबसे बड़ी बताई जा रही है. इसमें जो हथियार और तकनीक दिखाई गई, वो बेहद एडवांस हैं. विक्ट्री परेड चीन के इतिहास और शक्ति का प्रतीक बन चुकी है.

हर साल चीन भव्य सैन्य परेड का आयोजन करता है, जिसे विक्ट्री डे परेड कहा जाता है. यह परेड सिर्फ सेना के हथियार और ताकत दिखाने का मौका नहीं होती, बल्कि इसके पीछे एक ऐतिहासिक कारण भी है. चीन की यह परेड सिर्फ इतिहास को याद करने तक सीमित नहीं है, यह चीन की बढ़ती ताकत और दुनिया को संदेश देने का तरीका बन चुकी है. इस साल बीजिंग में हुई परेड अब तक की सबसे बड़ी बताई जा रही है. इसमें जो हथियार और तकनीक दिखाई गई, वह बेहद एडवांस है. विक्ट्री परेड चीन के इतिहास और शक्ति का प्रतीक बन चुकी है.
इस साल हुई विक्ट्री डे परेड के खास मौके पर चीन की ताकत देखने के लिए व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन भी मौजूद रहे. चीन की विक्ट्री परेड अब हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि चीन विक्ट्री परेड क्यों निकालता है और इसका कनेक्शन किस देश से हुए युद्ध से है.
विक्ट्री परेड क्यों निकालता है
विक्ट्री परेड 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर जापान के आत्मसमर्पण की याद में मनाई जाती है. चीन इसे जापान पर विजय दिवस (Victory Over Japan Day) के रूप में हर साल 3 सितंबर को मनाता है क्योंकि 1937 से 1945 तक चीन और जापान के बीच भीषण युद्ध चला, जिसे इतिहास में चीन-जापान युद्ध कहा जाता है. इस युद्ध में लाखों चीनी नागरिक और सैनिक मारे गए. वहीं चीन में इसे जापानी आक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध युद्ध कहा जाता है.
साल 1937 में जापान ने चीन पर हमला कर दिया था. युद्ध की शुरुआत मार्को पोलो ब्रिज की घटना से हुई. इसके बाद जापानी सेना ने नानजिंग शहर पर हमला किया, जहां भयानक नरसंहार हुआ. इसे नानजिंग नरसंहार कहते हैं, जिसमें लाखों लोग मारे गए और औरतों के साथ गलत काम किया गया. यह युद्ध करीब 8 साल चला और 1945 में जापान के आत्मसमर्पण के बाद खत्म हुआ. चीन ने इसी दिन को यादगार बनाने के लिए विक्ट्री परेड की परंपरा शुरू की, ताकि लोगों को उस संघर्ष और बलिदान की याद दिलाई जा सके.
दुनिया को अपनी ताकत दिखाता है चीन
विक्ट्री परेड का कनेक्शन जापान से हुए युद्ध से है. हालांकि, आज यह परेड चीन की राजनीतिक और सैन्य ताकत दिखाने का एक जरिया बन गई है. इसका उद्देश्य दुनिया को दिखाना कि चीन अब एक कमजोर देश नहीं है, अपनी आधुनिक सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करना, अमेरिका, जापान और पश्चिमी देशों को राजनीतिक संदेश देना कि चीन अब वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार है.
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