क्या मुकेश अंबानी खरीद सकते हैं पर्सनल एयर डिफेंस सिस्टम? जानें इसके नियम
जब युद्ध का तरीका बदल रहा है तो दुश्मन से अपनी हिफाजत करना भी बड़ा चैलेंज है. ऐसे समय में एयर डिफेंस सिस्टम की उपयोगिता काफी बढ़ गई है लेकिन क्या इन्हें पर्सनल यूज के लि इस्तेमाल में लाया जा सकता है?

बदलते समय के साथ युद्ध का तरीका भी पूरी तरह चेंज हो चुका है. एक समय था, जब सेनाएं जमीन पर लड़ा करती थीं, लेकिन अब हमला आसमान से होता है. पिछले कुछ सालों में जिन भी देशों के बीच जंग छिड़ी है, सभी ने अपने दुश्मन देशों पर एयर स्ट्राइक की. इन हमलों में बड़ी मात्रा में ड्रोन या फिर मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया. ऐसा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी देखा गया था, जब भारत ने पाकिस्तान पर हमला किया तो पाकिस्तान ने भी ड्रोन और मिसाइल अटैक किए.
जब युद्ध का तरीका बदल रहा है तो दुश्मन से अपनी हिफाजत करना भी बड़ा चैलेंज है. ऐसे समय में एयर डिफेंस सिस्टम की उपयोगिता काफी बढ़ गई है. ऑपरेशन सिंदूर के समय भी भारत के एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ने अपनी उपयोगिता साबित की थी और पाकिस्तान के हर हमले का नेस्तनाबूद कर दिया था. ऐसे में लगभग हर देश अपने एयर डिफेंस को मजबूत करने में लगा है. अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई व्यक्ति भी एयर डिफेंस सिस्टम खरीद सकता है? भारत में इसको लेकर नियम क्या है? और क्या मुकेश अंबानी जैसे बड़े उद्योगपति खुद के लिए पर्सनल एयर डिफेंस सिस्टम खरीद सकते हैं?
संवेदनशील और रणनीतिक संपत्ति है एयर डिफेंस
सबसे पहले तो यह जान लें कि एयर डिफेंस सिस्टम कोई ऐसा हथियार नहीं है, जिसका इस्तेमाल कोई व्यक्ति व्यक्तिगत तौर पर कर सके. यह बेहद संवेदनशील और रणनीतिक संपत्ति होती है, जिसमें मिसाइल, रडार व अन्य उपकरण शामिल होते हैं. एयर डिफेंस सिस्टम को मुख्य रूप से सैन्य उद्देश्यों के लिए ही डिजाइन किया जाता है, जिसमें हवाई क्षेत्र की निगरानी करने से लेकर दुश्मन देश की मिसाइलों, विमानों और ड्रोनों को न्यूट्रलाइज करना शामिल है. ऐसे में इनका अधिग्रहण केवल सरकार या सशस्त्र बलों के द्वारा ही किया जा सकता है.
क्या पर्सनल यूज के लिए खरीदा जा सकता है एयर डिफेंस?
बड़ा सवाल है कि क्या मुकेश अंबानी जैसे दिग्गज उद्योगपति एयर डिफेंस सिस्टम को अपने पर्सनल यूज के लिए खरीद सकते हैं? इसका जवाब है-नहीं. सबसे पहली बात तो यह है कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम सरकारी नियंत्रण में रहता है. साथ ही पर्सनल यूज के लिए इसके लाइसेंसिंग और संचालन में भी बहुत ही व्यवहारिक दिकक्तें आ सकती हैं. वहीं सबसे बड़ा कारण यह है कि निजी हाथों में आने से यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है.
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Source: IOCL





















