पोस्टल बैलेट से कौन कर सकता है मतदान, इसके लिए चुनाव आयोग के क्या हैं नियम?
Postal Ballot: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है. लेकिन कई लोग अपने मतदान केंद्र तक नहीं पहुंच पाएंगे, उनके लिए चुनाव आयोग के क्या नियम हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए प्रचार मंगलवार शाम तक पूरी तरह से समाप्त हो गया. इस चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर हो रहे मुकाबले में राज्य की सत्ता की दिशा तय होने वाली है. कुल 1314 उम्मीदवार अपने भाग्य आजमाएंगे और इस महत्वपूर्ण फैसले में 3,75,13,302 मतदाता अपने वोट के जरिए निर्णायक भूमिका निभाएंगे, मतदान 6 नवंबर को संपन्न होगा. इसी के मद्देनजर एक सवाल है कि वे लोग जिनका काम या स्थिति उन्हें अपने मतदान केंद्र तक नहीं जाने देती, क्या वे अपना वोट डाल पाएंगे? आइए जानें कि इसमें पोस्टल बैलेट क्या और कैसी भूमिका निभाता है.
पोस्टल बैलट क्या है?
पोस्टल बैलट मूल रूप से एक डाक मतपत्र है. इसका इस्तेमाल उन मतदाताओं के लिए किया जाता है जिन्हें नौकरी या अन्य कारणों से अपने चुनाव क्षेत्र में जाना संभव नहीं होता है. ऐसे मतदाताओं को सर्विस वोटर या ऐबसेंटी वोटर कहा जाता है. जैसे कि पहले 1980 के दशक में बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाता था, पोस्टल बैलट भी उसी तर्ज पर काम करता है, लेकिन अब इसे डिजिटल और डाक दोनों माध्यमों से भेजा जा सकता है.
प्रशासनिक प्रावधान और प्रक्रिया
चुनाव आयोग पहले से ही यह तय कर देता है कि किसी क्षेत्र में कितने मतदाता पोस्टल बैलट का उपयोग कर सकते हैं. इसे इलेक्ट्रानिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम (ईटीपीबीएस) भी कहा जाता है. पहले रिक्त पोस्टल बैलट तैयार किया जाता है. इसके बाद इसे मतदाता को भेजा जाता है, जो अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चिह्नित करके गोपनीयता पत्र में डालता है. फिर इसे प्री-पेड लिफाफे में डालकर चुनाव आयोग को वापस भेज दिया जाता है.
यदि मतदाता 80 वर्ष से अधिक का है या पूर्ण विकलांग है, तो एक विशेष टीम उनके घर पर जाकर मतदान कराती है. इसके लिए उन्हें पहले मोबाइल एसएमएस के जरिए दिन और समय की जानकारी दी जाती है.
कौन कर सकता है पोस्टल बैलट का इस्तेमाल?
• सैनिक और सुरक्षा बल के अधिकारी एवं जवान
• चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारी
• देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी
• प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग
• 80 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक
• दिव्यांग व्यक्ति (यदि पहले से रजिस्ट्रेशन करा लिया हो)
• आवश्यक सेवा में लगे मीडियाकर्मी, मेट्रो, रेलवे और स्वास्थ्य सेवा कर्मी
इन सभी मतदाताओं को उनके क्षेत्र में वोट डालने के लिए यह सुविधा मिलती है और उनका वोट उसी क्षेत्र की मतगणना में गिना जाता है.
आवेदन की प्रक्रिया
पोस्टल बैलट के लिए फॉर्म 12डी के माध्यम से आवेदन करना होता है. इसमें व्यक्तिगत विवरण, मतदाता पहचान और डाक मतपत्र मांगने का कारण देना अनिवार्य है. रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) पात्रता की पुष्टि करने के बाद डाक मतपत्र भेजते हैं. विदेश में तैनात सरकारी कर्मियों के लिए यह प्रक्रिया विदेश मंत्रालय के माध्यम से की जाती है.
पोस्टल बैलट की शुरुआत और भारत में यह कब आया
पोस्टल बैलट की शुरुआत 1877 में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से हुई थी. इसके बाद इटली, जर्मनी, स्पेन, स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन में इसे अपनाया गया. भारत में, चुनाव नियमावली-1961 के नियम 23 में संशोधन करके 21 अक्टूबर 2016 को इस व्यवस्था को लागू किया गया था.
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