Bihar Election Result 2025: चुनाव जीतने के कितने दिन बाद शपथ ग्रहण कराना जरूरी, क्या होता है पूरा प्रोसेस?
Bihar Election Result 2025: बिहार में एक बार फिर एनडीए सत्ता में वापस आ रही है. इस चुनाव में महागठबंधन का बुरा हाल हुआ है. ऐसे में आइए शपथ ग्रहण की समय सीमा के बारे में जानते हैं.

Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में इस वर्ष NDA ने शानदार जीत प्राप्त की है. इसी बीच आइए जानते हैं कि जीतने के कितने समय बाद निर्वाचित नेताओं को पद की शपथ लेनी होती है और क्या होती है पूरी प्रक्रिया.
शपथ ग्रहण की समय सीमा
आपको बता दें कि भारतीय संविधान में निर्वाचित प्रतिनिधियों या मुख्यमंत्री के लिए पद की शपथ लेने की कोई निश्चित समय सीमा नहीं बताई गई है. इस प्रक्रिया को आमतौर पर चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाता है. लेकिन इसके लिए कोई निश्चित दिनों की संख्या तय नहीं की गई है.
ज्यादातर राज्यों में शपथ ग्रहण समारोह नतीजे के तीन से 10 दिनों के अंदर हो जाता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि बहुमत वाली पार्टी या गठबंधन कितनी जल्दी सरकार बनाने का दावा पेश कर पाते हैं.
क्या होती है पूरी प्रक्रिया
यह प्रक्रिया तब से शुरू हो जाती है जब भारत का चुनाव आयोग अंतिम परिणाम को घोषित कर देता है. मतगणना समाप्त होने के बाद चुनाव आयोग संबंधित राज्य विधानसभा या फिर संसद को विजय उम्मीदवारों के नाम औपचारिक रूप से सूचित करता है. इस चरण के दौरान विजय उम्मीदवार को निर्वाचित विधायक या निर्वाचित सांसद कहा जाता है.
इसके बाद विधानसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने वाला दल या फिर गठबंधन अपना दावा पेश करने के लिए राज्यपाल या राष्ट्रपति के पास जाता है. यदि किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलती तो राज्यपाल या राष्ट्रपति सबसे बड़े दल या बहुमत का दावा करने वाले गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं. इस दावे के साथ विधायकों या फिर सांसदों के समर्थन पत्र होने चाहिए ताकि इस बात को पक्का किया जा सके की प्रस्तावित सरकार विश्वास मत में टिक सके.
जैसे ही राज्यपाल या राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हो जाते हैं कि किसी भी पार्टी का गठबंधन के पास पूर्ण बहुमत है तो वह उसके नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं. केंद्र में यह निमंत्रण भारत के राष्ट्रपति द्वारा उस नेता को दिया जाता है जो प्रधानमंत्री बनेगा और राज्यों में राज्यपाल भावी मुख्यमंत्री को निमंत्रण देते हैं.
इस शपथ ग्रहण समारोह से पहले विजय पार्टी या फिर गठबंधन के निर्वाचित सदस्य औपचारिक रूप से अपना नेता चुनने के लिए मीटिंग करते हैं. इस मीटिंग में यह तय किया जाता है कि केंद्र में प्रधानमंत्री या फिर राज्य में मुख्यमंत्री कौन होगा. इसके बाद नेता राज्यपाल या राष्ट्रपति को समर्थन सदस्यों की सूची प्रस्तुत करता है. जैसे ही नेता की पुष्टि हो जाती है वह अपने मंत्री परिषद का चयन शुरू करते हैं. संविधान के मुताबिक विधानमंडल के कुल सदस्यों के 15% से ज्यादा सदस्यों को मंत्री नियुक्त नहीं किया जा सकता.
इसके बाद औपचारिक प्रोटोकॉल और मीडिया कवरेज के साथ शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाता है. यह समारोह अक्सर राज भवन या फिर किसी सार्वजनिक स्थल पर आयोजित किया जाता है. शपथ लेने के बाद नई सरकार आधिकारिक रूप से सत्ता को संभाल लेती है.
ये भी पढ़ें: किसी भी चुनाव का शेयर मार्केट पर क्यों दिखता है असर, क्यों दिखता है उतार-चढ़ाव?
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL
























