'सत्या' के दोबारा रिलीज होने पर भावुक हुए रामगोपाल वर्मा, कहा - 'मैं शराब के नहीं, अहंकार के नशे में था'
Ram Gopal Varma Post: फेमस फिल्ममेकर रामगोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' एक बार फिर थिएटर्स में रिलीज हुई है. जिसके बाद वो काफी भावुक होते नजर आए. उन्होंने इसके लिए एक पोस्ट भी शेयर की.

Filmmaker Ram Gopal Varma: निर्देशक राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' हाल ही में सिनेमाघरों में फिर से रिलीज हुई, निर्देशक ने सोशल मीडिया पर एक भावुक नोट साझा किया और बताया कि वह शराब के नशे में नहीं, बल्कि अपनी सफलता और अहंकार के नशे में थे. यह एहसास उन्हें 27 साल बाद 'सत्या' देखने के बाद हुआ.
सोशल मीडिया राम गोपाल वर्मा ने शेयर की भावुक पोस्ट
रामगोपाल वर्मा ने एक्स पर पोस्ट को साझा करते हुए उन्होंने लिखा, 'सत्या' को 27 साल बाद देखकर मैं इतना भावुक हो गया था कि मेरे आंसू बहने लगे. फिल्म बनाना जुनून की पीड़ा से पैदा हुए बच्चे को जन्म देने जैसा है, बिना ये जाने कि मैं किस तरह के बच्चे को जन्म दे रहा हूं. ऐसा इसलिए है क्योंकि एक फिल्म को टुकड़ों में बनाया जाता है, बिना यह जाने कि यह कब बनकर तैयार होगी. निर्माण के समय ध्यान इस बात पर होता है कि दूसरे इसके बारे में क्या कह रहे हैं और उसके बाद चाहे वह हिट हो या ना, हम आगे की कहानी के बारे में सोचने लग जाते हैं.
A SATYA CONFESSION TO MYSELF
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) January 20, 2025
—— Ram Gopal Varma
By the time SATYA was rolling to an end , while watching it 2 days back for 1st time after 27 yrs, I started choking with tears rolling down my cheeks and I dint care if anyone would see
The tears were not…
मैं सिर्फ फिल्म में हुई त्रासदी के लिए नहीं रोया था -राम गोपाल
राम गोपाल वर्मा ने आगे लिखा, 'दो दिन पहले तक, मैंने इसे एक उद्देश्यहीन अपनी यात्रा में एक और कदम मानकर इससे प्रेरित होने वाली अनगिनत प्रेरणाओं को अनदेखा कर दिया था. सत्या की स्क्रीनिंग के बाद होटल में वापस आकर, अंधेरे में बैठे हुए, मुझे समझ में नहीं आया कि अपनी तथाकथित बुद्धिमत्ता के बावजूद, मैंने इस फिल्म को भविष्य में जो कुछ भी करना चाहिए, उसके लिए बेंचमार्क क्यों नहीं बनाया.
मुझे यह भी एहसास हुआ कि मैं सिर्फ उस फिल्म में हुई त्रासदी के लिए नहीं रोया था, बल्कि मैं अपने उस रूप के लिए खुशी से भी रोया था. मैं उन सभी लोगों के साथ विश्वासघात के अपराध बोध से भी रोया था, जिन्होंने 'सत्या' के कारण मुझ पर भरोसा किया था.'
मैं शराब के नशे में नहीं, बल्कि अपनी...
निर्देशक ने आगे लिखा, 'मैं शराब के नशे में नहीं, बल्कि अपनी सफलता और अपने अहंकार के नशे में था, हालांकि, मुझे दो दिन पहले तक इसका एहसास नहीं था. 'रंगीला' और 'सत्या' की रोशनी ने मुझे अंधा कर दिया और अपनी तकनीकी जादूगरी या कई अन्य चीज़ों का भद्दा प्रदर्शन करने को लेकर फिल्में बनाने में भटक गया, जो निरर्थक थीं. मैं एक सरल और सामान्य सत्य को भूल गया था कि तकनीक किसी दिए गए विषय को ऊपर उठा सकती है, लेकिन उसे आगे नहीं ले जा सकती.'
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राम गोपाल वर्मा ने यह स्वीकार करते हुए कि, 'उनकी बाद की कुछ फिल्में सफल रही होंगी, लेकिन उनमें से किसी में भी वह ईमानदारी और निष्ठा नहीं थी जो 'सत्या' में थी, आगे कहा, ' मेरे शानदार नजरिए ने मुझे सिनेमा में कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया, उसने मुझे अपने काम के मूल्य से भी अंधा कर दिया और मैं आसमान की ओर मुंह करके दौड़ने वाला वह शख्स बन गया, जो अपने पैरों के नीचे लगाए गए बगीचे को देखना ही भूल गया और यही मेरी गरिमा में आई गिरावट की वजह बन गई.
राम गोपाल वर्मा को बनाने थे ये नियम
निर्देशक ने आगे कहा, 'मैं अब जो कुछ भी कर चुका हूं, उसमें सुधार नहीं कर सकता. लेकिन मैंने दो रात पहले अपने आंसू पोंछते हुए खुद से वादा किया था कि अब से मैं जो भी फिल्म बनाऊंगा, वह उस सम्मान के साथ बनाऊंगा जिसके लिए मैं शुरू में निर्देशक बनना चाहता था. मैं 'सत्या' जैसी फिल्म फिर कभी नहीं बना पाऊंगा, लेकिन ऐसा करने का इरादा ना रखना भी सिनेमा के खिलाफ एक अक्षम्य अपराध है. मेरा मतलब यह नहीं है कि मुझे 'सत्या' जैसी फिल्में बनाते रहना चाहिए, लेकिन शैली या थीम से परे कम से कम उसमें 'सत्या' की ईमानदारी होनी चाहिए.'
राम गोपाल वर्मा ने पोस्ट के अंत में कहा, 'आखिरकार, अब मैंने खुद से यs वादा किया है कि मेरे जीवन का जो भी थोड़ा सा समय बचा है, मैं उसे ईमानदारी से बिताना चाहता हूं और 'सत्या' जैसा कुछ बनाना चाहता हूं और इस सत्य की मैं 'सत्य' कसम खाता हूं'.
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Source: IOCL
























