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UP Election: आखिर क्यों अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार में करहल सीट पर मुलायम सिंह को उतरना पड़ा?

Karhal Vidhan Sabha: करहल विधानसभा से सपा मुखिया अखिलेश यादव इस बार चुनावी मैदान में है. तीसरे चरण में मैनपुरी की चारों सीटों पर चुनाव होना है. जातीय समीकरण के हिसाब से यह सपा के लिए सबसे मुफीद सीट है

Uttar Pradesh Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश चुनाव में मैनपुरी की करहल सीट सबसे हाई प्रोफाइल सीट बन गई है. समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने इस विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने बेटे अखिलेश यादव (Akhiesh Yadav) के लिए चुनावी प्रचार किया. उन्होंने करहल में जनसभा को संबोधित करते हुए किसान, व्यापारी से लेकर नौजवानों तक का जिक्र किया. मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट यादव बाहुल्य क्षेत्र है और समाजवादी पार्टी का गढ़ है. यहां 50 प्रतिशत यादव वोट है. 

सपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाने वाली करहल
करहल समाजवादी पार्टी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है.  सपा संरक्षक मुलायम सिंह भी मैनपुरी से सांसद हैं. सियासी आंकड़ों पर बात करें तो करहल में अभी तक सपा का ही कब्जा रहा है, यहां से केवल एक बार ही बीजेपी को सफलता मिली है. यही कारण है कि अखिलेश यादव ने सपा की सबसे सेफ मानी जाने वाली करहल सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. ऐसे सवाल उठ रहा है कि आखिर फिर भी अखिलेश के लिए मुलायम सिंह यादव को करहल क्यों आना पड़ा? अगर मुलायम करहल नहीं जाते तो क्या अखिलेश यादव हार जाते?


UP Election: आखिर क्यों अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार में करहल सीट पर मुलायम सिंह को उतरना पड़ा?

(करहल में अखिलेश के साथ मुलायम सिंह यादव)

अगर मुलायम करहल नहीं जाते तो क्या अखिलेश यादव हार जाते?
इस मुद्दे पर एबीपी न्यूज ने वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ विजय विद्रोही ने बातचीत की. विजय विद्रोही ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि अगर मुलायम करहल नहीं जाते तो अखिलेश हार जाते. ये घर की ही बात है. इस तरह पॉलिटिकल संकेत दिया है कि पूरा परिवार एक साथ है. इसका आसपास की सीटों पर भी असर होगा. इसे पॉलिटिकल मजबूरी नहीं कहेंगे. ये एक पॉलिटिकल मूव था. मुलायम सिंह ने करहल से ही पढ़ाई की थी, कुश्ती भी वहीं लड़ते थे. करहल आकर उन्होंने ये साबित करने की कोशिश की कि पूरा परिवार एक है. साथ ही किसानों और नौजवानों की बात करके मुलायम सिंह यादव ने पार्टी का एजेंडा तय कर दिया. हालांकि मुलायम यादव ने आने से करहल में सपा के जनादेश में कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा. हो सकता है 5-10 हजार वोट बढ़ जाएं.'

क्या बीजेपी के चुनौती है करहल सीट?
विजय विद्रोही जी ने कहा, 'जिस तरह से अमित शाह ने कहा कि 300 सीट के बराबर है करहल सीट. इससे तो लगता है करहल में अखिलेश को हराना बीजेपी के बड़ी चुनौती है. मेरा तो मानना है कि बीजेपी वहां अपना समय बर्बाद कर रही है. करहल की जगह अगर बीजेपी कहीं और रैली करें तो कुछ तो फायदा होता. बस ये हो सकता है कि करहल में अखिलेश की जीत का मार्जन थोड़ा कम हो जाए, लेकिन ऐसा तो नहीं है कि घेराबंदी हो जाएगी. करहल से अखिलेश का जीतना तय है.'

मुलायम सिंह यादव ने करहल में क्या कहा
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने करहल में गुरुवार को जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस देश को किसान, व्यापारी और नौजवान ही मजबूत करेंगे. इन तीनों की उम्मीदों को समाजवादी पार्टी पूरा करेगी. सपा की नीतियां स्पष्ट हैं. उन्होंने कहा कि सपा सरकार आने पर किसानों के लिए खाद और बीज का इंतजाम किया जाएगा. सिंचाई के साधन उपलब्ध कराए जाएंगे. पैदावार बढ़ेगी तो किसानों की हालत सुधरेगी. नौजवानों की नौकरी मिलेगी. मैं विश्वास दिलाता हूं कि नौजवानों को नौकरी का इंतजाम किया जाएगा. व्यापारियों को सुविधा दी जाएगी, जिससे वह किसान की फसल को खरीद सकेंगे.


UP Election: आखिर क्यों अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार में करहल सीट पर मुलायम सिंह को उतरना पड़ा?

(अखिलेश के करहल में मुलायम सिंह यादव)

मुलायम ने कहा कि सरकार अगर नौकरी नहीं दे सकती है तो कम से कम युवाओं को सुविधा दी जाए, आर्थिक मदद की जाए कि वह खुद कुछ कर सकें और आगे बढ़ सकें. हमारी सरकार में किसानों को लाभ पहुंचाया जाएगा. किसान, नौजवान और व्यापारियों को लेकर सपा की सरकार सजग रहेगी और उनके हित में काम करेगी.

2019 के बाद पहली बार करहल पहुंचे मुलायम
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में चल रहे सत्ता संग्राम के बीच मुलायम सिंह यादव पहली बार चुनाव प्रचार में उतरे हैं. इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम मैनपुरी लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करने गए थे. इसके बाद से उनका मैनपुरी में आगमन नहीं हो पाया. 2017 में जब भाजपा यूपी में 300 से अधिक सीटों पर कमल खिलाने में कामयाब रही थी तब भी मैनपुरी की चारों सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था. करहल सीट की बात करें तो 2017 में सपा के सोबरन यादव ने यहां से जीत हासिल की थी.

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