इनकम टैक्स फाइल कर रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान, वरना होगी परेशानी
अगर तय सीमा के बाद इनकम टैक्स टैक्स फाइल किया जाता है तो इनकम टैक्स फाइल करने पर पेनाल्टी भी देनी होगी. इनकम टैक्स गलत न फाइल हो या उसमें देरी न हो इसके लिए आपको पूरे ज़रूरी दस्तावेज जैसे पैन कार्ड या फॉर्म नंबर 16 अपने साथ रखने चाहिए.

नई दिल्ली: टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 अगस्त है. अगर आप इनकम टैक्स देते हैं तो आपको जल्द से जल्द रिटर्न फाइल कर देना चाहिए. इस तरह आप आखिरी समय पर होने वाली गलतियों से बच सकते हैं. इस बार आपको इनकम टैक्स 2017-18 के फाइनेंशियल इयर के लिए भरना होगा, जबकि असेसमेंट इयर 2018-19 होगा. बता दें कि आप इनकम टैक्स ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से फाइल कर सकते हैं.
इनकम टैक्स भरने के लिए इन ज़रूरी बातों का रखें ध्यान
इनकम टैक्स न भरने पर या लेट भरने पर क्या होगा?
अगर तय सीमा के बाद इनकम टैक्स टैक्स फाइल किया जाता है तो इनकम टैक्स फाइल करने पर पेनल्टी भी देनी होगी. इनकम टैक्स गलत न फाइल हो या उसमें देरी न हो इसके लिए आपको पूरे ज़रूरी दस्तावेज जैसे पैन कार्ड या फॉर्म नंबर 16 अपने साथ रखने चाहिए.
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इन तरीकों से तरह भर सकते हैं इनकम टैक्स
जैसा ऊपर बताया गया है, इनकम टैक्स ऑनलाइन और ऑफलाइन दो तरीकों से भरे जा सकते हैं. ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आप इनकम टैक्स की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं.
आयकर भरने के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप सही आयकर फॉर्म चुने. पहले से मौजूद आयकर फॉर्म्स हैं, ITR1 (सहज), ITR2, ITR3, ITR4, ITR4S (सुगम), ITR5, ITR6, ITR7
आयकर भरने के बाद आयकरदाता यानी जो भी आयकर रिटर्न फाइल कर रहा है वो इसे DSC का उपयोग करके वेरीफाई कर सकता है. DSC यानी डिजिटल सिग्नेचर वेरीफिकेशन. अगर आपके पास DSC नहीं है तो इसके लिए आप आयकर भरने के 120 दिनों के लिए एक वेरीफिकेशन फॉर्म भरकर टैक्स विभाग के ऑफिस में भेज सकते हैं.
वेरीफिकेशन प्रोसेस पूरी होने के बाद आप अपने आयकर रिटर्न का स्टेटस देख सकते हैं. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल होने के बाद आपको एक एकनॉलेजमेंट नंबर मिलता है, इस नंबर की मदद से आप अपने इनकम टैक्स रिटर्न के स्टेटस को इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते हैं.
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इनकम टैक्स भरने के लिए ज़रूरी फॉर्म
फॉर्म नंबर 16: फॉर्म नंबर 16 इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय बहुत ज़रूरी होता है. फॉर्म नंबर 16 आपको एक फाइनेंशियल इयर (वित्त वर्ष) में पूरे टैक्स डिडक्शन के बारे में जानकारी देता है. ये फॉर्म एक फाइनेंशियल इयर में एक बार जारी किया जाता है. इस फॉर्म के दो भाग होते हैं. पहले भाग यानी भाग (A) में टैक्स देने वाले की पूरी जानकारियां होती हैं, जैसे पैन और टैन की जानकारी, नाम, एड्रेस.
दूसरे भाग यानी भाग (B) में इस बात की जानकारी होती है कि आयकर दाता की सैलरी कितनी है, सैलरी के अलावा दूसरे आय के स्त्रोत क्या हैं, कितनी कटौती हुई है और उस शख्स को कितना आयकर देना है.
यदि आपने एक फाइनेंशियल इयर में ही अपनी नौकरी बदली है तो आपके लिए दो फॉर्म नंबर 16 मिलेंगे, इसके बाद आपको दोनों फॉर्म्स में से कैल्कुलेट करने के बाद अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा.
फॉर्म नंबर 26AS: इस फॉर्म में उस टैक्स की जानकारी दी होती है जो या तो डिडक्ट किया गया हो या फिर डिपॉज़िट किया गया हो. इस फॉर्म को आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं. इसे डाउनलोड करने के लिए आपको अपनी डीटेल्स के साथ वेबसाइट पर लॉगइन करना होगा और फिर डाउनलोड फॉर्म 26AS करेंगे तो आपका फॉर्म डाउनलोड हो जाएगा. टैक्स बचत का तरीके: अपने टैक्स की लाइबिलिटी कम करने के लिए आप HRA क्लेम कर सकते हैं. अधिकतर लोग किराए के घरों में रहते हैं लेकिन HRA क्लेम नहीं करते इसके चलते उन्हें अधिक टैक्स देना पड़ता है. यदि आप ज्य़ादा टैक्स देने से बचना चाहते हैं तो आप इसका उपयोग कर सकते हैं. इसके अलावा भी कई तरह के क्लेम करके आप अपने टैक्स में बचत का फायदा ले सकते हैं.इनकम टैक्स में छूट पाने का आसान उपाय है फिक्स्ड डिपॉजिट, जानें इसके फायदे
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