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UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)
ब्लॉग: बीजेपी ने राहुल को जनेऊ दिखाने पर मजबूर क्यों किया?
आज कांग्रेस हिंदू बनकर जातिवाद की राजनीति में माधव सोलंकी से भी आगे निकलना चाहते हैं. दरअसल, 1985 में माधवसिंह सोलंकी ने खाम के जरिए कांग्रेस को जीत दिलाई थी वो कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत थी.
आजादी के 70 साल पूरे हो गए हैं लेकिन चुनाव में जाति और धर्म का जिन्न निकल ही जाता है. आखिरकार सभी पार्टियां इस फॉर्मूले पर उतर ही जाती है कि प्यार और जंग में सब जायज है. भले हम मंगल और चंद्रमा पर जाने की बात करते हैं लेकिन चुनाव में असली राजनीतिक भूमिका जातियां और धर्म ही निभाती है. इसका जीता जागता उदाहरण गुजरात विधानसभा का चुनाव है.
कांग्रेस 22 साल से गुजरात की सत्ता से दूर है और इस बार कांग्रेस की पूरी रणनीति है कि राज्य से बीजेपी को बेदखल करना, इसीलिए पार्टी ने मजबूत रणनीति अपनाई है. ये भी कांग्रेस को भलीभांति मालूम है कि गुजरात में मोदी को हराना संभव नहीं है लेकिन ऐसा करना असंभव भी नहीं है. जब रणनीति और चाल अचूक हो तो राजनीतिक दुश्मन को पछाड़ना आसान हो जाता है. कांग्रेस उसी रणनीति के तहत चल रही है. कांग्रेस को मालूम है कि गुजरात हिंदू राजनीति का प्रयोगशाला बन चुका है ऐसे में कांग्रेस की रणनीति है कि हिंदू प्रयोगशाला को जाति में बांट दो ताकि धर्म की राजनीति हावी न हो सके. इसीलिए राहुल ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी से दोस्ती की है. वहीं मंदिर मंदिर जाकर ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह भी हिंदू धर्म के हितैषी हैं और इस तरह राहुल 19 मंदिरों का दर्शन कर चुके हैं.
दरअसल हिंदू बनकर वह जातिवाद की राजनीति में माधव सोलंकी से भी आगे निकलना चाहते हैं. दरअसल, 1985 में माधवसिंह सोलंकी ने खाम के जरिए कांग्रेस को जीत दिलाई थी वो कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत थी. माधवसिंह सोलंकी ने खाम को कांग्रेस की ओर मोड़ लिया थ. खाम (KHAM)मतलब के से क्षत्रिय, एच से दलित, ए के आदिवासी और एम से मुस्लिम लेकिन 1990 में चली हिंदूत्व की आंधी में खाम तहस नहस हो गया था. अब राहुल खाम के दायरे को भी बढ़ाना चाहते हैं जिसमें पाटीदार और ओबीसी जाति को भी जोड़ना चाहते हैं. इसी की वजह से राहुल की रणनीति बीजेपी की चाल पर भारी दिखने लगा और बीजेपी को एहसास हो गया कि राहुल ने बड़ा चक्रव्यूह रच दिया है.
राहुल के खिलाफ बीजेपी की रणनीति
जो पार्टी 22 साल से गुजरात में राज्य कर रही है और जिस शख्स ने केन्द्र में यूपीए सरकार को पटकनी दी वो भी राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं. 2014 के बाद इक्के-दुक्के चुनाव को छोड़कर नरेन्द्र मोदी लगातार चुनाव जीत रहे हैं लेकिन इसबार राहुल गांधी मोदी को हराने की कोशिश कर रहे हैं तो मोदी भी राजनीति के धोबिया पाट जानते हैं कि कैसे छठी बार कांग्रेस को पटकी जाए यानि कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह और मात का खेल चल रहा है.
बीजेपी की रणनीति है कि राहुल की जातिवादी राजनीति को कैसे टांय टांय फुस्स कर दिया जाए. इस पर तीन चार दिन से बीजेपी की रणनीति दिख रही है. पहले तो आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने कहा कि राम जन्मभूमि पर सिर्फ राम मंदिर बनेगा. ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि जब-जब चुनाव होते हैं तो राम मंदिर का मुद्दा छा जाता है. अब बीजेपी राहुल के उस पुराने बयान पर स्पष्टीकरण चाहती है, जिसमें अमेरिका के एक पुराने डिप्लोमैटिक केबल में राहुल के एक कथित बयान का हवाला दिया गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में 'हिंदू आतंकवाद' लश्कर-ए-तैयबा से भी बड़ा खतरा है. जाहिर है कि कांग्रेस जीत के लिए जोर आजमाईश कर रही है तो बीजेपी भी जीत का सिक्सर लगाना चाहती है.
अब ये बताने की जरूरत नहीं है कि गुजरात जैसे विकसित राज्य से चुनावी मैन्यू में विकास का मुद्दा नदारद हो गया है. अब तो नरेन्द्र मोदी भी राहुल के मंदिर दर्शन पर सवाल उठा रहें हैं. नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जब सरदार पटेल सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कर रहे थे तो राहुल के परनाना जवाहरलाल नेहरू नाक-भौं सिकोड़ रहे थे. तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को इस मौके पर आने का निमंत्रण मिलने पर नेहरूजी ने पत्र लिखकर नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा कि आज जिन्हें सोमनाथ दादा याद आ रहे हैं उन्हें पूछना है कि क्या उन्हें इस इतिहास का पता है और उसी सोमनाथ मंदिर में दर्शन के मुद्दे पर राहुल बुरी तरह फंस गये.
आखिरकार बीजेपी के जाल में कैसे फंसे राहुल
गुजरात चुनाव में राहुल अति उत्साहित दिख रहे हैं और उनकी हर चाल सफल दिख रही है लेकिन ये भी प्रतीत हो रहा है कि उनकी एक गलती सारा खेल चौपट कर सकता है. बुधवार को सोमनाथ मंदिर में दर्शन के दौरान एंट्री रजिस्टर में राहुल गांधी का नाम गैर-हिंदू के रूप में दर्ज होने पर सियासी घमासान मच गया.
बीजेपी सवाल पूछने लगी कि राहुल बताएं उनका क्या धर्म है और जिस मीडिया कोर्डिनेटर ने लिखा है वो अपनी सफाई दे कि आखिरकार हुआ क्या. बीजेपी के हमले में कांग्रेस बैकफुट पर आ गई. कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी जी सिर्फ हिंदू नहीं हैं, बल्कि वह जनेऊधारी हिंदू हैं और पी एल पुनिया यहां तक बोल गये कि राहुल ब्राह्मण हैं.
कांग्रेस की तरफ से सबूत पर सबूत पेश किए गए कि राहुल जनेऊधारी हिंदू ही हैं यानि कहने का मतलब कि बीजेपी नेता जितने हिंदू हैं उतने ही राहुल हिंदू हैं. कांग्रेस ने राजीव गांधी की हत्या को भी जोड़ दिया कि उसमें भी राहुल जनेऊ पहनकर ही अंत्येष्ठि की थी.
सुरजेवाला ने कहा कि न तो यह हस्ताक्षर राहुल गांधी का है और न ही यह वह रजिस्टर है, जो एंट्री के समय राहुल गांधी को दिया गया यानि इसे भी बीजेपी की साजिश का हिस्सा बताया गया. ये मुद्दा यहीं खत्म नहीं हो गया बल्कि बीजेपी इस मुद्दे को चुनाव के दौरान उठाती रहेगी. जैसे कांग्रेस को विश्वास है कि जाति के खेल में पार्टी बीजेपी को पटकनी दे सकती है तो बीजेपी को भी भरोसा है कि हिंदू कार्ड पर कांग्रेस को क्लीन बोल्ड हो सकती है. ये भी बात साफ है कि कांग्रेस हिंदू कार्ड पर बीजेपी से टक्कर लेने की कोशिश करती है तो फिर सरकार बनाने का कांग्रेस का सपना टूट सकता है. अब गुजरात के चुनाव में जाति कार्ड चलता है या धर्म कार्ड ये 18 दिसंबर को ही पता चलेगा.
धर्मेन्द्र कुमार सिंह राजनीतिक-चुनाव विश्लेषक हैं और ब्रांड मोदी का तिलिस्म के लेखक हैं.
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शशि शेखर, स्वतंत्र पत्रकारJournalist
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