निर्जला एकादशी 2021: महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्टिर को बताया था निर्जला एकादशी का रहस्य, जानें कब है ये एकादशी
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2021) का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है.ज्येष्ठ मास (jyeshtha 2021) में निर्जला एकादशी का व्रत जीवन में जल के महत्व बताता है.एकादशी व्रत ( Ekadashi Vrat) का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था.
Nirjala Ekadashi 2021: निर्जला एकादशी का व्रत सभी व्रतों में कठिन माना गया है. इस व्रत को जो भी व्यक्ति विधि पूर्वक और अनुशासन का पालन करते हुए पूर्ण करता है, उसे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
निर्जला एकादशी कब है?
पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 20 जून को शाम 04:21 बजे से आरंभ होगी. एकादशी तिथि का जिसका समापन 21 जून दोपहर 01 बजकर 31 मिनट पर होगा. निर्जला एकादशी का व्रत 21 जून को रखा जाएगा. व्रत का पारण अगले दिन यानी कि 22 जून को किया जाएगा.
भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी के महत्व के बारे में बताया था. भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी के व्रत की विधि भी बताई थी, जिसके बाद युधिष्ठिर ने विधि पूर्वक एकादशी व्रत किया.
भगवान विष्णु को समर्पित है निर्जला एकादशी व्रत
निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है. जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और कार्यों में आने वाली बाधाएं समाप्त होती है.
जल का महत्व
जल ही जीवन है. इस बात को सभी जानते हैं. निर्जला एकादशी का व्रत जीवन में जल की उपयोगिता के बारे में बताता है. निर्जला एकादशी में जल का त्याग करना होता है. पानी की एक भी बंदू नहीं पी जाती है. बिना जल के ही इस व्रत को पूर्ण किया जाता है. इसीलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है. ज्येष्ठ मास में अधिक गर्मी पड़ती है. निर्जला एकादशी को ज्येष्ठ मास का महत्वपूर्ण माना जाता है.
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