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राम नवमी आज: जानें इसका महत्व, उपवास खोलने से पहले जान लें ये अहम बात
देश भर में आज चैत्र नवरात्रि का अष्टमी पूजन किया जा रहा है. ऐसे में इस बड़ी पूजा से जुड़े शुभ मुहूर्त और कन्याओं को पूजने का सही तरीका के बारे में यहां जानिए.

चैत्र नवरात्रि का अष्टमी और नवमी पूजन 13 अप्रैल को है. इस दिन घरों और मंदिरों में कन्या पूजन किया जाता है.अष्टमी और नवमीं वाले दिन कन्याओं को हलवा, पूरी और चने का भोग लगाया जाता है. उन्हें तोहफे और लाल चुनरी उड़ाना भी शुभ माना जाता है. यहां जानिए इस नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और कन्याओं को पूजने का सही तरीका.
अष्टमी, संधि और नवमी की पूजा मन लगाकर करें. मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से लाभ होगा. अष्टमी, संधि और नवमी काल की वजह से आज का दिन अहम है.
कंजक पूजन:
अष्टमी के दिन बहुत सारे लोग कंजक खिलाते हैं. कंजक आप रोज भी खिला सकते हैं. इसमें कोई समस्या नहीं है. घर में नौ कन्याओं को पूरी और हलवे के प्रसाद का भोग लगाएं और फिर उनका पैर छू कर आशीर्वाद लें. ध्यान रहे कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष तक होनी चाहिए. एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है. जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती , उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है. यदि 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई आपत्ति नहीं है.कन्या पूजा का महत्व:
दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है. माना जाता है कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं.जागरण:
नवमी के जागरण के बिना पूजा अधूरी है. आज उपवास खोलने पर भी पूजा अधूरी रह जाएगी. जहां इतने दिन उपवास किया एक रात और सही. दशमी के दिन 9:36 मिनट के बाद पावन करेंगे तब पूजा पूरी होगी. नवरात्रि की रात को जागरण करने पर मिलेगा लाभ. रात 11 बजे से ढाई बजे के बीच पाठ कर सकते हैं. पहले दुर्गा सप्तशती का पाठ कर लें.जाप:
सप्तशती पाठ के बाद संध्या को शिव और शक्ति दोनों की पूजा करें. अभिषेक भले ही ना करें, ऊं नम: शिवाय का जाप करें. ऊं ऐं हीं क्लीं नम: चंडीकाये का जाप करें. जाप के बाद थोड़ा आराम कर लें. हल्का अन्न भी ग्रहण कर सकते हैं. रात 11 बजे से सूर्योदय तक जागरण से अद्भुत फल मिलेंगे.कैसे करें पूजा:
संधि काल बहुत विशेष है. नवमीं की रात के साथ ही संधि काल की पूजा भी महत्वपूर्ण है. 11:17 से 12:05 मिनट के बीच का समय संधि काल है. अष्टमी और नवमीं के मिलने का समय ही संधि काल है. संधि काल की भक्ति जरूरी होती है. परेशानी होने पर जाप के साथ मां से मदद की गुहार लगाएं.आज का अशुभ समय
- दुमुहूर्त – सुबह 06:02 - 07:43 मिनट तक
- गुलिक काल – सुबह 06:02 - 07:37 मिनट तक
- यमगंड काल – दोपहर 01:57 - 03:30 मिनट तक
- राहुकाल- सुबह 09:12 - 10:47 मिनट तक
आज का शुभ समय
- अभिजीत काल – सुबह 11:57 - 12:47 मिनट तक
- अमृत काल – सुबह 06:41 - 08:13 मिनट तक
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Source: IOCL
















