बिहार चुनाव 2025: पंचक और भद्रा के साये में बिहार विधानसभा की तारीखों की घोषणा, ज्योतिष से आ रही बड़ी भविष्यवाणी
Bihar Election 2025: 6 अक्टूबर 2025 को शाम 4 बजे बिहार चुनाव की घोषणा शरद पूर्णिमा में होगी. पंचक, भद्रा के इस संगम में ध्रुव योग स्थायित्व दे रहा है, पर समय संवेदनशील है. कैसे आइए ज्योतिष से जानते हैं.

Bihar Election 2025: भारत निर्वाचन आयोग आज यानी 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को शाम 4 बजे बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करने जा रहा है. यह समय सिर्फ प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी अत्यंत संवेदनशील काल है.
उस घड़ी में जब आयोग जनता के सामने तीरीखें रखेगा, शरद पूर्णिमा शुरू हो चुकी हो चुकी होगी. चंद्रमा अपने संपूर्ण तेज पर रहेगा, लेकिन उसी समय भद्रा, वर्ज्य, और पंचक भी प्रभावी होंगे.
शरद पूर्णिमा पर तारीखों की घोषणा!
6 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:23 बजे के बाद अश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होती है, जो अगले दिन सुबह तक रहेगी. यह वही पूर्णिमा है जिसे शरद पूर्णिमा कहा जाता है. जब चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होकर आकाश में अपने संपूर्ण तेज से प्रकाशित होता है.
शास्त्रों में इसे पूर्ण सिद्धि काल कहा गया है. ब्राह्म वैवर्त पुराण और गरुड़ पुराण के अनुसार, इस तिथि में जो कार्य आरंभ होते हैं, वे जनमानस पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं.
शरद पूर्णिमा की यही विशेषता इस घोषणा को प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है. निर्णय का समय ऐसा होगा जब जनता का ध्यान, भावना और विचार चरम पर होंगे.
इस पंचांग के अनुसार शाम 4 बजे पूर्णिमा, भद्रा, वर्ज्य, और पंचक सभी एक साथ प्रभावी हैं. यह संयोजन मुहूर्तशास्त्र में संवेदनशील मुहूर्त के रूप में माना जाता है.
भद्रा का प्रभाव
मुहूर्त चिंतामणि और कालामृत मुहूर्त सार के अनुसार विष्टि करणे प्रारब्धं कर्मं विवादं जनयेत्. अर्थात भद्रा में प्रारंभ किया गया कार्य विवाद या विरोध का कारण बनता है.
6 अक्टूबर को भद्रा दोपहर 12:25 बजे से रात 10:55 बजे तक प्रभावी है. यह करण कठोर माना गया है, जो कठोर निर्णय, विवाद या सार्वजनिक बहस को जन्म देता है. इसका अर्थ यह नहीं कि कार्य असफल होगा, बल्कि यह कि उसकी शुरुआत में विरोध, लेकिन अंत में स्थिरता देखने को मिल सकती है.
राजनीतिक दृष्टि से यह मुहूर्त संकेत देता है कि घोषणा के प्रारंभिक चरण में प्रतिक्रियाएं तीखी रहेंगी, पर आगे चलकर निर्णय अपने स्थान पर स्थिर होगा.
पंचक का प्रभाव और जनता का मन
मंद-सिद्धान्त पंचांग और मैदिनी ज्योतिष में पंचक को जनजीवन से जुड़ी अस्थिरता का काल कहा गया है. पंचक वह अवधि होती है जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशियों में रहता है यानी धनिष्ठा के उत्तर पाद से लेकर रेवती तक पांच नक्षत्रों का समूह.
6 अक्टूबर की शाम को चंद्रमा मीन राशि के उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र में है, जिससे पंचक चल रहा है. मैदिनी ग्रंथों के अनुसार पंचके जनचेतना चंचला भवति. अर्थात पंचक में जनता का मन अस्थिर होता है.
राजनीतिक दृष्टि से इसका अर्थ है कि जनता की प्रतिक्रिया उस दिन भावनात्मक और अनिश्चित रह सकती है. घोषणा को लेकर समर्थन और विरोध दोनों स्वर तेजी से उभर सकते हैं.
वर्ज्य काल यानि संवाद की परीक्षा
आज वर्ज्य काल दोपहर 2:58 से 4:25 बजे तक रहेगा. यानी आयोग की घोषणा का समय इसी काल में आता है. मुहूर्त चिंतामणि और निर्णयामृत में स्पष्ट लिखा है कि वर्ज्ये कर्म न कर्तव्यं, प्रायश्चित्तं ततः परम्. अर्थात वर्ज्य काल में किया गया कार्य बाद में पुनः-संशोधन या स्पष्टीकरण की मांग करता है.
इसका संकेत यह है कि 4 बजे की घोषणा के तुरंत बाद संभव है कि किसी बिंदु पर भ्रम या पुनःव्याख्या की स्थिति बने जैसे चरणों की संख्या, मतगणना की तारीख या अधिसूचना की व्याख्या पर.
ध्रुव योग और पूर्णिमा का सकारात्मक पक्ष
दोपहर 1:13 बजे के बाद ध्रुव योग शुरू हो जाता है. मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार ध्रुवः स्थिरकरणः सर्वकार्येषु शुभः. अर्थात यह योग हर प्रकार के स्थिर और दीर्घकालिक कार्यों के लिए शुभ है.
पूर्णिमा और ध्रुव योग का मेल यह दर्शाता है कि भले ही शुरुआत में मतभेद या विवाद हो, लेकिन यह निर्णय दीर्घकाल तक स्थायी और प्रभावशाली रहेगा. राजनीतिक दृष्टि से यह समय घोषणा का टिकाऊ प्रभाव दिखाता है, यानी इस घोषणा से आगे आने वाले महीनों की राजनीतिक दिशा तय होगी.
सूर्य और चंद्र का संयोजन नीति और जनभावना का मिलन
इस समय सूर्य कन्या राशि में है जो विवेक, संगठन और प्रशासन का प्रतीक है. वहीं चंद्र मीन राशि में है जो भावना, संवेदना और जनमानस का प्रतिनिधि है. दोनों राशियां एक-दूसरे के विपरीत हैं, इसलिए यह संयोजन नीति और जनता के बीच संतुलन को दर्शाता है.
इस स्थिति में किए गए निर्णयों में प्रशासनिक स्थिरता तो होती है, पर भावनात्मक प्रतिक्रिया भी तीव्र रहती है. यानी यह घोषणा एक ओर संस्थागत दृढ़ता का संकेत देगी, तो दूसरी ओर जनता में हलचल भी उत्पन्न करेगी.
मैदिनी ज्योतिष से मिल रहे चौंकाने वाले संकेत!
मैदिनी या मंडेन ज्योतिष के अनुसार जब किसी राज्य या राष्ट्र के निर्णय मीन चंद्रमा में होते हैं, तो जनमत में प्रारंभिक असंतुलन दिखाई देता है, पर समय के साथ वह स्थिरता पकड़ता है. ध्रुव योग, पूर्णिमा, और शनि-कुंभ की स्थिति यह बताती है कि इस निर्णय का असर दीर्घकाल तक राजनीतिक संतुलन बनाए रखेगा.
मीन राशि में चंद्रमा होने से जनता की सहानुभूति और संवेदनशीलता बढ़ जाती है, इसलिए चुनाव की घोषणा के बाद जनता का ध्यान पूरी तरह बिहार की राजनीति पर केन्द्रित रहेगा.
6 अक्टूबर 2025 की शाम 4 बजे का समय शरद पूर्णिमा, भद्रा, पंचक, और वर्ज्य काल का संगम है. मुहूर्त चिंतामणि और मैदिनी सिद्धान्तों के अनुसार यह संयोजन संवेदनशील लेकिन स्थायी निर्णयकाल बनाता है. इस घड़ी में लिया गया निर्णय आरंभ में विवादित हो सकता है, लेकिन उसका प्रभाव गहरा और टिकाऊ रहेगा.
यह मुहूर्त जनमानस को आंदोलित करने वाला, पर संस्थागत रूप से सशक्त माना जाएगा. शरद पूर्णिमा का चंद्र, ध्रुव योग का स्थैर्य, और भद्रा का कठोरपन तीनों मिलकर इस चुनाव की प्रक्रिया को कठिन शुरुआत, पर निर्णायक परिणाम की दिशा में ले जा सकते हैं. यह क्षण बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय खोल सकता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
Source: IOCL


















