Maulana Mahmood Madani on Jihad: 'जिहाद' वाली धमकी, आखिर जिद किसकी? | Jamiat Ulamai Hind
आज का महादंगल इस सवाल के साथ कि क्या जो लोग वंदेमातरम कहते हैं.. वो जिंदा नहीं.. मुर्दा कौम का हिस्सा होते हैं.. इस सवाल की शुरुआत हुई.. जमीयत उलेमा-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के बयान से.. भोपाल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गवर्निंग बॉ़डी की बैठक में मौलाना महमूद ने कहा कि..लव जिहाद, लैंड जिहाद, थूक जिहाद जैसे शब्द मुसलमानों को बदनाम करने के लिए गढ़े गए हैं इस्लाम में जिहाद का मतलब अन्याय और ज़ुल्म के खिलाफ संघर्ष है... जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा... मौलाना महमूद मदनी यहीं नहीं रुके.. उन्होंने आगे कहा कि जब वो कहेंगे वंदे मातरम पढ़ो तो पढ़ना शुरू कर देंगे ये पहचान होती है मुर्दा कौम होने की अगर जिंदा कौम हैं तो हौसला बुलंद करना होगा...सवाल ये है कि जुल्म की ये तस्वीर धर्म के चंद ठेकेदारों को ही क्यों दिखती है.. जिहाद की ये मनगढ़ंत परिभाषा बनाने का जिम्मा.. आखिर महमूद मदनी जैसे मौलाना को कौन देता है ...इन्हीं सवालों के साथ मौलाना महमूद मदनी के बयान पर सियासी वार- पलटवार भी शुरू हो गया.. मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने दावा किया कि हिंदुस्तान में रहना है तो वंदेमातरम कहना होगा.. तो कांग्रेस ने मौलाना मदनी के बयान को सही ठहराते हुए सवाल पूछा कि आखिर इस बयान में क्या गलत है.. इन्हीं सवालों और दावों के केंद्र में आज का महादंगल.. लेकिन उसके पहले इस मुद्दे पर जुबानी जंग से समझते हैं कौन किसके संग...


























