क्या होता है फिशिंग क्राइम, जिसका सीबीआई ने किया भंडाफोड़? जानें यह कैसे करता है काम
Phishing Crime: सीबीआई ने हाल ही में फिशिंग क्राइम के सिलसिले में कई लोगों को पकड़ा है. जान लीजिए यह फिशिंग अपराध कैसे काम करता है और आम लोगों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है.

Phishing Crime: अब के दौर में साइबर अपराध तेजी से तरीके बदल रहा है और आम लोग अक्सर इसकी चपेट में आ जाते हैं. हाल ही में सीबीआई ने ऐसे ही एक बड़े फिशिंग क्राइम नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. जो साइबर अपराधियों को फिशिंग मैसेज सर्विस मुहैया कराता था. इस गिरोह के जरिए फर्जी लोन, निवेश और फायदे का लालच देकर लोगों को ठगा जा रहा था.
जांच एजेंसी ने इस मामले में तीन ऑपरेटिव को गिरफ्तार किया है. दिल्ली, नोएडा और चंडीगढ़ में की गई छापेमारी के दौरान एक एक्टिव सिस्टम सामने आया. जिससे बड़े पैमाने पर फिशिंग मैसेज भेजे जा रहे थे. यहां से भारी नकदी, क्रिप्टोकरेंसी और कई डिजिटल सबूत भी बरामद हुए. इस कार्रवाई के बाद फिशिंग क्राइम को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. आखिर क्या होता है यह फिशिंग क्राइम? चलिए आपको बताते हैं.
क्या होता है फिशिंग क्राइम?
फिशिंग क्राइम साइबर धोखाधड़ी का एक ऐसा तरीका है जिसमें अपराधी खुद को बैंक, कंपनी या सरकारी एजेंसी बताकर लोगों को मैसेज या ईमेल भेजते हैं. इन संदेशों में फर्जी लोन, इनाम, निवेश या अकाउंट अपडेट का झांसा दिया जाता है. जैसे ही कोई व्यक्ति दिए गए लिंक पर क्लिक करता है या अपनी पर्सनल जानकारी साझा करता है. अपराधी उसका डेटा चुरा लेते हैं.
इसके बाद बैंक अकाउंट खाली करना, फर्जी लोन लेना या डिजिटल फ्रॉड करना आसान हो जाता है. सीबीआई की जांच में सामने आया कि इस नेटवर्क में हजारों सिम कार्ड का इस्तेमाल किया जा रहा था. जिससे एक साथ बड़ी संख्या में लोगों तक फर्जी मैसेज पहुंचाए जा सकें. यह पूरा सिस्टम तकनीक के सहारे कंट्रोल किया जा रहा था. जिससे अपराधियों की पहचान छुपी रहती थी.
सीबीआई जांच में क्या हुआ खुलासा
सीबीआई ने शुरुआती जांच में करीब 21 हजार ऐसे सिम कार्डों की पहचान की जो नियमों का उल्लंघन कर धोखाधड़ी से हासिल किए गए थे. जांच में यह भी सामने आया कि कुछ टेलीकॉम कंपनियों के चैनल पार्टनर और उनके कर्मचारियों ने अवैध तरीके से इन सिम कार्डों की व्यवस्था की. इन सिम कार्डों को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए कंट्रोल किया जाता था. जिससे बड़े पैमाने पर फिशिंग मैसेज भेजे जाते थे.
सीबीआई के मुताबिक निजी फर्म भगवान महावीर सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड इस पूरे सिस्टम का संचालन कर रही थी. इसी प्लेटफॉर्म के जरिए साइबर अपराधी देशभर में लोगों को फर्जी संदेश भेजकर ठगी कर रहे थे. यह मामला बताता है कि फिशिंग क्राइम अब संगठित नेटवर्क के रूप में काम कर रहा है. जिससे सतर्क रहना पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है.
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Source: IOCL





















