क्या युद्ध जैसे हालात में भी मिलता रहता है सरकारी योजनाओं का पैसा? ये रहा जवाब
सवाल यह उठता है कि जब देश युद्ध जैसे हालात से गुजर रहा हो, तब क्या सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का पैसा जारी रहता है? भारत में इसको लेकर क्या साफ नियम हैं? आइए आपको बताते हैं.

Operation Sindoor: देश की सीमाओं पर भले ही बंदूकें गरज रही हों, लेकिन गांवों में अब भी मनरेगा के तहत मजदूरी का पैसा खाते में आ रहा है, उज्ज्वला योजना की सिलेंडर भरवाई हो रही है और किसान सम्मान निधि के तहत किस्तें ट्रांसफर की जा रही हैं. अब सवाल यह उठता है कि जब देश युद्ध जैसे हालात से गुजर रहा हो, तब क्या सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का पैसा जारी रहता है? भारत में इसको लेकर क्या साफ नियम हैं? आइए आपको बताते हैं.
क्या हैं नियम
दरअसल, भारतीय संविधान और शासन व्यवस्था में ऐसे किसी विशेष आपातकालीन प्रावधान का जिक्र नहीं है जिससे यह कहा जाए कि युद्ध की स्थिति में सभी योजनाएं अपने आप बंद हो जाएंगी. हां, यह जरूर है कि अगर राष्ट्रीय आपातकाल (Article 352) लागू किया जाए, तो कुछ अधिकारों पर रोक लगाई जा सकती है, लेकिन योजनाएं तब भी प्रशासन की मंशा के अनुसार जारी रह सकती हैं.
क्या है आर्टिकल 352
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत, मंत्रियों के मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति संविधान के कई प्रावधानों को रद्द कर सकता है. इससे भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है और संघ बनाने वाले राज्यों को शक्तियों के हस्तांतरण को नियंत्रित किया जा सकता है.
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युद्ध के हालात में ये कदम उठा सकती है सरकार
सरकारें आमतौर पर चाहती हैं कि संकट की घड़ी में आम जनता को राहत मिलती रहे, ताकि सामाजिक असंतोष न फैले. यही वजह है कि 1962 के चीन युद्ध, 1965 और 1971 के पाकिस्तान युद्ध के वक्त भी राशन प्रणाली, पेंशन और गरीबों की दूसरी योजनाएं चलती रहीं. हां, आपूर्ति बाधित होने से कुछ इलाके प्रभावित जरूर होते हैं, लेकिन केंद्रीय ट्रेजरी से पैसा रुकता नहीं है. हालांकि यह भी सच्चाई है कि युद्ध की तीव्रता और दायरा बढ़ने पर प्रशासन की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. अगर किसी इलाके में भारी तबाही हो या सेना का नियंत्रण हो जाए तो स्थानीय निकाय या जिला प्रशासन योजना कार्यों को रोक सकता है. लेकिन यह स्थायी रोक नहीं होती, जैसे ही हालात सामान्य होते हैं, भुगतान फिर से शुरू कर दिया जाता है.
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Source: IOCL





















