क्या ससुर की प्रॉपर्टी में दामाद को मिल सकता है हिस्सा, क्या कहता है भारत का कानून?
भारत में आए दिन बेटी के पिता की प्रॉपर्टी में हक मांगने को लेकर विवाद देखने को मिलता है. ऐसे में अगर आप दामाद होकर ससुर की प्रॉपर्टी में हिस्सा मांगने की सोच रहे हैं तो इस भारतीय कानून को जान लिजिए.

भारत में आए दिन बेटी के पिता की प्रॉपर्टी में हक मांगने को लेकर विवाद देखने को मिलता है. कहीं ये मामले कोर्ट तक जा पाते हैं तो कहीं पर घर में ही दबा दिए जाते हैं. ऐसे में कभी सोचा है कि अगर कोई दामाद अपने ससुर की प्रॉपर्टी में हक मांग ले तो क्या होगा. आपने भी कभी इस बारे में नहीं सोचा होगा.
भारत में हमेशा से ही दामाद और ससुर का रिश्ता पिता पुत्र की तरह माना जाता है, लेकिन जब बात प्रॉपर्टी की आती है तो दामाद अपने फादर इन लॉ की प्रॉपर्टी पर अधिकार नहीं जमा सकता है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि भारत का कानून कहता है. दरअसल, ये बात सभी धर्मों पर लागू होती है कि दामाद का ससुर की प्रॉपर्टी में डायरेक्ट कोई हिस्सा नहीं होता है, फिर चाहे वो हिन्दू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या फिर ईसाई. ऐसे में अपने ससुर की वसीयत पर हहक जमाने से पहले ये नियम और कानून ध्यान से जान लीजिए.
क्या है ये हिंदू उत्तराधिकार कानून?
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 बताता है कि किसी व्यक्ति की प्रॉपर्टी का डिस्ट्रीब्यूशन किस तरह से किया जाएगा यानी कि अगर वो व्यक्ति मर जाता है तो उसकी संपत्ति उसके बच्चों में किस तरह बेटी जाएगी. ऐसे में ये कानून संपत्ति से जुड़े मामलों की संख्या को भी कम करते हैं और इस बात का बेहद ध्यान रखते हैं कि सभी उत्तराधिकारियों को समान अधिकार मिले.
क्यों दामाद को नहीं मिलता हिस्सा?
भारतीय उत्तराधिकार कानून के अनुसार बटवारा केवल पैतृक संपत्ति का होता है. इसके अलावा इस कानून में लीगल इन्हेरिटर्स की लिस्ट भी शामिल है जिसे क्लास 1 और क्लास 2 के उत्तराधिकारियों के बारे में बताया गया है. इसमें क्लास 1 में व्यक्ति के करीबी लोग शामिल है जैसे पत्नि, बेटा, बेटी आदि लोग शामिल होते हैं जबकि वहीं क्लास 2 में अक्सर वह लोग है जो व्यक्ति के दूर के रिश्तेदार होते हैं. लेकिन इन दोनों ही लिस्ट में दामाद का नाम कही शामिल नहीं होता है. जिसके चलते उसे सीधा ससुर की जायदाद में से कोई भी हिस्सा नहीं होता है. हालाकि अगर बेटी को पिता की प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलता है तो दामाद अपनी पत्नी के सहारे इसपर हक जता सकता है.
विल या गिफ्ट है दूसरा तरीका
आपने कई बार देखा होगा कि बेटी की शादी के समय कई बार पिता अपने सन इन लॉ को प्रॉपर्टी गिफ्ट के तौर पर देते हैं. ऐसे में अगर ससुर अपने दामाद के नाम कोई वसीयत करते है तो उसपर पूरा अधिकार दामाद का ही होता है और वो कानूनी रूप से उसकी हो जाती है. हालाकि इसके बाद भी उस प्रॉपर्टी को गिफ्ट डीड के तौर पर रजिस्टर करना बेहद जरूरी है. अब ये पूरी तरह से ससुर की मर्जी पर निर्भर करता है कि वह अपने दामाद को प्रॉपर्टी गिफ्ट करें या नहीं.
बाकी धर्मो के लिए भी समान है कानून
नहीं, भारतीय उत्तराधिकार कानून सभी धर्मों में एक समान लागू नहीं होता है. अगर ससुर मुस्लिम है तो इस मामले में सभी चीज शरीयत के अनुसार तय की जाती है. शरीयत के अनुसार ससुर अपने दामाद को केवल 1/3 प्रॉपर्टी ही दे सकता है. इसके अलावा ईसाई धर्म में भी हिंदुओं की तरह ही वसीयत का बंटवारा होता है और दामाद का कोई हक नहीं होता है. केवल पत्नी के हिस्से में आई प्रॉपर्टी और गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी पर ही दामाद हक जता सकता है.
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Source: IOCL
























