क्या 5G इंसानों के लिए है खतरनाक? वैज्ञानिकों की नई रिसर्च से साफ हुआ सच
5G Network: 5G तकनीक को लेकर काफी समय से सवाल उठते रहे हैं. जब से 5G नेटवर्क आया है, तब से यह कहा जाता रहा है कि इसकी तरंगें पक्षियों को नुकसान पहुंचा रही हैं.

5G Network: 5G तकनीक को लेकर काफी समय से सवाल उठते रहे हैं. जब से 5G नेटवर्क आया है, तब से यह कहा जाता रहा है कि इसकी तरंगें पक्षियों को नुकसान पहुंचा रही हैं. इसी कारण अब यह चिंता इंसानों के बीच भी फैल गई है, क्या 5G की रेडिएशन से हमें भी कोई खतरा है? इस सवाल का जवाब अब सामने आ गया है. वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अहम रिसर्च की है जिसमें ये साफ कर दिया गया है कि 5G तकनीक इंसानों के शरीर पर नकारात्मक असर नहीं डालती.
क्या कहती है वैज्ञानिकों की रिसर्च?
जर्मनी की कंस्ट्रक्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर एक गहन अध्ययन किया. इस स्टडी में इंसानी त्वचा की कोशिकाओं (स्किन सेल्स) को 5G सिग्नल की तेज तरंगों के संपर्क में रखा गया. रिसर्च के दौरान दो तरह की कोशिकाएं – केराटिनोसाइट्स और फाइब्रोब्लास्ट – को 27 GHz और 40.5 GHz की हाई-फ्रीक्वेंसी तरंगों के बीच 2 से 48 घंटे तक एक्सपोज किया गया. इसके नतीजों में यह बात सामने आई कि DNA या जीन की गतिविधियों में कोई बदलाव नहीं हुआ.
DNA पर नहीं पड़ा कोई असर
वैज्ञानिकों ने यह खासतौर पर देखा कि इन तरंगों से DNA methylation यानी जेनेटिक संरचना में कोई परिवर्तन नहीं आया. इसका सीधा मतलब है कि 5G सिग्नल हमारे शरीर के जीन या कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचाते.
गर्मी से ही हो सकता है प्रभाव
हालांकि वैज्ञानिक पहले से ही यह बता चुके हैं कि हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव्स अगर बहुत ज़्यादा गर्मी पैदा करें तो शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं. लेकिन इस रिसर्च में तापमान को पूरी तरह नियंत्रित रखा गया था. जब तापमान नहीं बढ़ा, तो शरीर पर कोई बुरा प्रभाव भी नहीं देखा गया.
5G इंसानों के लिए सुरक्षित है
इस शोध को PNAS Nexus नामक वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित किया गया है. अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि सामान्य परिस्थितियों में 5G तकनीक से इंसानों को कोई स्वास्थ्य संबंधी खतरा नहीं है. 5G को लेकर जो डर और भ्रम फैला था, वह अब इस रिसर्च के बाद खत्म हो सकता है. वैज्ञानिक तौर पर यह साबित हो चुका है कि 5G की तरंगें न तो DNA को नुकसान पहुंचाती हैं और न ही शरीर पर कोई नकारात्मक असर डालती हैं – बशर्ते तापमान सामान्य सीमा में रहे.
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Source: IOCL