IMC 2023 : भाषाओं की दीवार होगी खत्म, 'जियो AI बेस्ड डेवलपमेंट' सॉल्यूशन करेगा ये काम
IMC 2023 : जियो का AI बेस्ड स्किल डेवलेपमेंट सॉल्यूशन, भाषाओं की दीवारें गिरा देता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह रियल टाइम में एक भाषा का कई भाषाओं में अनुवाद कर सकता है.
IMC 2023 : इंडियन मोबाइल कांग्रेस का आज आखिरी दिन है, इसकी शुरुआत 27 अक्टूबर को प्रगति मैदान के भारत मंडम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इस इवेंट में जियो सहित कई दूसरी कंपनियों ने अपने स्टॉल लगाए हैं. आपको बता दें इस बार का इंडियन मोबाइल कांग्रेस का ये इवेंट इसलिए खास है, क्योंकि पहली बार एक साथ 400 से ज्यादा स्टार्टअप ने इसमें भाग लिया है.
वहीं इंडियन मोबाइल कांग्रेस के इस इवेंट में जियो ने अपना AI बेस्ड डेवलपमेंट सॉल्यूशन भी पेश किया है, जिसकी वकालत मुकेश अंबानी ने करीब दो माह पहले रिलायंस की AGM में ‘AI फॉर एवरीवन’ की वकालत की थी. तब किसी को अंदाजा नही था कि केवल दो महीनों में जियो स्वदेशी AI टेक्नोलॉजी की झलक दिखा देगी. इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2023 में जियो के AI टेक्नोलॉजी बेस्ड स्किल डेवलपमेंट सॉल्यूशन को देखा जा सकता है.
9 भाषाओं का सपोर्ट करता है ये
जियो का AI बेस्ड स्किल डेवलेपमेंट सॉल्यूशन, भाषाओं की दीवारें गिरा देता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह रियल टाइम में एक भाषा का कई भाषाओं में अनुवाद कर सकता है. अगर दिल्ली में बैठा कोई शिक्षक अंग्रेजी में ऑनलाइन पढ़ा रहा होगा तो चेन्नई, कोलकता, अहमदाबाद और मुंबई में बैठे छात्र इसे क्षेत्रिय भाषाओं यानी तमिल, बंग्ला, गुजराती और मराठी में सुन सकेंगे. अभी यह सॉल्यूशन तमिल, कन्नड़, मराठी, गुजराती, बंगाली, तेलगु, मलयालम, अंग्रेजी और हिंदी जैसी नौ भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है.
AI टेक्नोलॉजी बेस्ड स्किल डेवलेपमेंट सॉल्युशन जियो ने रेडिसिस के साथ साझेदारी में बनाया है. इस भाषाई सॉल्यूशन का इस्तेमाल करना बेहद आसान है. जियो-मीट के जरिए जियो-रेडिसिस प्लेटफॉर्म लॉगइन कर, अपनी पसंदीदा भाषा का चुनाव करें. एक बार लॉगइन होने पर छात्र या प्रशिक्षु को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में हुई बातचीत का लाइव अनुवाद यानी ऑडियो और ट्रांसक्रिप्शन मिलने लगेगा. भविष्य की जरूरतों के लिए इस अनुवाद और ट्रांसक्रिप्शन को प्रिंट या डिजिटल तौर पर रखा जा सकता है. जियो के सॉल्यूशन में कंटेंट शेयरिंग की भी सुविधा भी उपलब्ध है.
अनुवाद के साथ यह टू-वे इंटरैक्टिव कम्युनिकेशन को भी सपोर्ट करता है. इसका मतलब छात्र या प्रशिक्षु केवल सुन ही नही रहे होंगे वे चाहें तो अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में सवाल भी पूछ सकेंगे. अगर मुंबई में बैठा कोई छात्र या प्रशिक्षु मराठी में सवाल करता है तो बाकी छात्र, शिक्षक या ट्रेनर उसे अपनी-अपनी पसंद की भाषा में सुन सकेंगे. इससे पढ़ाई और प्रशिक्षण के अनुभव को इंटरैक्टिव और बेहतर बनाया जा सकता है.
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