Uttarkashi Tunnel Rescue Highlights: टनल में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन तेज, अधिकारी बोले- अंदर फंसे मजदूर स्वस्थ, मानसिक हालत भी ठीक
Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue Highlights: उत्तरकाशी में 12 नवंबर की सुबह से 41 मजदूर टनल में फंसे हुए हैं. इन्हें बचाने के लिए चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में लगातार रुकावटें आ रही हैं.

Background
Uttarkashi Tunnel Accident Rescue Highlights: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसके अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चल रहा है. इस हादसे को आज नौवां दिन है. रविवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी घटलास्थल पर पहुंचे. उन्होंने बचाव कार्यों का निरीक्षण करने के बाद कहा कि फंसे लोगों को जरूरी सामान की आपूर्ति के लिए मलबे में एक और बड़े व्यास की पाइपलाइन डाली जा रही है. रेस्क्यू में में दो से ढाई दिन और लग सकते हैं.
बचाव अभियान में आयी रुकावट के बाद अधिकारियों ने शनिवार को श्रमिकों तक जल्द पहुंचने के लिए सुरंग के उपर से 'वर्टिकल' ड्रिलिंग करने की तैयारी शुरू की. गडकरी ने कहा कि इन परिस्थितियों में क्षैतिज खुदाई ही 'सर्वश्रेष्ठ विकल्प' लगता है और अगर आगर मशीन के रास्ते में बाधा नहीं आती तो फंसे श्रमिकों तक ढाई दिनों में पहुंचा जा सकता था.
मंत्री ने कहा कि श्रमिक सुरंग के अंदर ऐसे स्थान पर फंसे हैं जहां वे आसपास घूम सकते हैं. उनके पास खुली जगह, बिजली, खाना, पानी और आक्सीजन है. सिलक्यारा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में अधिकारियों के साथ एक लंबी बैठक के बाद गडकरी ने कहा, ''फंसे श्रमिकों को बचाना और उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालना सबसे बड़ी प्राथमिकता है.''
मौके पर रविवार शाम को भी ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पाई लेकिन अधिकारियों ने कहा कि मलबे को भेदने और उसमें बड़े व्यास के स्टील पाइप डालकर श्रमिकों के लिए 'एस्केप पैसेज' बनाने के लिए आगर मशीन को फिर से चलाए जाने की तैयारी चल रही है. सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया है कि मलबे की सतह और सुरंग की छत के बीच की जगह का परीक्षण करने के लिए रोबोट की मदद ली सकती है.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि अगर आगर मशीन ठीक तरह से काम करती है और उसे किसी बड़ी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ता है तो यह मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग कर फंसे श्रमिकों तक सबसे जल्दी पहुंचने का तरीका है. हालांकि, श्रमिकों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने को सबसे बड़ी प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि सुरंग के दोनों छोरों से क्षैतिज, सुरंग के उपर से वर्टिकल और सुरंग के दांये और बाएं से ड्रिलिंग करने के सभी विकल्पों को तलाशा जा रहा है.
अंदर फंसे मजदूरों को खाने में दिया जा रहा कम तेल- कुक
उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे हुए श्रमिकों के लिए भोजन तैयार किया जा रहा है. कुक संजीत राणा ने बताया, "उन्हें(श्रमिक) कम मिर्ची, कम मसालेदार और कम तेल वाला खाना दिया जा रहा है... पाइप छोटा है इसलिए इतना खाना दिया जा रहा है जो आसानी से अंदर तक जा सके."
अधिकारी ने दी जानकारी
अपर सचिव तकनीकी, सड़क एवं परिवहन महमूद अहमद ने बताया कि हमने पांच-छह एजेंसियों को इकट्ठा किया है. हर एजेंसी को स्पेसिफिक टास्क दिया गया है. इन सब एजेंसी के बीच तालमेल रहे इसके लिए हमारी टीम यहां से मोनिटर कर रही है. हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द अंदर जो हमारे भाई (मजदूर) फंसे हैं उनको बाहर निकाल लें. NHIDCL ने खाना, दवाइयां और ऑक्सीजन की व्यवस्था की है. अंदर पूरे तौर पर से बिजली की सप्लाई है. दो किलोमीटर जगह वहां पर बिल्कुल साफ है क्योंकि टनल बना हुआ था. हमने उनसे बातचीत की है और वीडियो भी ले पाए हैं. हमें पता चला कि वो तंदुरुस्त हैं और उनकी मानसिक हालत भी ठीक है. इस बात से हमें भी बहुत ज्यादा उत्साह हुआ.
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Source: IOCL























