Uttarakhand: कोसी नदी में अवैध खनन पर सीक्रेट रेड, DFO और SDO ने संभाली कमान, मिलीभगत की खुली पोल
Uttarakhand News: उत्तराखंड वन विभाग ने कोसी नदी में होने वाले अवैध खनन पर बड़ी कार्रवाई करते हुए छह वाहन जब्त किए हैं. इस बार डीएफ़ओ और एसडीओ ने फील्ड स्टाफ को बताए बिना छापेमारी की.

Uttarakhand News: उत्तराखंड के रामनगर में बहने वाली कोसी नदी में अवैध खनन को लेकर एक बड़ी कार्रवाई हुई, लेकिन इस बार तरीका पूरी तरह से अलग था. आमतौर पर खनन पर नजर रखने की जिम्मेदारी फील्ड स्टाफ की होती है, लेकिन इस बार बड़े अधिकारियों ने खुद गुप्त ऑपरेशन करके फील्ड स्टाफ को चौंका दिया. खुद डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) और एसडीओ (सब डिविजनल ऑफिसर) ने खास रणनीति बनाई और कार्रवाई करते हुए खनन माफिया के छह वाहनों को जब्त कर लिया.
खनन माफिया अक्सर प्रशासन की चाल को पहले ही भांप लेते हैं और समय रहते अपने वाहनों को हटा देते हैं, जिससे कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती लेकिन इस बार डीएफओ और एसडीओ ने खास रणनीति बनाई. दोनों अधिकारी बिना किसी पूर्व सूचना के, बाइक पर सवार होकर जंगल के रास्ते से छापेमारी के लिए निकले. चूंकि इस अभियान की जानकारी किसी को नहीं थी, इसलिए खनन माफिया और उनके सूत्रों को इसकी भनक तक नहीं लगी.
डीएफ़ओ और एडीओ का सीक्रेट ऑपरेशन
दोनों अधिकारी जब मौके पर पहुंचे तो कोसी नदी में खुलेआम अवैध खनन चल रहा था. कई वाहन खनन सामग्री लेकर खड़े थे और तेजी से रेत निकाली जा रही थी. जिसके बाद अधिकारियों ने छह गाड़ियों को जब्त कर लिया. सूत्रों के अनुसार कई बार खनन माफिया के खिलाफ शिकायतें आती थीं, लेकिन मौके पर पहुंचने पर कोई सबूत नहीं मिलता था, जिसके बाद शक होने पर स्थानीय फील्ड स्टाफ की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी.
जांच के दौरान एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ. पता चला कि अवैध खनन से जुड़े लोगों ने एक गुप्त व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा था, जिसमें फील्ड स्टाफ और खनन माफिया के लोग जुड़े हुए थे. इस ग्रुप के जरिए अधिकारियों की मूवमेंट की पूरी जानकारी दी जाती थी. हर बार जब भी कोई अधिकारी निरीक्षण के लिए निकलते, तो फील्ड स्टाफ पहले ही माफिया को खबर कर देता था.
खनन माफिया के 6 वाहन जब्त
इस बार, डीएफओ और एसडीओ ने जब अचानक छापा मारा, तो यह पूरा सिस्टम ध्वस्त हो गया. अधिकारियों ने मौके पर मौजूद फील्ड स्टाफ के मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन-कौन इस गुप्त सूचना तंत्र का हिस्सा था. इस छापेमारी के बाद वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि अवैध खनन सिर्फ कुछ स्थानीय गुंडों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें विभाग के भीतर के लोग भी शामिल हो सकते हैं.
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि इस मामले की गहराई से जांच की जाएगी. जिन फील्ड कर्मचारियों के मोबाइल जब्त किए गए हैं, उनकी कॉल डिटेल और व्हाट्सएप चैट की भी जांच की जाएगी. अगर किसी बड़े अधिकारी की संलिप्तता पाई गई, तो उस पर भी कार्रवाई होगी. जब्त वाहनों के मालिकों की पहचान की जा रही है. इसके अलावा, खनन माफिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी तैयारी की जा रही है.
कोसी नदी में अवैध खनन के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है. नदी के किनारों का कटाव बढ़ गया है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति बनने का खतरा है. स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि खनन माफिया और उनके साथ मिलीभगत करने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. इस कार्रवाई के बाद वन विभाग की अगली कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.
Source: IOCL





















