यूपी में जातिगत सम्मेलन पर सियासत गरम, सरकार की रोक के बावजूद कांग्रेस ने किया बड़ा ऐलान
UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश और यूपी सरकार की ओर से जातिगत सम्मेलनों पर रोक के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने 9 अक्टूबर से इन सम्मेलनों की शुरुआत का ऐलान किया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश और यूपी सरकार की ओर से जातिगत सम्मेलनों पर रोक के ऐलान के बावजूद अब कांग्रेस अपने जातिगत सम्मेलन करने जा रही है. यूपी कांग्रेस के ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष मनोज यादव ने बताया कि 9 अक्टूबर से इन सम्मेलनों की शुरुआत होगी. पहला सम्मेलन महोबा में होगा. इसमें अक्टूबर से नवंबर के बीच कुल 17 सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे.
मनोज यादव ने कहा कि देशभर में कई जातिगत संगठन अपने-अपने समाज के उत्थान के लिए काम करते हैं. ऐसे में इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाना सरकार की मंशा हो सकती है, लेकिन कोर्ट ने इस पर स्पष्ट तौर पर कोई रोक नहीं लगाई है.
बीजेपी ने नहीं पूरे किये जातिगत सम्मेलन के वादे- कांग्रेस
उन्होंने याद दिलाया कि 2022 चुनाव से पहले बीजेपी ने भी लखनऊ के विश्वेश्वरैया हॉल में जातिगत सम्मेलन कर वादे किए थे, लेकिन आज तक वे वादे पूरे नहीं हुए. कांग्रेस का मकसद जातियों की समस्याओं को सुनना और उनके उत्थान पर चर्चा करना होगा.
जातिगत सम्मेलन को लेकर कांग्रेस ने दिया ये तर्क
कांग्रेस नेता मनोज यादव का कहना है कि तमाम ऐसी जातियां और वर्ग हैं जिनकी अपनी अलग-अलग समस्याएं हैं और बिना उनकी समस्याओं को सुने हम उनका समाधान नहीं कर सकते. उनकी समस्याओं को जानने के लिए और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए यह सम्मेलन हो रहे हैं, जिससे उनको कामकाज में कोई दिक्कतें का ना सामना करना पड़े.
कांग्रेस के ऐलान पर क्या बोली सपा?
वहीं समाजवादी पार्टी के फखरुल ने कांग्रेस के सम्मलेन पर कहा कि कोर्ट और सरकार के आदेश के बावजूद एनडीए के सहयोगी निषाद पार्टी समेत कुछ संगठन अपने जातीय सम्मेलन के पक्ष में आवाज उठा चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि भाजपा और उसके सहयोगी संगठन आखिर क्या चाहते हैं?
कांग्रेस नेता ने कहा कि अयोध्या में भी 5 अक्टूबर को एक ब्राह्मण सम्मेलन होने की तैयारी है. फखरुल का कहना है कि कांग्रेस सही कह रही है, क्योंकि भाजपा ने अतीत में बड़े जातिगत सम्मेलन किए, लेकिन उनसे किए वादे पूरे नहीं हुए हैं.
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