UP Assembly: यूपी विधानसभा में मोबाइल ले जाने पर लगा बैन, BJP सहित सभी दलों के विधायकों ने किया विरोध
UP Assembly Mobile Ban: बीजेपी विधायक शशांक त्रिवेदी ने कहा कि सदन में मोबाइल फोन ले जाने पर प्रस्तावित प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए, लेकिन इस बात पर सहमत हुए कि इसका उपयोग प्रतिबंधित होना चाहिए.

UP News: उत्तर प्रदेश के विधायक नई नियम पुस्तिका में प्रस्तावित राज्य विधानसभा में मोबाइल फोन ले जाने पर प्रतिबंध के खिलाफ हैं. विधायकों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सोमवार को सदन में पेश मसौदा नियम पुस्तिका में संशोधन पेश किया है. उन्होंने प्रश्नकाल की अवधि बढ़ाने, हर साल विधानसभा की बैठक 90 दिन करने, पूरक प्रश्नों की संख्या बढ़ाने, सदन के कामकाज में महिला सदस्यों की बड़ी भूमिका और उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जो सदस्यों की तरफ से की गई कॉल को रिकॉर्ड करके इसे सोशल मीडिया पर वायरल करते हैं.
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि सदस्य नए नियमों में संशोधन का सुझाव दे सकते हैं जिन्हें मसौदा नियम पुस्तिका, यूपी विधानसभा की प्रक्रियाओं और कार्य संचालन के नियम, 2023 में शामिल करने के लिए राज्य विधानसभा की नियम समिति को भेजा जाएगा. जब सोमवार को सदन में मसौदा नियम पुस्तिका पेश की गई, तो सदस्यों को संशोधन पेश करने के लिए दो दिन का समय दिया गया।. अध्यक्ष ने कहा कि नए नियमों की विस्तृत व्याख्या वाली एक पुस्तक प्रकाशित की जाएगी.
प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए- बीजेपी विधायक
बीजेपी विधायक शशांक त्रिवेदी ने कहा कि सदन में मोबाइल फोन ले जाने पर प्रस्तावित प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए, लेकिन इस बात पर सहमत हुए कि इसका उपयोग प्रतिबंधित होना चाहिए. एक अन्य बीजेपी विधायक ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि आज के समय में कोई भी मोबाइल फोन पर संदेशों के जरिए अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ा रह सकता है. उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में हम विधानसभा की कार्यवाही के दौरान अपने फोन को साइलेंट मोड पर रखते हैं.
'दो से अधिक पूरक प्रश्न पूछने का अवसर मिलना चाहिए'
समाजवादी पार्टी के विधायक लालजी वर्मा ने कहा कि सदस्यों को दो से अधिक पूरक प्रश्न पूछने का अवसर दिया जाना चाहिए और मसौदा नियम पुस्तिका के नियम 74 के तहत प्रस्तावित 5,000 रुपये के जुर्माने को कम करके 500 रुपये किया जाना चाहिए. इसके अलावा कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा 'मोना' ने कहा कि राज्य विधानसभा ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई पहल की है. सदन के कामकाज में महिला सदस्यों की भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए. विधानसभा में पेश किए गए विधेयकों का अध्ययन करने के लिए एक स्थायी समिति का गठन किया जाना चाहिए.
प्रश्नकाल की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए- बीएसपी
वहीं बहुजन समाज पार्टी के नेता उमा शंकर सिंह ने कहा कि अधिकतम प्रश्नों को शामिल करने के लिए प्रश्नकाल की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए. राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के सदस्य अजय कुमार ने कहा कि मंत्रियों की ओर से जवाब के लिए अधिकतम 20 प्रश्न उठाए जाने के बाद ही प्रश्नकाल समाप्त होना चाहिए. स्पीकर ने कहा कि प्रतिबंध का प्रस्ताव इसलिए किया गया ताकि सदस्यों को असुविधा न हो और सदन सुचारू रूप से चले.
ये भी पढ़ें- CM Yogi Education: कितने पढ़े लिखे हैं यूपी के सीएम CM योगी आदित्यनाथ, जानें- उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















