अमेठी: दलित भाई परिवार समेत जर्जर पंचायत भवन में रहने को मजबूर, नहीं मिला किसी योजना का लाभ
सरकार गरीबों व वंचितों को आवास समेत तमाम सुविधाओं का दावा तो करती है लेकिन ये सभी दावे उस वक्त खोखले साबित हो जाते हैं, जब गरीब परिवार को एक अदद आवास भी नहीं मिलता. अमेठी में दलित परिवार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

अमेठी: एक तरफ जहां प्रदेश की बीजेपी सरकार 2022 तक हर गरीब के सर पर पक्की छत देने की बात कर रही है तो वही दूसरी तरफ़ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी अधिकारियों की लापरवाही से दो दलित सगे भाइयों के परिवार पिछले तीन सालों से गांव के बाहर बने पंचायत भवन में रहने को मजबूर है. जब ऐसी तस्वीरें निकल कर सामने आती हैं तो सरकार के सभी दावों पर पानी फिर जाता है. साथ ही उसके सरकारी नुमाइंदों की इंसानियत मिट्टी में मिल जाती है और उस परिवार के लिये बस बचती है तो उम्मीद.
हादसे में दोनों भाइयों के मकान जल गये थे
मामला जामो ब्लाक के जनापुर ग्राम पंचायत के गढ़ीलालशाह गांव का है. जहां रहने वाले दो दलित सगे भाई राम अवध और गंगादीन के रिहायशी कच्चे मकान में तीन साल पहले आग लग गई, जिसकी वजह से दोनों की गृहस्थी जलकर राख हो गई और आग से उनके मवेशियों की भी मौत हो गई. आग लगने के बाद दोनों भाइयों ने आवास के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए लेकिन उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली, जिसके बाद दोनों ने अपने परिवार के साथ गांव के बाहर बने पंचायत भवन में अपना आशियाना बनाया और पिछले तीन साल से वो अपने परिवार के साथ उसी जर्जर पंचायत भवन में रह रहे हैं. वहीं पीड़ितों की माने तो उनके तीन साल पहले उनके घर मे आग लग गई, जिससे उनका सारा सामान जलकर राख हो गया और उनके मवेशी भी मर गए. अब वो अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ जर्जर पंचायत भवन में रहने को मजबूर हैं.
वहीं, दूसरे पीड़ित गंगादीन की मानें तो आग से उनका सब कुछ तबाह हो गया. जिसके बाद वो तीन सालों से इसी जर्जर पंचायत भवन में रह रहे हैं. कई बार उन्होंने इसकी शिकायत की लेकिन आज तक उनके पास कोई नहीं आया, यहां तक कि ग्राम प्रधान ने भी उनकी सुध नहीं ली.
अधिकारियों ने दी सफाई
वहीं, मामला मीडिया में आने के बाद अधिकारियों ने भी सफाई देनी शुरू कर दी और पूरे मामले पर अमेठी सीडीओ ने कहा कि ये मामला मेरे संज्ञान में आया था, जो जामो ब्लाक के गांव जनापुर का है. जहां राम अवध और गंगादीन जो हरीबख्श के पुत्र हैं. इनमे से राम अवध के खाते में मुख्मयंत्री आवास योजना के अंतर्गत तीन किश्त खाते में ट्रांसफर हो गई हैं. दूसरे बेटे गंगादीन के 2020-21 के आवास प्लस में उनका नाम था और उनका आवास भी सेंक्शन हो गया है और पहली किश्त के लिए डोंगल भी लगाया जा चुका है.
अब उठ रहे हैं सवाल
अब सवाल यह है कि जनपद में हर गरीबों तक पीएम आवास योजना के पात्र लाभार्थियों तक पक्के आवास पहुंचाने का दावा करने वाले सरकार और प्रशासन की योजनाएं आखिर कहां चली जाती हैं? जो इस गरीब परिवार को करीब तीन साल से पंचायत भवन में रहने को मजबूर होना पड़ा रहा है. सवाल प्रशासन से भी है कि क्या ये परिवार इस योजना के पात्र नहीं है. अगर है तो लाभ क्यों नहीं मिला और नहीं है तो किस तरह होती है, पात्रता एक बड़ा सवाल जरुर खड़ा करता है.
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Source: IOCL





















