Shamli News: जेल से रिहाई के बाद भी घर नहीं जा सके 70 साल के पाकिस्तानी मोहम्मद वारिस, ये है वजह
Shamli News: यूपी के शामली में एक 70 साल के पाकिस्तानी नागरिक रिहा होने के बाद भी अपने घर नहीं पहुंच पाएं है. अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान ने उन्हें अपना नागरिक मानने इनकार कर दिया है.

Shamli 70 Year Old Pakistani Citizen Waiting to Return Home: यूपी के शामली (Shamli) में एक 70 साल के बुजुर्ग पाकिस्तानी नागरिक (Pakistani Citizen) 19 साल जेल में गुजारने के बाद साल 2019 में रिहा हो गए लेकिन अब तक अपने घर नहीं पहुंच पाए हैं. जेल से रिहा होने के बाद भी वो पुलिस की निगरानी में हैं क्योंकि पाकिस्तान ने उन्हें अपना नागरिक मानने से ही इनकार कर दिया है. पाकिस्तान नागरिक मोहम्मद वारिस उर्फ रजा (Mohd Waris) को आतंक के आरोप में गिरफ्तार किया गया था लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने उन्हें 2019 में बरी कर दिया. रिहा होने के बाद भी वो अपने घर नहीं पहुंच पाए. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पाकिस्तान (Pakistan) के वजीराबाद में रह रहे उनके बेटे गुलजार वारिस ने बताया कि उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि वो पिछले कुछ सालों से कहां हैं.
साल 2000 में पुलिस ने किया था गिरफ्तार
मोहम्मद वारिस पाकिस्तान के गुजरांवाला में वजीराबाद इलाके के रहने वाले हैं. साल 2000 में उन्हें शामली के जोला गांव से गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त उनकी उम्र 48 साल थी. वारिस के बेटे गुलजार वारिस ने बताया कि उनके पिता शामली में अपने पुराने दोस्त से मिलने के लिए गए थे. जहां पुलिस ने उन्हें कुछ हैंडग्रेनेट और बंदूकों के साथ गिरफ्तार करने का दावा किया. उनके साथ चार स्थानीय लोगों को भी गिरफ्तार किया गया जिनमें अशफाक नन्हें भी थे जिनके घर वारिस रुके हुए थे. जांच के बाद पुलिस ने आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के साथ कनेक्शन और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में आईपीसी की धारा 212 के तहत मामला दर्ज किया.
वारिस अदालत में आरोपों से इनकार किया
मोहम्मद वारिस ने अदालत में सभी आरोपों से इनकार किया और बताया कि उनके पास से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ है और वो वैध पासपोर्ट पर भारत आए हैं लेकिन कांधला पुलिस स्टेशन में बहस के दौरान पुलिस ने उनका पासपोर्ट फाड़ दिया. मुजफ्फरनगर ट्रायल कोर्ट ने साल 2017 में वारिस और नन्हें दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई. हालांकि वारिस को पासपोर्ट अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के आरोपों के तहत बरी कर दिया गया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2019 में रिहा किया
साल 2019 में वारिस ने बरेली की जेल से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका डाली जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से केस में गंभीर कानूनी विसंगतियां हैं. लेकिन विदेश अधिनियम के तहत निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा, जिसके तहत उन्हें 3 साल की सजा होनी थी. लेकिन क्यूोकि वो पहले से ही 19 साल जेल में रह चुके थे, ऐसे में दिसंबर 2019 में उन्हें रिहा कर दिया गया.
पाक ने किया नागरिक मानने से इनकार
इस बारे में जब भारतीय अधिकारियो से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वारिस पाकिस्तान इसलिए नहीं जा सके हैं क्योंकि पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें अपना नागरिक मानने से ही इनकार कर दिया है. जानकारी मिली है कि इस बारे में पाकिस्तान से बात की जा रही है लेकिन क्योंकि वो एक पाक नागरिक हैं इसलिए उन्हें सार्वजनिक तौर पर घूमने नहीं दिया जा सकता.
बेटे को पिता की वापसी का इंतजार
वारिस के बेटे गुलजार के बताया कि उनका गुजरांवाला में दूध का कारोबार है. उन्हें पता चला कि उनके पिता 2019 में रिहा हो चुके हैं. लेकिन वो कहां है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. लेकिन उन्हें मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला कि वो जिंदा है इसके लिए वो ईश्वर को धन्यवाद देते हैं.
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Source: IOCL





















