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Prayagraj: बाढ़-बारिश से प्रभावित हो रही हैं प्रयागराज में माघ मेले की तैयारियां, अभी तक शुरू नहीं हो सका है काम

प्रयागराज में गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण माघ मेले की तैयारी शुरू नहीं हो पाई है. यहां मेले से कुछ महीने पहले तंबुओं का शहर बसाना पड़ता है जिसका काम शुरू नहीं हो पाया है.

UP News: संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में हर साल माघ के महीने में गंगा, (Ganga) यमुना (Yamuna) और अदृश्य सरस्वती (Saraswati) की त्रिवेणी (Triveni) के तट पर लगने वाले आस्था के सबसे बड़े मेले के आयोजन पर इस बार संकट के बादल मंडरा रहे हैं. दरअसल माघ मेले में आने वाले लाखों कल्पवासियों, संत- महात्माओं और श्रद्धालुओं के लिए गंगा की रेती पर अस्थाई तौर पर अलग से तम्बुओं का शहर आबाद किया जाता है. जिस जगह मेला बसता है, वहां इस बार अब भी गंगा का पानी बह रहा है. गंगा के बढ़े हुए जलस्तर और लगातार हो रही बारिश की वजह से मेले की तैयारियां अभी तक शुरू भी नहीं की हो सकी हैं. 

पहले अक्टूबर में शुरू हो जाती थी तैयारियां

प्रयागराज में संगम की रेती पर हर साल माघ के महीने में आस्था का ऐसा मेला लगता है, जिसके लिए अलग से तम्बुओं का शहर आबाद करना पड़ता है. लोहे की चकर्ड प्लेट्स के ज़रिए सड़कें बनाई जाती हैं तो पीपे के आधा दर्जन पुलों से लोग नदी पार करते हैं. आस्था के इस मेले में अस्पताल,बाज़ार, पुलिस थाने से लेकर ज़्यादातर सरकारी विभागों के वह दफ्तर भी होते हैं, जो किसी शहर के लिए ज़रूरी होते हैं. बिजली-पानी और शौचालय के भी विशेष इंतजाम किए जाते हैं. तम्बुओं का शहर गंगा की रेती पर जिस जगह आबाद किया जाता है, वहां इस बार या तो मोक्षदायिनी गंगा की धारा प्रवाहित हो रही है या फिर कुछ दिनों पहले पानी भरा होने से मिट्टी दलदल बनी हुई है. इसके साथ ही अक्टूबर के महीने में लगातार बारिश भी हो रही है. ऐसे में माघ मेले के आयोजन की तैयारियां अभी तक शुरू ही नहीं हो सकी हैं. मेला क्षेत्र में अक्टूबर के महीने में ही लोहे की चकर्ड प्लेट बिछने लगती थीं. गंगा नदी पर पांच पांटून पुल बनने लगते थे और साथ ही बिजली विभाग और जल निगम की लाइनें बिछाने के काम शुरू हो जाते थे. 

अब ऐसे तैयारी करने का किया गया फैसला

 हर साल सितंबर के पहले और दूसरे हफ्ते में बाढ़ का पानी थमने के बाद गंगा की धारा सिमट जाती थी, लेकिन इस बार पीछे से लगातार पानी छोड़े जाने की वजह से न सिर्फ जलस्तर बढ़ा हुआ है, बल्कि गंगा का पाट भी काफी फैला हुआ है. इसके साथ ही लगातार हो रही बारिश भी मेले की तैयारियों को प्रभावित कर रही है. माघ मेला अधिकारी अरविंद चौहान के मुताबिक़ गंगा के बदले हुए स्वरूप की वजह से इस बार आयोजन में दिक्कतें ज़रूर हो रही हैं, लेकिन मेले का आयोजन  हर हाल में होगा, बल्कि सभी तैयारियां समय पर पूरी भी कर ली जाएंगी. गंगा और यमुना नदियों का पानी घटने और दलदल सूखने के बाद दिन-रात लगातार काम कराकर इंतजामों को वक्त पर पूरा करा दिया जाएगा.

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चमत्कार की उम्मीद कर रहे तीर्थ पुरोहित

तीर्थ पुरोहित प्रदीप पांडेय का कहना है कि उन्हें तो अब गंगा मैया से ही चमत्कार ही उम्मीद है. वह अपने भक्तों को कतई निराश नहीं करेगी और कुछ ऐसा ज़रूर करेंगी, जिससे लोगों की आस्था प्रभावित न हो. इस बार का माघ मेला 6 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से शुरू होगा और 18 फरवरी को महाशिवरात्रि तक चलेगा. मेले में इस बार भी छह प्रमुख स्नान पर्व होंगे. इनमें 6 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 15 जनवरी को मकर संक्रांति, 21 जनवरी को मौनी अमावस्या, 26 जनवरी को बसंंत पंचमी और 5 फरवरी को माघी पूर्णिमाा का स्नान पर्व शामिल है. मेले को इस बार भी 6 सेक्टरों में बसाया जाएगा. प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने माघ मेले के आयोजन के लिए 80 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा है.

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