परेशान हो रहे हैं मरीज, जिला अस्पताल में नहीं है एंटी रैबीज इंजेक्शन
सरकार अक्सर ये दावा करती है कि जिले के अस्पलातों में दवाई मुफ्त और हर वक्त उपलब्ध रहती है। शहर का जिला अस्पताल इन दावों का माखौल उड़ा रहा है।

बुलंदशहर,एबीपी गंगा: सरकार अक्सर ये दावा करती है कि जिले के अस्पलातों में दवाई मुफ्त और हर वक्त उपलब्ध रहती है। शहर का जिला अस्पताल इन दावों का माखौल उड़ा रहा है। अगर आपको कुत्ता, बंदर, बिल्ली, भेड़िया, ऊंट या फिर गीदड़ काट ले तो एआरवी (एंटी रेबीज इंजेक्शन) लगवाने को जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में इसका स्टॉक खत्म हो चुका है। जिसके चलते मरीज परेशान हो रहे हैं। इंजेक्शन खत्म होने की सूचना जिला अस्पताल में चस्पा कर दी गई है।
वैसे तो जिलेभर में एआरवी का टोटा काफी दिनों से चल रहा है। लेकिन जिला अस्पताल में इंजेक्शन लग रहे थे। पांच अप्रैल की दोपहर को जिला अस्पताल में भी एआरवी खत्म हो गई। इंजेक्शन उपलब्ध कराने के बजाए स्वास्थ्य अधिकारियों ने जिला अस्पताल की ओपीडी में एआरवी खत्म होने कानोटिस चस्पा कर दिया। बुधवार सुबह ओपीडी शुरु हुई तो मरीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचे। लेकिन स्टॉक खत्म था। इसलिए इंजेक्शन नहीं लग सकता। कई महिलाएं तो यहां तैनात डाक्टरों को चार बातें सुनाकर उलझने को तैयार थीं। डाक्टर ने हाथ जोड़कर महिला मरीजों से किसी तरह पीछा छुड़ाया। कई मरीजों ने इंजेक्शन न लगने पर शोर-शराबा भी किया, जिनको समझाकर शांत किया गया। बाजार में 270 से 350 रुपये का इंजेक्शन
सरकारी अस्पताल में फ्री लगने वाला इंटरामशकूलर एक इंजेक्शन की कीमत 270 से 350 रुपये के बीच है। ये पांच इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं।
सरकारी अस्पताल में इंटराडरमल
सरकारी अस्पताल में डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार इंटराडरमल इंजेक्शन लगता है, जोकि पहले दिन, तीसरे दिन, सातवें दिन और अठाइसवें दिन लगता है। कुत्ता, बंदर, बिल्ली, गीड़द के काटने पर एआरवी लगवाना जरूरी हो जाता है।
दस दिन के भीतर मरता है कुत्ता
अगर कुत्ते के शरीर में रैबीज होता है तो वह दस दिन के भीतर मर जाता है। इसलिए कुत्ते के पागल होने की पुष्टि के लिए मरीज को दस दिन का इंतजार करना पड़ता है।
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