संभल का इतिहास संजोएगी पतंजलि योगपीठ, DM बोले- 'तीनों कोनों पर महादेव के मंदिर'
UP News: संभल के इतिहास के पुनर्लेखन का काम पतंजलि योगपीठ करेगी. जिसे लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें संभल जिला प्रशासन और पतंजलि योग पीठ के बीच इसे लेकर एक एमओयू भी हो गया है.

Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल के इतिहास के पुनर्लेखन का काम पतंजलि योगपीठ करेगी. पौराणिक गाथाओं और ऐतिहासिक विरासत का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा, इसी क्रम में एक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में डीएम, एसपी और पतंजलि योग पीठ के अधिकारी शामिल रहे. पतंजलि योगपीठ की ओर से बताया गया कि संभल की पौराणिक गाथाएं, उनके ऐतिहासिक वर्णन और आर्कियोलॉजिकल के बारे में वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन किया जाएगा और उसका डिजिटल डाटा भी रिकॉर्ड किया जाएगा. जिससे संभल की ऐतिहासिक विरासत को प्रामाणिक रूप से पुनर्स्थापित किया जा सके, इसके लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा और प्रशासन से सहयोग लिया जाएगा. इसके ऐतिहासिक महत्व को संजोए रखा जाए और संभल शहर का महत्व दुनियाभर में पहचाना जाए,
डीएम संभल राजेन्द्र पेंसिया ने बताया कि संभल प्राचीन शहर की प्राचीन विरासत को पतंजलि योगपीठ द्वारा संवारा जाएगा, इसके लिए काम किया जा रहा है, प्राचीन 68 तीर्थों में से अभी 41 तीर्थ ही चिह्नित किए गए हैं, 27 तीर्थों की जानकारी सामने नहीं आई है. जबकि संभल महात्म्य में किए गए उल्लेख के अनुसार संभल नगर और उसके आसपास 68 तीर्थ और 19 कूप हैं, इनकी तलाश के लिए प्रशासन ने अभियान चलाया है. संभल महात्म्य के अनुसार संभल त्रिकोणीय आकार में बसा है. त्रिकोणीय आकार में ही 68 तीर्थ और 19 कूप स्थित हैं. इसमें ज्यादातर शहर के अंदर नजदीक में स्थित होने के प्रमाण हैं. इन तीर्थ और कूप को संवारने के लिए संभल कल्कि देवतीर्थ समिति का भी गठन कर दिया है. इस समिति के अध्यक्ष डीएम हैं.
संभल नगर के तीनों कोनों पर हैं महादेव-डीएम
डीएम ने बताया कि संभल महात्म्य के अनुसार संभल नगर के तीनों कोनों पर महादेव के मंदिर हैं, इसका एक नक्शा भी है जिसके अनुसार अभी तक जितने भी तीर्थ मिले हैं उसी के अनुसार है. इसलिए अन्य तीर्थ भी जल्द चिह्नित किए जाएंगे, जिससे उनको पुराने स्वरूप में लाया जाए. उन्होंने बताया कि जो तीर्थ या कूप हैं उनके नक्शे मुख्य मार्गों पर लगाए जाएंगे जिससे पर्यटक सीधे उन स्थानों पर पहुंच जाएं. नगर पालिका के क्षेत्र में जो तीर्थ और कूप आते हैं उनको संवारने की जिम्मेदारी नगर पालिका की रहेगी और जो देहात क्षेत्र में हैं उनको संवारने का काम ग्राम पंचायत और मनरेगा द्वारा किया जाएगा.
संभल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से भरा हुआ शहर है, जितना महत्व ऐतिहासिक तौर पर राजपूत और मुगलों से जोड़कर दिया जाता है उससे कहीं ज्यादा महत्व धार्मिक नजरिए से दिया जाता है, स्कंद पुराण में उल्लेख है कि कलयुग में भगवान कल्कि संभल में अवतरित होंगे, इसी मान्यता को जोड़कर संभल को देखा जाता है. वंशगोपाल तीर्थ में भगवान कृष्ण एक रात ठहरे थे और कदम्ब के वृक्ष के नीचे विश्राम किया था, इन सभी मान्यता को जोड़ने से महत्व ज्यादा बढ़ जाता है.
जिला प्रशासन के साथ हुआ MoU
संभल महत्म्य में सभी तीर्थ और कूप की एक दूसरे से दिशा और दूरी दर्ज है. गंगा से दूरी और भगवान कल्कि का अवतरण होने वाले स्थान के बारे में भी उल्लेख किया गया है. संभल के इतिहास के अध्ययन और पुनर्लेखन का कार्य वैज्ञानिक पद्धति से पतंजलि योगपीठ द्वारा किया जायेगा. जिस से संभल के ऐतिहासिक विरासत को प्रमाणिक रूप से पुनर्स्थापित किया जा सके. मीटिंग में संभल जिला प्रशासन और पतंजलि योग पीठ के बीच इसे लेकर एक एमओयू भी हो गया है.
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Source: IOCL























