UP: कुशीनगर में कंपोजिट स्कूल की प्रधानाचार्य का हाल! शिक्षा मंत्री का नाम पूछने पर झांकने लगी बगले
Kushinagar: हैरानी की बात है कि प्रधानाचार्य महोदया जिस विभाग में कार्यरत हैं उस विभाग के मंत्री का नाम तक उन्हें नहीं पता है. जब उनसे सवाल पूछा गया तो वो चुप्पी साध गईं.

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है जहां एक कंपोडिट विद्यालय की प्रधानाचार्य को इतनी जानकारी भी नहीं थी कि यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री का नाम किया है. कैमरे पर जब उनसे सवाल किया गया तो वो बगले झांकने लगी. सामने खड़े जूनियर टीचर ने जब इशारा किया तब भी वो उनका नाम सिर्फ संदीप ही बता पाई.
ये मामला कुशीनगर के तमकुहिराज विकासखंड के पीएम श्री कंपोजिट विद्यालय बसडिला पाण्डेय का है. इस स्कूल में छात्रों की संख्या 401 है और यहां कुल 15 लोगों का स्टाफ है. जिनमें प्रधानाचार्य, शिक्षक और अन्य लोग शामिल हैं. इन्हीं के ऊपर बच्चों का भविष्य टिका हुआ है. लेकिन इनमें से कुछ शिक्षकों को कितनी जानकारी होगी. इसका इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है.
बेसिक शिक्षा मंत्री का नाम नहीं बता पाईं प्रधानाचार्य
इस विद्यालय की हेड मास्टर इंदिरा सिंह हैं. संयोग देखिए कि स्टाफ की मुखिया इंदिरा सिंह को शिक्षा विभाग से जुड़ी बेसिक जानकारी ही नहीं है. अगर ऐसी प्रधानाचार्य बच्चों को शिक्षा देती होंगी तो उनका भविष्य क्या होगा ये समझा जा सकता है.
हैरानी की बात है कि प्रधानाचार्य महोदया जिस विभाग में कार्यरत हैं उस विभाग के मंत्री का नाम तक उन्हें नहीं पता है. प्रधानाचार्य इंदिरा सिंह से जब यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री का नाम पूछा गया तो वह चुप्पी साध ली. सामने खड़े जूनियर अध्यापक ने जब धीरे से नाम बताया तो वो केवल 'संदीप' बताकर चुप हो गईं. बता दें कि उनका पूरा नाम संदीप सिंह है.
मैडम को इतनी बेसिक जानकारी तक नहीं थी कि विभागीय मंत्री का नाम कैसे लिया जाता है, इसका प्रोटोकॉल क्या है. उसके बाद जब उनसे भारत के शिक्षा मंत्री का नाम पूछा गया तो मानो उनकी जुबान पर ताला लग गया. फिर तो उनकी चुप्पी ऐसी हुई कि मुंह ही नहीं खुला.
एक गंभीर मामले में दिखी लापरवाही
मामला यहीं तक नहीं रुका, इससे भी बड़ी बात तो ये है कि मैडम ने स्कूल को जर्जर बता कर ध्वस्त कराने का आदेश लिया और उस कमरे के साथ बगल में बने रसोईघर को भी तोड़वा दिया. जब इसकी शिकायत हुई तो उन्होंने कह दिया कि जेसीबी वाले की गलती से टूट गया है. सोचिए, उनकी एक गलती से सरकारी धन का कितना दुरुपयोगा हुआ और उन पर जांच की आंच तक नहीं आई.
इस पूरे मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी राम जियावन मौर्य ने कहा कि यह गंभीर प्रकरण है. प्रधानाध्यापिका जो शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं और उनको अपने विभाग के मंत्री का नाम नहीं पता है और ना ही प्रोटोकॉल पता है. कमरे के ध्वस्तीकरण मामले की भी जांच कराई जाएगी.
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Source: IOCL





















