UP News: कभी देखी है ऐसी बारात? 30 ई-रिक्शा में निकला दूल्हा, वजह जानकर चौंक जाएंगे
UP News: दूल्हे की अनोखी बारात ने खुखुंदू में सभी का दिल जीत लिया जब दोस्तों के मदद से 30 ई-रिक्शा सजकर बारात निकली. सादगी से भरी यह बारात महंगाई और दिखावे के दौर में समाज के लिए प्रेरक मिसाल बन गई.

यूपी के खुखुंदू में रविवार (30 नवंबर) रात एक ऐसी बारात निकली जिसने कई लोगों का ध्यान खींचा और अब सुर्खियां बटोर रहा है. यह बारात खास इसलिए है क्योंकि एक गरीब परिवार की शादी ने सादगी और सहयोग की अनोखी मिसाल पेश की जब दूल्हा दुर्गेश प्रसाद अपनी बारात महंगी कारों या बैंडबाजे के बजाय दोस्तों की मदद से ई रिक्शा पर लेकर निकला.
तीस से अधिक ई रिक्शाओं की कतार जब एक साथ बारात के रूप में आगे बढ़ी तो पूरा क्षेत्र उत्सुकता और प्रशंसा से भर गया. गरीबी पर जीत और दोस्ती की ताकत का यह नजारा हर देखने वाले के दिल को छू गया.
दोस्तों ने किया सपना पूरा
भटहर मोहल्ले के रहने वाले दिवंगत राम अवतार प्रसाद के पुत्र दुर्गेश मजदूरी कर परिवार चलाते हैं और आर्थिक तंगी के बावजूद शादी का सपना पूरा करने की इच्छा रखते थे. ऐसे में दोस्तों ने आगे बढ़कर पूरा आयोजन संभाला और बारात के लिए ई रिक्शा की व्यवस्था की. गांव के सौ से अधिक बाराती इस अनोखी बारात का हिस्सा बने और हर कोई खुशी से झूमता दिखाई दिया. बारात डुमरिया लाला गांव पहुंची जहां दुल्हन कुमारी शिल्पी के घर सभी ने उत्साह के साथ बारातियों का स्वागत किया.
महंगाई और दिखावे पर सादगी भारी
आज के समय में जहाँ लोग शानोशौकत और स्टेटस दिखाने वाली भव्य बारात निकालने में प्रतिस्पर्धा करते हैं, वहीं दुर्गेश की बारात सादगी की मिसाल बनकर सामने आई. तीस ई रिक्शा से सजी बारात लोगों को आकर्षित कर रही थी और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इसकी चर्चा करते नजर आए. गांव में हर कोई कहता दिखा कि असली खुशी दिखावे में नहीं बल्कि साथ में है, और यही इस बारात ने साबित कर दिया.
समाज के लिए प्रेरक संदेश
गरीब परिवार में निकली इस अनोखी बारात ने यह संदेश दिया कि शादी की खुशियां पैसों से नहीं बल्कि मिलजुलकर मनाने से बढ़ती हैं. दूल्हे के दोस्तों ने सहयोग की भावना दिखाते हुए जो उदाहरण रखा वह गांव के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक है. लोगों ने कहा कि अगर इस तरह की सोच बढ़े तो आर्थिक तंगी किसी की खुशी में बाधा नहीं बन पाएगी. यह बारात सिर्फ एक रस्म नहीं बल्कि मानवीय रिश्तों की ताकत का जीवंत प्रमाण बनकर यादों में हमेशा दर्ज रहेगी.
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Source: IOCL























