Video: ट्रेन से टक्कर के बाद दलदल में गिरा हाथी, 15 घंटे तक तड़पा, बुलडोजर से निकाला बाहर, वीडियो वायरल
Uttarakhand Viral Video: उत्तराखंड के उधमसिंह नगर से दर्दनाक घटना का एक वीडियो सामने आया है, जहां तिलपुरी जंगल में ट्रेन से हाथी टकराया और कई घंटों तक दलदल में फंसा रहा. देखें वायरल वीडियो.

Udham Singh Nagar News: जंगलों में रहने वाले जंगली जानवरों की सुरक्षा को लेकर खूब दावे किए जाते हैं. कभी रेलवे ट्रैक पर सेंसर लगाने की बात होती है तो कभी वन विभाग की निगरानी की, लेकिन हकीकत कोसों दूर है. उत्तराखंड से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हर किसी का दिल दहला दिया है. जंगल से गुजरती एक ट्रेन ने हाथी को टक्कर मार दी. टक्कर इतनी जोरदार थी कि हाथी पास के दलदल में जा गिरा. सबसे दुखद बात यह रही कि घायल हाथी करीब 15 घंटे तक तड़पता रहा, लेकिन तुरंत रेस्क्यू करने में वन विभाग नाकाम रहा.
ट्रेन के सामने आ गया था हाथी
यह घटना उधमसिंह नगर जिले के पीपल पड़ाव रेंज के तिलपुरी इलाके की बताई जा रही है. जानकारी के अनुसार, ट्रेन ट्रैक से गुजर रही थी तभी अचानक सामने हाथी आ गया. लोकोपायलट के संभलने से पहले ही हाथी को टक्कर लग गई. हादसे के बाद हाथी पटरी के पास बने दलदल में फंस गया और वहीं तड़पता रहा. घटना की सूचना वन विभाग को दी गई, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन में लापरवाही साफ दिखाई दी.
15 घंटे के इस दर्दनाक घटनाक्रम ने उत्तराखंड वन विभाग और भारतीय रेलवे की कलई खोलकर रख दी। जंगल से गुजर रही ट्रेन की टक्कर लगने से एक हाथी बगल में बने दलदल में जा गिरा। हाथी 15 घंटों तक तड़फता रहा लेकिन वन विभाग रेस्क्यू नहीं कर पाया, फिर जेसीबी मशीन से जैसे तैसे बाहर निकाला। यह… pic.twitter.com/VqVnlKTJAG
— Ajit Singh Rathi (@AjitSinghRathi) November 2, 2025
बताया जा रहा है कि वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन हाथी को दलदल से निकालने में काफी समय बर्बाद हो गया. कई घंटे बीत गए, मगर सफलता नहीं मिली. आखिरकार देर रात जेसीबी मशीन की मदद से हाथी को बाहर निकाला गया. इस दौरान हाथी बहुत कमजोर हो चुका था और दर्द से हिल भी नहीं पा रहा था.
घटना ने रेलवे के दावों की भी पोल खोली
घटना को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है. उनका कहना है कि यदि वन विभाग और रेलवे समय पर रेस्क्यू कर पाते, तो हाथी की हालत इतनी खराब न होती. इस घटना ने रेलवे के उन दावों की भी पोल खोल दी है, जिनमें कहा गया था कि जंगली इलाकों में ट्रैक के पास सेंसर लगाए गए हैं, जो जानवरों की गतिविधि पकड़कर ट्रेन को रोक देते हैं. लेकिन इस मामले में साफ दिखा कि ऐसा कोई सिस्टम एक्टिव नहीं था.
Source: IOCL






















