देहरादून में राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन में ट्रैफ्रिक व्यवस्था ध्वस्त, लंबे जाम से परेशान हुए लोग
Uttarakhand News: उत्तराखंड के देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह के दौरान ट्रैफ्रिक प्रबंधन की व्यवस्थाएं पूरी तरह से ध्वस्त साबित हुई. हजारों लोग घंटों जाम में फंसकर परेशान हुए.

National Games Opening: 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह के लिए महीनों से सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन की तैयारी कर रही पुलिस की व्यवस्थाएं ठीक समय पर ध्वस्त हो गई. मंगलवार को राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय खेल स्टेडियम में हुए इस भव्य आयोजन में उमड़ी भारी भीड़ के आगे पुलिस बेबस नजर आई. ट्रैफिक डायवर्जन की तैयारियां अधूरी साबित हुईं, जिससे शहर के कई इलाकों में घंटों लंबा जाम लगा. उद्घाटन समारोह में शामिल होने आए हजारों लोग जाम में फंसकर परेशान होते रहे, जबकि पुलिसकर्मी व्यवस्था संभालने में असमर्थ दिखे.
राष्ट्रीय खेलों को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए पुलिस ने लगभग 10,000 से अधिक कर्मियों को पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था में तैनात किया था. इसके अलावा, एसएसबी और आईटीबीपी की फोर्स को भी सुरक्षा के लिए लगाया गया था. देहरादून में हुए उद्घाटन समारोह के लिए शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर पुलिस बल की भारी तैनाती की गई थी. एयरपोर्ट रोड से लेकर स्टेडियम तक चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात थी.
पुलिस का रूट डायवर्जन प्लान पूरी तरह फेल
लेकिन जब भीड़ उमड़ी, तो ट्रैफिक प्रबंधन की खामियां खुलकर सामने आ गई. पुलिस का रूट डायवर्जन प्लान पूरी तरह विफल साबित हुआ. उद्घाटन समारोह से पहले ही स्टेडियम पहुंचने के लिए लोगों को घंटों ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा. जगह-जगह गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई और हालात ये बने कि खुद पुलिस की गाड़ियां भी गलत दिशा में दौड़ती दिखी.
शहर में ट्रैफिक डायवर्जन की कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई थी, जिससे ऐन मौके पर लोगों को इधर-उधर मोड़ा जाने लगा. परिणामस्वरूप, लोग संकरी गलियों से होते हुए मुख्य सड़कों तक पहुंचे, जिससे वहां भी जाम लग गया. एयरपोर्ट रोड से स्टेडियम जाने वाली सड़क पर ट्रैफिक व्यवस्था इतनी चरमराई कि खिलाड़ियों और वीआईपी वाहनों को भी एस्कॉर्ट करके ले जाना पड़ा. शाम चार बजे के बाद जब समारोह में भीड़ और खिलाड़ियों के वाहन तेजी से पहुंचने लगे, तो शहर के कई हिस्सों में स्थिति और बिगड़ गई. स्टेडियम के पास वाहनों का दबाव बढ़ता गया और पुलिस की लापरवाही से जाम और लंबा होता गया.
वीआईपी और अधिकारियों को प्राथमिकता देने से बढ़ी परेशानी
उद्घाटन समारोह में शामिल होने वाले वीआईपी और अधिकारियों के वाहनों को प्राथमिकता देने के कारण आम लोगों की परेशानी और बढ़ गई. ट्रैफिक में फंसे आम लोगों को पुलिस ने रास्ता देने के बजाय उनके वाहनों को डायवर्ट कर दिया, जिससे कई लोगों को देहरादून पहुंचने के लिए 40 किलोमीटर तक अतिरिक्त सफर करना पड़ा.
पुलिस प्रशासन ने पहले ही ड्यूटी के दौरान फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उद्घाटन समारोह में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी अपने मोबाइल में व्यस्त दिखे. कई जगहों पर ट्रैफिक कंट्रोल करने के बजाय पुलिसकर्मी अपने फोन में मशगूल नजर आए, जिससे स्थिति और अधिक बिगड़ती गई. उद्घाटन समारोह में पार्किंग की भी कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई थी. पहले स्टेडियम के भीतर की पार्किंग को भरने दिया गया, उसके बाद वैकल्पिक पार्किंग को खोला गया, लेकिन तब तक स्टेडियम के बाहर वाहन खड़े होने लगे, जिससे जाम और बढ़ गया.
ट्रैफिक के कारण लोगों को लंबा सफर तय करना पड़ा
कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. स्टेडियम से निकलने के लिए लोगों को भारी ट्रैफिक का सामना करना पड़ा. पुलिस ने लोगों को महाराणा प्रताप चौक की ओर जाने नहीं दिया, जिससे सैकड़ों लोगों को भानियावाला होते हुए 40 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करके देहरादून लौटना पड़ा.
राष्ट्रीय खेलों के इस बड़े आयोजन के लिए महीनों से तैयारियों का दावा किया जा रहा था, लेकिन पुलिस प्रशासन का आधा-अधूरा होमवर्क समारोह के दिन साफ नजर आया. ट्रैफिक कंट्रोल से लेकर सुरक्षा तक की व्यवस्थाएं ताश के पत्तों की तरह बिखर गईं. जहां उद्घाटन समारोह ने उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया, वहीं प्रशासनिक अव्यवस्थाओं ने लोगों को भारी मुसीबत में डाल दिया.
उद्घाटन समारोह में टैफ्रिक व्यवस्था हुई विफल
राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह में सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन के नाम पर की गई तैयारियां पूरी तरह विफल साबित हुई. भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद भीड़ नियंत्रण और यातायात प्रबंधन असफल रहा. पुलिस प्रशासन की लापरवाही से हजारों लोगों को घंटों जाम में फंसे रहना पड़ा, जबकि अधिकारियों और वीआईपी वाहनों को आसानी से निकलने दिया गया. प्रशासन की इस नाकामी से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसे आयोजनों की बेहतर योजना बनाने की जरूरत है, ताकि जनता को असुविधा न हो.
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Source: IOCL






















