कानपुर के लाल का कमाल, दिव्यांग बच्चों के बोलने, देखने और सुनने के लिए बनाया 'द स्पेशल स्कूल' ऐप
UP News: कानपुर के 22 साल के अनंत वैश्य ने एक ऐसा ऐप बनाया जो दिव्यांग को शिक्षित करता है, उन्हें पढ़ाता है. अनंत खुद एक जटिल बिमारी से ग्रसित है, बावजूद उनके इस ऐप का हर कोई समर्थन कर रहा है.

Kanpur News: एक शेर अपना ने जरूर सुना होगा, "हाथों की लकीर पर मत जाए गालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हांथ नहीं होते", बरसों पुराना ये शेर कानपुर के अनंत वैश्य पर मानों बराबर सटीक बैठता है. तमाम चुनौतियों का सामना कर अपने मुकद्दर को बदलने के साथ साथ अपने जैसे तमाम बच्चों के भविष्य को अब अनंत की कोशिश बदल देगी. समाज में ऐसे बहुत से लोग और बच्चे हैं, जो औरों से जुदा है. जिन्हें समाज में दूसरी नजर से भी देखा जाता है.
कुछ लोग ऐसे बच्चों को स्पेशल भी कहते हैं, लेकिन उन्हीं तमाम बच्चों में से कानपुर के 22 साल के अनंत ने ऐसा चमत्कार कर दिखाया, जिसने उन स्पेशल लोगों में कुछ कर गुजरने का हौसला बढ़ा दिया. दअरसल कानपुर के अनंत ने शारीरिक कमजोर होने के चलते ऐसे ऐप को तैयार किया है जो उन बच्चों और लोगों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है जिसमें सुनने, देखने और बोलने के साथ हांथ पैर से दिव्यांग कहा जाता है. इस ऐप से तमाम लोग शिक्षित हो रहे हैं और अपने भविष्य की राह को आसान बना रहे हैं.
अनंत ने द स्पेशल स्कूल नाम से ऐप बनाया
पूरी दुनिया में शायद ही आपने ऐसे अनोखे ऐप के बारे में सुना होगा, जो कानपुर के अनंत ने बनाया है, जो किसी भी तरह के दिव्यांग को शिक्षित करने में बड़ा कारगर साबित हो रहा है. दिव्यांग लोगों को जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते दिव्यांगों की शिक्षा प्रभावित भी होती है. अनंत वैश्य एक ऐसी जटिल बीमारी से ग्रसित है जिसने उन्हें दिव्यांग बना दिया. दअरसल आर्थो ग्रायफोसेस मल्टीप्लेक्स कन्जनाइटा नामक बीमारी से अनंत ग्रसित है. लेकिन उसके बावजूद उन्होंने कई अवॉर्ड जीते अपने इनोवेशन से देश दुनिया का नाम रौशन किया और दूसरों के लिए ऐसी लाठी बने जिसने सैकड़ों को सहारा दे दिया.
अनंत ने द स्पेशल स्कूल नाम से एक एप्लिकेशन तैयार की जिसे प्ले स्टोर पर इंस्टॉल करने के बाद बिना किसी सहारे के कोई भी दिव्यांग फिर चाहे वो किसी भी श्रेणी का हो पढ़ाई कर सकता है. अगर किसी को दिखाई नहीं देता तो इस आप को एक बार मोबाइल में इंस्टॉल करने के बाद वो इससे पढ़ सकता है. हर विषय की जानकारी इस एप्लिकेशन में लोड है और मोबाइल को बस आपको इतना बोलना होगा की आपको कौन सा विषय और किस क्लास का पढ़ना है. बस आपकी जुबान के कमांड को लेकर मोबाइल ऐप चलने लगा जाएगी और स्पीकर पर आपको पढ़ाने लगेगी.
ऐप को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रमाणित किया
इसके साथ ही जिन्हें सुनाई नहीं देता उन दिव्यांगों को मोबाइल ऐप आकृति, चिन्ह और लिखे हुए शब्दों में पढ़ाता है. यहां तक कि ये ऐप क्लास वन से 5वीं तक की पढ़ाई एनसीईआरटी के सेलेब्स से पढ़ाई कराने में सक्षम है. वैसे तो अनंत ने बी टेक की पढ़ाई की हुई है और उनकी इस ऐप से तकरीबन 400 बच्चे आज भी पढ़ाई कर रहे हैं. कानपुर के तीन स्कूल जो शारीरिक असक्षम बच्चों के हैं, वहां इस ऐप का प्रयोग किया जाता है.
इस ऐप के बनाने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस ऐप को प्रमाणित भी किया और इसके विस्तार के लिए अनंत को फंडिंग भी की साथ ही इंडियन इनोवेशन डिपार्टमेंट की ओर से भी अनंत को सराहा गया. अब अनंत का कहना है की वो इस ऐप के विस्तार पर काम कर रहे हैं. हालांकि वो खुद इस ऐप को अपनी नाक के सहारे अपने मोबाइल पर ऑपरेट करते हैं क्योंकि उनके हाथ और पैर उनका साथ नहीं देते, अब अनंत इसे क्लास वन से लेकर इंटरमीडिएट तक करना चाहते हैं और सभी को इसका फायदा पहुंचने का सपना देख रहे हैं.
यह भी पढ़ें- रामलला का दर्शन करने के बाद हर्षा रिछारिया बोलीं- 'एक हफ्ते में बड़ी घोषणा करने वाली हूं'

टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL