AMU के इंजीनियर्स ने बनाई बिना ड्राइवर वाली गाड़ी, कार में लगे हैं 45 सेंसर और रडार
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और छात्रों ने मिलकर बिना ड्राइवर के चलने वाली एक कार का निर्माण किया है. यह कार पूरी तरह से ऑटोमैटिक है. कार में 45 सेंसर लगे हैं.

Aligarh Muslim University: ताले और तालीम के नाम से मशहूर अलीगढ़ में स्थित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में हर रोज तरह तरह के आविष्कार किए जा रहे हैं, जिससे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का कद अन्य विश्वविद्यालय से अलग नजर आ रहा है. इसी को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व यहां के छात्रों के द्वारा मिलजुल कर एक ऐसी कार का आविष्कार किया है जो बिना ड्राइवर के सड़कों पर फर्राटा भरेगी.
इस कार को लेकर बताया जाता है यह बाजार में बनने वाली आम कारों से कीमत में काफी सस्ती रहेगी. फिलहाल इसका मॉड्यूल बनकर तैयार है और इसका ट्रायल भी पूरी हो चुका है. लेकिन कुछ बदलाव को लेकर फिलहाल इस कार के मॉडल में काम चल रहा है जो कि पूरा होने के बाद यह कार सबसे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की सड़कों पर फर्राटा भरेगी.
ये कार पूरी तरह से ऑटोमैटिक है- एएमयू प्रोफेसर
दरअसल आज के दौर में तकनीकी विकास अपनी चरम सीमा पर है. हर क्षेत्र में नई-नई खोजें हो रही हैं, और ऑटोमोबाइल सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है. दुनिया की कई नामचीन कंपनियां स्वायत्त (Self-Driving) कारों को विकसित करने में लगी हुई हैं. कुछ कंपनियों ने तो दावा भी किया है कि जल्द ही उनकी एडवांस टेक्नोलॉजी वाली कारें सड़कों पर दौड़ने लगेंगी. लेकिन इन सभी दावों के बीच भारत के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के इंजीनियरों ने एक बड़ा कारनामा कर दिखाया है.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों और प्रोफेसरों ने मिलकर बिना ड्राइवर के चलने वाली एक कार का निर्माण किया है. यह कार पूरी तरह से ऑटोमैटिक है और बिना किसी चालक के सुरक्षित रूप से चल सकती है.
कार आधुनिक सेंसर सिस्टम से लैस
इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे प्रोफेसर सलीम अनवर ने बताया कि यह कार आधुनिक सेंसर और रडार सिस्टम से लैस है, जो इसे सड़क पर आने वाली बाधाओं को पहचानने और उनसे बचने में मदद करता है. यह कार दो बार सफलतापूर्वक ट्रायल रन भी पूरा कर चुकी है. यूनिवर्सिटी परिसर में किए गए परीक्षणों में यह कार कई बार बिना किसी रुकावट के दौड़ चुकी है. अब इसमें कुछ और सुधार किए जा रहे हैं ताकि इसे पूरी तरह से परफेक्ट बनाया जा सके.
इस कार में कुल 45 सेंसर लगाए गए हैं, जो इसे चारों ओर की गतिविधियों की जानकारी देते हैं. इन सेंसरों की मदद से कार अपने सामने आने वाली किसी भी बाधा को पहचान लेती है और जरूरत पड़ने पर खुद-ब-खुद रुक जाती है. अगर कार के सामने ट्रैफिक आता है, तो यह स्वचालित रूप से अपनी गति को कम कर लेती है. इतना ही नहीं, जब कार किसी मोड़ पर मुड़ने वाली होती है, तो यह स्वयं इंडिकेटर भी देती है, ताकि अन्य वाहन चालकों को भी इसका संकेत मिल सके.
कार में कैमरा और रडार तकनीक का इस्तेमाल
इसके अलावा, इस कार में कैमरा और रडार तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे यह अपने गंतव्य तक बिना किसी मानव सहायता के पहुंच सकती है. प्रोफेसर सलीम अनवर ने बताया कि इस कार में लगे सेंसर और रडार इसे सड़क की स्थिति की पूरी जानकारी देते हैं. यदि सड़क पर कोई आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होती है, तो यह स्वतः ही रास्ता बदल सकती है या रुक सकती है.
इस अनोखी परियोजना पर काम करने वाले छात्रों ने दिन-रात एक करके इसे सफल बनाया है. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में इंजीनियरिंग विभाग के 14 छात्रों ने प्रोफेसर अनवर के मार्गदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इन छात्रों ने पूरी तरह से भारतीय तकनीक का उपयोग करके यह कार विकसित की है. इस कार में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे इसे अन्य कारों में भी लगाया जा सकता है. यानी, इस सिस्टम को किसी भी सामान्य कार में इंस्टॉल करके उसे बिना चालक के चलाया जा सकता है.
छात्रों की मेहनत लाई रंग
आज के समय में दुनिया भर में ऑटोमेशन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) का विस्तार हो रहा है. ऐसे में बिना ड्राइवर के चलने वाली कारें भविष्य में आम हो सकती हैं. भारत जैसे देश में, जहां ड्राइवरों की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है, यह तकनीक बहुत उपयोगी साबित हो सकती है.
इसके अलावा, यह कार उन लोगों के लिए भी मददगार हो सकती है, जो स्वयं गाड़ी नहीं चला सकते, जैसे वृद्धजन या दिव्यांग लोग. साथ ही, यह तकनीक सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में भी मदद कर सकती है, क्योंकि अधिकांश दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं.
भविष्य में क्या सुधार किए जा सकते हैं?
हालांकि इस कार का ट्रायल सफल रहा है, लेकिन इसमें अभी कुछ और सुधार की गुंजाइश है. प्रोफेसर सलीम अनवर के अनुसार, अब इस कार के सॉफ्टवेयर को और अधिक उन्नत बनाया जा रहा है, ताकि यह और भी सटीकता से काम कर सके. इसके सेंसरों की क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा, जिससे यह अधिक जटिल परिस्थितियों में भी सुचारू रूप से कार्य कर सके. इसके अलावा, इस तकनीक को बड़े स्तर पर लागू करने के लिए सरकार और ऑटोमोबाइल कंपनियों का सहयोग भी आवश्यक होगा. यदि इस परियोजना को उचित समर्थन मिलता है, तो यह भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है.
वैसे तो कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां पहले से ही सेल्फ-ड्राइविंग कारों पर काम कर रही हैं, लेकिन AMU की यह कार कुछ मामलों में खास है.
- स्वदेशी तकनीक: यह कार पूरी तरह से भारतीय तकनीक से बनाई गई है, जिससे इसकी लागत भी कम है.
- उन्नत सेंसर प्रणाली: इसमें अत्याधुनिक सेंसर और रडार तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इसे सुरक्षित बनाता है.
- कम लागत: अन्य कंपनियों की सेल्फ-ड्राइविंग कारों की तुलना में इसकी लागत काफी कम है, जिससे यह आम लोगों के लिए भी सुलभ हो सकती है.
- स्थानीय स्तर पर विकसित: यह कार भारतीय सड़कों की परिस्थितियों के अनुसार बनाई गई है, जिससे यह बेहतर प्रदर्शन कर सकती है.
Source: IOCL





















