भूमि अधिग्रहण केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मुआवजा राशि को बढ़ाया
Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मामले को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए मुआवजा राशि को 26,624 प्रति बीघा से बढ़ाकर 17,062 प्रति बिस्वा कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा निर्णय सुनाते हुए किसानों और भूस्वामियों के हित में कहा कि भूस्वामी को उसकी भूमि का मुआवजा उच्चतम बाजार मूल्य के आधार पर मिलना चाहिए. कोर्ट की तरफ से पहले तय की गई राशि का बदलकर अब बढ़ा दिया गया है.
अदालत ने पहले तय की गई मुआवजा राशि अब नई दर 17,062 प्रति बिस्वा तय की गई है, जो पहले 26,624 प्रति बीघा थी. यह आदेश न्यायमूर्ति संदीप जैन की एकल पीठ ने रूप नारायण बनाम उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड मामले की सुनवाई के दौरान दिया.
क्या है पूरा मामला
मिर्जापुर जिले के गांव नटवा निवासी रूप नारायण की करीब 6 बीघा 2 बिस्वा जमीन राज्य विद्युत बोर्ड ने 220 केवी सब-स्टेशन निर्माण के लिए अधिग्रहित की थी. कलेक्टर ने 28 सितंबर 1993 को अपने अवार्ड में 26,624 प्रति बीघा की दर से मुआवजा तय किया था. साथ ही, जमीन पर बने कुएं, घर और पेड़ों के लिए क्रमशः 3,076, 13,600 और 10,680 का भुगतान निर्धारित किया गया था.
भूस्वामी की आपत्ति और अपील
रूप नारायण ने कलेक्टर के आदेश को अपर्याप्त बताते हुए पहले मिर्जापुर के विशेष न्यायाधीश (भूमि अधिग्रहण) के समक्ष चुनौती दी थी, परंतु 08 अगस्त 2007 को न्यायालय ने मुआवजा यथावत रखा. इसके बाद भूस्वामी ने इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी और दलील दी कि भूमि के वास्तविक बाजार मूल्य के अनुरूप उचित मुआवजा नहीं दिया गया.
हाईकोर्ट में रखे गए तर्क
भूस्वामी की ओर से यह तर्क दिया गया कि अधिग्रहण के समय आसपास की जमीनों के विक्रय विलेखों (sale deeds) में दर्ज मूल्य के आधार पर मुआवजा तय होना चाहिए. अदालत ने मेहरावल खेवाजी ट्रस्ट बनाम मनोहर और अन्य मामलों में दिए गए सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि यदि कई विक्रय विलेख उपलब्ध हों, तो भूस्वामी उच्चतम मूल्य वाले विक्रय विलेख के आधार पर मुआवजा पाने का अधिकारी है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने तीन बिक्री विलेखों पर विचार किया. जिनमें क्रमशः 34,125, 25,000 और 25,000 प्रति बिस्वा का मूल्य दर्शाया गया था. अदालत ने सबसे अधिक दर 34,125 को मानक माना, लेकिन यह देखते हुए कि वह छोटे भूखंड (4 बिस्वा) का था, हॉरमल बनाम हरियाणा राज्य मामले के सिद्धांत के अनुसार 50% कटौती लागू की गई. इसके बाद न्यायालय ने अधिग्रहित भूमि का बाजार मूल्य 17,062.50 प्रति बिस्वा निर्धारित किया.
अदालत का अंतिम आदेश
हाईकोर्ट ने रूप नारायण की अपील स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि भूस्वामियों को संशोधित दर से बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाए. साथ ही, उन्हें भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत 12% वार्षिक अतिरिक्त मुआवजा और ब्याज का लाभ भी मिलेगा.
हालांकि कुएं, मकान और पेड़ों के मुआवजे में कोर्ट ने कोई बदलाव नहीं किया, क्योंकि इस संबंध में भूस्वामी कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर सके थे. यह फैसला न केवल रूप नारायण जैसे किसानों के लिए राहत देने वाला है, बल्कि भविष्य में भूमि अधिग्रहण के मामलों में एक मिसाल के रूप में काम करेगा.
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Source: IOCL
























