यूपी के इस मंदिर को शिव पुत्र कार्तिकेय जी ने किया था स्थापित, महाशिवरात्रि पर लगता भव्य मेला
UP: महाशिवरात्रि में अलीगढ़ के तहसील इगलास गांव के बीच शिव भागवान का प्राचीन मंदिर है. मंदिरों का जिक्र वेदों और पुराणों में भी देखने को मिलता है. इस मंदिर में कार्तिकेय ने 3 शिवलिंग की स्थापना की थी.

Aligarh News: अलीगढ़ में बहुत से ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जिनका वेद और पुराणों में उल्लेख है. लेकिन इन्हीं में से कुछ खास मंदिरों में एक ऐसा मंदिर भी शुमार है, जिसकी पीछे पौराणिक कथाएं हैं. इस मंदिर पर राक्षस का वध हुआ था. साथ ही शिव जी के पुत्र कार्तिकेय जी के द्वारा अपने पश्चाताप के लिए यहां तीन शिवलिंगों की स्थापना भी की गई थी.
इन तीनों शिवलिंगों को लेकर यहां अलग-अलग मंदिर बनाए गए हैं. पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद इन मंदिरों पर निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है. करोड़ों रुपए की लागत से चल रहे निर्माण कार्य को लेकर आसपास की जनता में उत्साह है. बताया जाता है कि निर्माण कार्य के दौरान शिवलिंग के समीप जब खुदाई कराई गई तो 36 फीट नीचे भी शिवलिंग ही नजर आई तो उस खुदाई को रोक दिया गया, वहीं अपनी अपार शक्तियों के कारण यह शिवलिंग क्षेत्र के साथ-साथ विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है.
अलीगढ़ के इस मंदिर की धार्मिक महत्व क्या है?
दरअसल पूरा मामला अलीगढ़ के तहसील इगलास के गांव सहारा खुर्द व पाताल खेड़िया के बीच का है. जहां कुमारेश्वर, प्रतिज्ञेश्वर, कपालेश्वर के मंदिर मौजूद है. इस मंदिर पर दूर-दराज से आकर शिवभक्त मन्नतें मांगने के साथ पूजा अर्चना करते हैं. ग्राम प्रधान पति संजय चौधरी बताते हैं कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने राक्षस का वध यहीं किया था. वह राक्षस शिवभक्त था. इसके प्रयाश्चति के लिए कार्तिकेय ने विश्वकर्मा से तीन विशुद्ध शिवलिंगों का निर्माण कराया.
कार्तिकेय ने कुमारेश्वर, प्रतिज्ञेश्वर, कपालेश्वर नामक तीन शिवलिंगों की स्थापना की. इसका वर्णन शिवपुराण, स्कंदपुराण, भागवत पुराण व विश्वकर्मा पुराण में मिलता है. एक श्राप के कारण इसे गुप्ततीर्थ स्थल कहा जाता है. यहां महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों भक्तों का जमावड़ा देखने को मिला. श्रद्धालुओं ने प्राचीन शिव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया और विशेष पूजा-अर्चना की. यह मंदिर अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण क्षेत्र में प्रसिद्ध है, और महाशिवरात्रि पर यहां का नजारा अत्यंत भव्य होता है.
कार्तिकेय ने तीन शिवलिंग की स्थापना की
यह प्राचीन मंदिर महाशिवालय के नाम से जाना जाता है और इसकी पौराणिक मान्यताएं इसे विशेष बनाती हैं. मान्यता है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने यहां तीन शिवलिंग स्थापित किए थे. इसके अलावा, यह स्थान ताड़कासुर नामक राक्षस के वध से भी जुड़ा हुआ है. यह मंदिर करीब 5000 वर्ष पुराना माना जाता है और इसे अपार शक्तियों का केंद्र कहा जाता है. मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित तीन शिवलिंग अलग-अलग स्थानों पर स्थापित हैं. मान्यता है कि इन शिवलिंगों की खुदाई करने पर भी उनकी पूरी गहराई का अनुमान नहीं लगाया जा सका है.
इस रहस्य ने भक्तों के बीच इस मंदिर की आस्था को और भी बढ़ा दिया है. मंदिर के चारों ओर कई सौ बीघा जमीन इसके नाम पर दर्ज है, जो इसकी विशालता और धार्मिक महत्व को दर्शाता है. महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होते हैं. इस वर्ष भी मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं. मेले में स्थानीय व्यंजन, धार्मिक वस्त्र, और पूजा सामग्री की दुकानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. मेले का यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि क्षेत्रीय सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए हुए है.
मंदिर के विकास के लिए सीएम योगी से मिली आर्थिक सहायता
इस प्राचीन मंदिर को उसकी ऐतिहासिक और धार्मिक विशेषता के कारण सरकारी मान्यता प्राप्त है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इस मंदिर के विकास के लिए एक करोड़ रुपये की सौगात दी गई है. साथ ही, मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 10 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जाएगी. यह कार्य जोर-शोर से जारी है, और मंदिर को और भी भव्य बनाने की योजना है. मंदिर को श्री राम मंदिर की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई जा रही है.
यह उम्मीद की जा रही है कि आगामी समय में यह मंदिर और भी आकर्षक रूप में सामने आएगा. पाताल खेड़िया मंदिर न केवल अपनी पौराणिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि भक्तों की अटूट श्रद्धा और विश्वास का केंद्र भी है. महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ इस बात का प्रमाण है कि यह स्थान लोगों के धार्मिक विश्वासों में गहराई से जुड़ा हुआ है.
महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर पाताल खेड़िया मंदिर में उमड़ी भीड़ और भक्तों की आस्था ने एक बार फिर से इस प्राचीन शिवालय की महिमा को जीवंत कर दिया. आने वाले समय में जब यह मंदिर और भी भव्य रूप में विकसित होगा, तब यह न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा.
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