Agra Monkey Attack: आगरा में बंदरों का जबरदस्त आतंक, समाधान के लिए हाईकोर्ट पहुंचे वकील
UP News: यूपी के आगरा में आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव और अधिवक्ता ने बन्दरों की समस्या को दूर करने के लिए हाईकोर्ट का रुख अपनाया है.

Agra Monkey News: बंदरों के खतरे ने आगरा शहर की जनता को त्रस्त कर रखा है. एक तरफ पर्यटकों और स्थानीय लोगों को बंदर परेशान करते पाए जाते हैं जिसकी वजह से लोगों को गंभीर चोटें और कीमती सामान का नुकसान हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ ऐसी भी घटना देखने को मिली है जिसमें बंदरों के हमले के कारण मासूम से लेकर युवा और बुजुर्गों की मौत तक हो चुकी है.
ऐसे में आगरा डेवलमेंट फाउंडेशन के सचिव और अधिवक्ता के सी जैन ने जनहित याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से बन्दरों की समस्या को दूर करने के लिए बीड़ा उठाया है. क्योंकि आगरा प्रशासन बंदरों के आतंक से जनता को निजात दिलाने में विफल रहे हैं.
शहर में 30 हजार से ज्यादा बंदर
अधिवक्ता जैन की जनहित याचिका के मुताबिक आगरा शहर में 30 हजार से ज्यादा बन्दर हैं जिनकी संख्या पिछले दशक में काफी तेजी से बढ़ी है और बन्दर अब आगरा में बड़े-बड़े झुण्ड बनाकर घूमते हैं. बन्दरों के आक्रमण और उनके खाने से हजारों लोग घायल हो चुके हैं और अनेकों व्यक्तियों की मृत्यु भी हो गयी. नवंबर 2018 में ग्राम रूनकता में बन्दर मां की गोद से बच्चे को छीनकर ही ले गया जिससे मासूम बच्चे की मौत हो गयी.
माईथान के हरीशंकर गोयल की मृत्यु बन्दरों के आक्रमण से जुलाई 2019 में हो गयी. मार्च 2020 में उस्मान बन्दरों के कारण अपनी छत से गिरकर मर गया. अक्टूबर 2020 में भी दो व्यक्तियों की मौत हो चुकी है. इन सब अनेक घटनाओं के बावजूद भी नगर निगम और वन विभाग बन्दरों की समस्या के समाधान के लिए कोई प्रभावी हल नहीं ढूंढ सका है. यही नहीं, बन्दर आये दिन विश्वदाय स्मारक ताजमहल में भी यात्रियों पर हमला कर देते हैं और बन्दरों की शिकार महिलाऐं और बच्चे अक्सर हो जाते हैं.
याचिका में की गई ये मांग
जिला अस्पताल और एस.एन.मेडिकल कॉलेज में बन्दर के काटे लोग प्रतिदिन इलाज के लिए पहुंचते हैं. चूंकि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार बन्दर वन्य जीव है और संरक्षित है.अतः वन विभाग एवं नगर निगम इस समस्या का समाधान खोजने के लिए जिम्मेदार हैं. राज्य सभा में भी आगरा, मथुरा, लखनऊ, वृन्दावन आदि शहरों की बन्दरों की समस्या को लेकर 7 अप्रैल 2022 को प्रश्न उठा था जिसमें समस्या को स्वीकार करते हुए यह भी बताया गया था कि केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा मथुरा और हलद्वानी में मंकी रेस्क्यू सेन्टर बनाने की अनुमति प्रदान की जा चुकी है.
याचिका में यह मांग भी की गई है कि आगरा शहर के बन्दरों के लिए केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति लेते हुए वन क्षेत्र में मंकी रेस्क्यू सेन्टर की स्थापना की जाए जहां पर बन्दरों के पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो और गूलर, पाखड़, पीपल, बरगद व दतरंगा आदि फलदार वृक्ष हों और वहां पर विलायती बबूल न हो और यदि हो तो उसे हटा दिया जाए. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम आगरा समेत 9 विभागों को नोटिस जारी करते हुए 17 अगस्त नियत की है.अब देखना ये है कि इन विभागों का क्या रुख देखने को मिलता है लेकिन बंदरों के आतंक से आगरा की जनता आज़िज आ चुकी है.
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Source: IOCL





















