सिरोही में चूना पत्थर खनन परियोजना का विरोध, सांसद ने किसानों का किया समर्थन
Sirohi News: सिरोही के पिंडवाड़ा में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. लगभग 800 हेक्टेयर भूमि पर होने वाले इस खनन से खेती, जल स्रोत और पर्यावरण को नुकसान होने का डर है.

सिरोही के पिंडवाड़ा तहसील क्षेत्र की चार ग्राम पंचायतों में करीब 800 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. ग्रामीण इस परियोजना के खिलाफ एकजुट होकर लगातार विरोध दर्ज करा रहे हैं. उनका कहना है कि खनन से क्षेत्र की खेती बाड़ी, जल स्रोत और पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ेगा.
ग्राम वासियों का कहना है, “खेती ही हमारी जीवन रेखा है. यही हमारी रोजी-रोटी है और यही आने वाली पीढ़ियों का सहारा. अगर जमीन ही छिन गई तो हमारे बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा.” उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी आवाज अनसुनी की गई तो वे शांतिपूर्ण आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे.
'आने वाली पीढ़ियां भी उजड़ जाएगी'
ग्रामीणों का कहना है कि पीढ़ियों से वे जिस जमीन पर खेती कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं, उसी पर खनन कंपनियों की नजर टिक गई है. यदि खनन शुरू हुआ तो न सिर्फ जमीन छिन जाएगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी उजड़ जाएगी. यही कारण है कि ग्रामीण लामबंद होकर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचा रहे हैं.
सांसद का सख्त रुख
खनन विवाद पर सिरोही-जालौर सांसद लुंबाराम चौधरी ने शुक्रवार को पिण्डवाड़ा में आयोजित शिक्षक संघ के कार्यक्रम में बड़ा बयान देते हुए किसानों का खुला समर्थन किया. उन्होंने साफ कहा, “किसानों के साथ अन्याय किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं होगा. क्षेत्र में जो भी काम होगा, वह पूरी तरह किसानों के हित में होगा. यदि परियोजना से किसानों का नुकसान होता है, तो उसे आगे बढ़ने नहीं दिया जाएगा. किसानों के साथ गलत किसी भी हाल में नहीं होने देंगे.”
सांसद के इस बयान से ग्रामीणों में नई ऊर्जा आई है. ग्रामीणों का कहना है कि अब उनकी लड़ाई को मजबूत राजनीतिक सहारा मिल गया है.
क्षेत्र में बढ़ रहा आक्रोश
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर गौर नहीं किया तो आंदोलन तेज किया जाएगा. उनका कहना है कि खनन से न केवल खेती की जमीन खत्म होगी, बल्कि रोजगार और जीवन का आधार भी छिन जाएगा.
Source: IOCL






















