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Rajasthan: विधानसभा चुनाव से पहले भरतपुर के दो विधायकों ने सचिन पालयट को दिया झटका? पढ़ें पूरी खबर

Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot: चुनाव के लगभग डेढ़ साल बाद सचिन पायलट के गुट के कुछ विधायक मानेसर चले गए. उसके बाद कांग्रेस के सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी की लड़ाई सड़क पर आ गई.

Rajasthan Congress: राजस्थान कांग्रेस में आपसी खींचतान कम होने का नाम नहीं ले रही है. सचिन पायलट अपनी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख बनाए हुए हैं, तो वहीं सीएम अशोक गहलोत ने धौलपुर में रविवार को मानेसर जाने वाले विधायकों पर तंज कसा और अमित शाह का पैसा वापस लौटाने की बात कही, जो अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. 

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 इसी साल होने हैं और कांग्रेस में संगठन तो कहीं दिखाई नहीं दे रहा. ऊपर से सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आपसी खींचतान के बीच कांग्रेस कैसे मिशन 156 को पूरा कर पाएगी?

भरतपुर जिले में 7 विधानसभा सीट हैं. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था. कुम्हेर-डीग, कामां, वैर और बयाना 4 विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने विजय हासिल की थी. नदबई और नगर 2 विधानसभा की सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. भरतपुर विधानसभा की सीट पर कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन के तहत लोकदल प्रत्याशी डॉ. सुभाष गर्ग राष्ट्रीय लोकदल पार्टी से चुनाव में विजयी हुए थे. बाद में बहुजन समाज पार्टी के विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसलिए 7 विधानसभा सीट पर लगभग कांग्रेस के ही विधायक हो गए. बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया. 

सचिन पायलट के साथ मानेसर गए थे विधायक
चुनाव के लगभग डेढ़ साल बाद सचिन पायलट के गुट के कुछ विधायक मानेसर चले गए. उसके बाद कांग्रेस के सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी की लड़ाई सड़क पर आ गई. भरतपुर जिले के दो विधायक कुम्हेर-डीग विधायक विश्वेन्द्र सिंह और बयाना-रूपबास विधायक अमर सिंह दोनों सचिन पायलट गट में मानेसर गए थे, लेकिन बाद में दोनों विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट में नजर आए हैं.

पायलट गुट के हुआ करते थे विश्वेंद्र सिंह
भरतपुर की कुछ विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर मतदाता चुनाव का रुख बदल सकते हैं और सचिन पायलट के साथ गुर्जर मतदाता को माना जाता है. भरतपुर जिला जाट बाहुल्य क्षेत्र है. जिले में सबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं. जाट मतदाता भरतपुर के राजपरिवार के सदस्य और कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह को अपना नेता मानते हैं और विश्वेन्द्र सिंह के अनुसार ही संभाग की राजनीति करवट लेती है. मंत्री विश्वेन्द्र सिंह भी पायलट गुट में मानेसर गये थे, लेकिन बाद में विधायक विश्वेन्द्र सिंह भी अशोक गहलोत के गुट में नजर आते हैं.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के कहे अनुसार भरतपुर के देग को नया जिला बना दिया है. भरतपुर में अशोक गहलोत गुट के जितने भी विधायक है उनकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है. आज भरतपुर की 7 विधानसभा सीटों में से मात्र एक सीट कमजोर मानी जा रही नदबई की. नदबई से विधायक जोगिंदर सिंह अवाना बहुजन पार्टी से जीत कर बाद में कांग्रेस में शामिल हो गया था. आज लोगों में विधायक जोगिंदर सिंह अवाना के खिलाफ काफी रोष है. यही कारण है कि नदबई को सबसे कमजोर सीट माना जा रहा है.

कांग्रेस की सरकार से नहीं, विधायकों से नाराज है जनता
लोगों का कहना है कि अशोक गहलोत की योजनाएं अच्छी हैं. सरकार के खिलाफ जनता नहीं है, लेकिन विधायकों से जनता नाराज है. अगर कांग्रेस पार्टी कुछ विधायकों को बदल देती है तो सरकार रिपीट कर सकती है और अगर मुख्यमंत्री ने उन्हीं विधायकों को टिकट दे दिया तो बीजेपी की जीत आसान हो जाएगी.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्वी राजस्थान के गढ़ को और मजबूत करने की कोशिश में लगे हैं और भरतपुर संभाग के कई दौरे कर चुके हैं. रविवार 6 मई को ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्वी राजस्थान के तीन जिलों में लोगों को संबोधित किया और कांग्रेस के पक्ष में वोट देकर 2023 में कांग्रेस की सरकार बनाने अपील की.

यह भी पढ़ें: Rajasthan: 'गहलोत-वसुंधरा एक जैसे, जहां से खड़े होंगे हम हराएंगे', जानें किस पार्टी के नेता ने कही ये बात

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