राजस्थान: 'अरावली बचाओ' के नारों के बीच छलनी होती रामगढ़ की पहाड़ियां, रात में माफिया का कहर
Rajasthan News: रामगढ़ की अरावली पहाड़ियों में अवैध खनन का बेखौफ जारी है. यहां रात के अंधेरे में माफियाओं का तांडव रहता है. जबकि प्रशासन की चुप्पी पर्यावरण और कानून पर गंभीर सवाल खड़े करती है.

एक ओर पूरे प्रदेश में 'सेव अरावली' के नारे गूंज रहे हैं नेताओं के मंचों पर पर्यावरण बचाने की कसमें खाई जा रही हैं. वहीं दूसरी ओर अलवर जिले के रामगढ़-नौगांवा क्षेत्र की पहाड़ियां रात दर रात बेरहमी से काटी जा रही हैं. हालात ये हैं कि डाबरी पंचायत और आसपास के इलाकों की पहाड़ियां खनन माफिया के लिए खुले खदान-मैदान में तब्दील हो चुकी हैं और प्रशासन खामोश तमाशबीन बना हुआ है.
ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही अंधेरा होता है, पहाड़ों पर धमाकों का सिलसिला शुरू हो जाता है. भारी ब्लास्टिंग से पूरी घाटी कांप उठती है लेकिन न तो खनन विभाग की गाड़ियां दिखती हैं, न पुलिस की मौजूदगी. ब्लास्टिंग के बाद निकले पत्थरों से भरी सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रोलियां खुलकर हरियाणा की ओर रवाना होती हैं. मानो इस इलाके में कानून नाम की कोई चीज बची ही न हो.
सूचना के बाद भी प्रशासन नहीं करता कोई कार्रवाई
सम्मन बास निवासी सचिन मेघवाल बताते हैं कि कई बार उन्होंने अवैध खनन की सूचना प्रशासन को दी. उम्मीद थी कि कार्रवाई होगी लेकिन हुआ वही, जो हमेशा होता है- कागजों में गश्त और जमीन पर माफिया की बादशाहत. वही ग्रामीण सुरेश कुमार का आरोप है कि लीज की आड़ में कई गुना ज्यादा अवैध खनन किया जा रहा है और जिम्मेदार विभागों की चुप्पी अपने आप में सबसे बड़ा सवाल है.
शहर में लगातार गिर रहा भू-जल स्तर
उन्होंने कहा कि माफिया अवैध खनन में सिर्फ पहाड़ नहीं काट रहा है. यह आने वाले समय में हमारी पीढ़ियों के लिए बड़े पर्यावरण संकट की चेतावनी बन रहे है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां भू-जल स्तर लगातार गिर रहा है. जंगल उजड़ रहे हैं और पहाड़ों की तरह सरकारी दावे भी दरक रहे हैं.
खनन माफिया पर तत्काल शिकंजा कसे प्रशासन- ग्रामीण
शनिवार को सम्मन बास में ग्रामीणों ने 'अरावली बचाओ अभियान' के तहत विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि अब बयानबाजी नहीं, कार्रवाई चाहिए. उन्होंने मांग रखी कि खनन माफिया पर तत्काल शिकंजा कसा जाए और उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो जो आंख मूंदकर इस लूट को संरक्षण दे रहे हैं. इस विरोध प्रदर्शन में मनोहरी लाल मेघवाल, बुद्ध सिंह, राजेंद्र, गुड्डू, बिजेंद्र, पूरन, सुरेश राजपूत, सचिन गुर्जर, करण गुर्जर, नेतराम सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल रहे.
स्थानीय ग्रामीण सचिन मेघवान ने कहा कि अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन जागेगा और पहाड़ों को उनकी मौत से बचाएगा या फिर डाबरी की अरावली यूं ही माफिया के हथौड़ों के नीचे दम तोड़ती रहेगी.
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Source: IOCL























