AI और फर्जी कंटेंट की पहचान के लिए राजस्थान पुलिस की हाईटेक तैयारी, अपराध पर लगेगी लगाम
Rajasthan Police: राजस्थान पुलिस साइबर क्राइम और AI अपराधों से निपटने के लिए हाईटेक ट्रेनिंग दे रही है. डीपफेक, वॉइस क्लोनिंग और फर्जी डिजिटल कंटेंट की पहचान सिखाई जा रही है.

राजस्थान पुलिस अब साइबर क्राइम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए होने वाले अपराधों से निपटने के लिए तकनीकी रूप से खुद को मजबूत करने की तैयारी में है. इसके लिए पुलिस अधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है.
राजधानी जयपुर में आज राज्य स्तरीय पुलिस सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें डीजीपी राजीव शर्मा और साइबर क्राइम व AI के एक्सपर्ट्स ने पुलिस अधिकारियों को नई तकनीकों के बारे में जानकारी दी.
AI टूल्स के लिए पुलिस अधिकारियों को दी जा रही ट्रेनिंग
जानकारी के अनुसार, इस ट्रेनिंग कार्यक्रम में अधिकारियों को डीपफेक, फेस स्वैप, वॉइस क्लोनिंग और AI-जनरेटेड फर्जी डॉक्यूमेंट्स जैसे साइबर टूल्स के इस्तेमाल और उनके खतरों के बारे में विस्तार से बताया गया. ट्रेनिंग में बताया गया कि अपराधी AI की मदद से किसी की आवाज, चेहरा और वीडियो को मॉर्फ करके फेक कंटेंट तैयार करते हैं. यह फर्जी वीडियो और ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर किसी की छवि खराब करने, धमकी देने या ब्लैकमेल करने में इस्तेमाल किए जाते हैं.
अब हर जिले की पुलिस होगी हाईटेक तकनीक से लैस
साइबर क्राइम के लगातार बदलते स्वरूप को देखते हुए राजस्थान पुलिस ने यह तय किया है कि अब हर जिले की पुलिस टीमों को हाईटेक तकनीक से लैस किया जाएगा. अधिकारियों को यह सिखाया जा रहा है कि कैसे डिजिटल कंटेंट की जांच कर यह पता लगाया जाए कि वीडियो या ऑडियो असली है या एडिटेड. इसके लिए पिक्सल क्वालिटी, फ्रेम जंप, वॉइस लाइनैरिटी और बैकग्राउंड सिंक जैसे आधुनिक टूल्स का इस्तेमाल किया जाएगा.
ट्रेनिंग में अपराधियों द्वारा AI चैटबॉट्स का दुरुपयोग कर बैंकिंग फ्रॉड, ऑनलाइन ठगी और फर्जी लिंक भेजकर लोगों से पैसे ऐंठने की तकनीक के बारे में भी बताया गया. पुलिस अधिकारियों को सैंपल केस स्टडी, लाइव डेमो और टेक्निकल टेस्टिंग के माध्यम से यह समझाया जा रहा है कि डीपफेक को कैसे फ्लैग किया जाए और फर्जी सामग्री की पहचान कैसे की जाए.
जांच कर तैयार की जाएगी सही रिपोर्ट
पुलिस का मकसद है कि अगर कोई नागरिक फर्जी वीडियो या संदिग्ध डिजिटल कंटेंट के साथ शिकायत करता है, तो तुरंत उसकी जांच कर सही रिपोर्ट तैयार की जा सके और अपराधी तक पहुंचा जा सके. इसके अलावा, ट्रेनिंग में महिलाओं से जुड़े अपराधों पर भी विशेष फोकस रखा गया.
राजस्थान पुलिस का मानना है कि AI आने वाले समय का सबसे बड़ा हथियार और सबसे बड़ा खतरा दोनों है. यही वजह है कि पुलिस अब तकनीकी रूप से खुद को अपग्रेड कर रही है, ताकि भविष्य में साइबर अपराधियों से एक कदम आगे रह सके और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
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