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Padma Awards 2023: पद्मश्री के लिए चुने गए राजस्थान के लक्ष्मण सिंह ने 'चौका तकनीक' से बनाई पहचान, सरकार को लेकर कही ये बात
Rajasthan News: लक्ष्मण सिंह लापोड़िया ने कहा कि हमारा चौका सिस्टम पूरे देश और दुनिया में छाया हुआ है, लेकिन राजस्थान सरकार ने हमें बहुत ज्यादा सपोर्ट न किया. फिर भी हम लगातार काम कर रहे हैं.
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Lakshman Singh Padma Shri Award 2023 Winner: केंद्र सरकार ने जयपुर जिले के दूदू ब्लॉक के लापोड़िया गांव निवासी लक्ष्मण सिंह (laxman singh lapodia) लापोड़िया को पद्मश्री अवॉर्ड देने की घोषणा की गई है. उन्हें ये सम्मान पिछले 40 सालों से पानी बचाने और पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया. लक्ष्मण सिंह लापोड़िया बताते हैं कि एक बार उनका भी अपने काम से दिल टूटने लगा था. दरअसल, इनके काम की सरकार खूब तारीफ करती थी, लेकिन जब काम को आगे बढ़ाने के लिए बात होती तो सरकार मुंह मोड़ लेती थी. पर लक्ष्मण लापोड़िया ने हार नहीं मानी और अपने काम को आगे बढ़ाते रहे. लक्ष्मण सिंह का कहना है कि जब हम जयपुर पढ़ने आए थे तो मुझे समझ आया कि हम जयपुर में आराम से हैं और हमारे गांव में लोग परेशान हैं.
इसलिए गांव में पानी लाने के लिए हमने ठान लिया और अब गांव बदल गया. उस समय हमने गांव में युवकों की टीम 'ग्राम विकास नव युवक मंडल लापोड़िया ' बनाई. इसके बाद लक्ष्मण सिंह ने अपनी दसवीं की पढ़ाई छोड़ दी और गांव के काम में लग गए. लक्ष्मण सिंह का कहना है कि हमारे संगठन की उस जो पैठ बन गई वो अभी भी चल रही है. अगर हमें कोई बुलाता है तब भी, नहीं बुलाता है तब भी हम वहां पर जाते हैं और लोगों को जागरूक करते हैं. पर्यावरण, पानी संरक्षण और गोचर व्यवस्था की बात हम करते हैं. हम चाहते हैं हमारा गांव, हमारा देश और हमारा समाज मजबूत बने. इसके लिए हम लगातार हम काम कर रहे हैं. हम कई और राज्यों में भी काम कर रहे हैं.
जब लक्ष्मण सिंह दिल दूट गया था
हमारे मॉडल को कई और राज्य अपना रहे हैं. भले ही राजस्थान सरकार ने हमें बहुत ज्यादा सपोर्ट न किया हो, लेकिन हमारी यह योजना अलग-अलग राज्य में पसंद की जा रही है. हम लगातार काम कर रहे हैं. एक बार लक्ष्मण सिंह का दिल टूट गया था. उनका कहना है कि सरकारों का कहना होता था कि आपका मॉडल तो बहुत अच्छा है और प्रशंसा भी करते थे, लेकिन हमारे मॉडल को आगे नहीं बढ़ाया.
इसलिए हमारा हौसला और दिल टूटने लगा था. यह भी लगने लगा था कि हम जो काम कर रहे हैं उसे बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ा पाएंगे. हमारे काम को सरकारों ने देखा और समझा, लेकिन इस काम को आगे नहीं बढ़ाया. हम चाहते थे कि हमारा काम पूरे राजस्थान में लागू हो. सरकार ने हमारे काम पर रिपोर्ट लिखा कि यह काम बढ़िया है. वहीं जब काम आगे बढ़ाने की बात हुई तो सरकार ने हाथ खड़े कर दिए. सरकार को धरती नहीं कुर्सी की चिंता रहती है.
चौका सिस्टम को नहीं अपनाया
हमारा चौका सिस्टम पूरे देश और दुनिया में छाया हुआ है, लेकिन राजस्थान की सरकार उसे आगे नहीं बढ़ाना चाहती. जब हमने बताया कि काम को आगे बढ़ाना चाहिए तो सरकारों ने अपने हाथ खड़े कर दिए. वो किसी दल की सरकार रही हो. हम किसी दल की बात नहीं कर रहे हैं. हम बता रहे हैं कि अपने देश में किस तरीके से काम हो रहा है. लक्ष्मण सिंह का यह भी कहना है कि बाड़मेर-जैसलमेर में भी पानी की व्यवस्था ठीक नहीं है. हम चाहते हैं कि वह ठीक हो, लेकिन हमारे मॉडल को सरकार नहीं अपना रही यही दुःख है.
धरती जतन को आगे बढ़ाना है
लक्ष्मण सिंह अब 'धरती जतन अभियान' को आगे बढ़ाना चाहते हैं. पूरे भारत में वृक्षारोपण करके पर्यावरण को मजबूत करना चाहते हैं. पौधों के साथ-साथ जानवरों और जीवों की भी चिंता है. उनका कहना है कि जिस तरह से ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है उससे आने वाले समय में पर्यावरण को नुकसान होगा. राजस्थान ही नहीं पूरे भारत में जिस तरीके से ध्वनि प्रदूषण का विस्तार हो रहा है. इससे पौधे भी परेशान हो रहे हैं और हम चाहते हैं कि ध्वनि प्रदूषण के लिए अब काम किया जाए और सरकार इस पर ध्यान दें.
जनप्रतिनिधियों को काम करना होगा
लक्ष्मण सिंह की भारत सरकार से यही मांग है कि अब पंचायतों के साथ इस अभियान को आगे बढ़ाना चाहिए. सभी जनप्रतिनिधि को इस काम आगे बढ़ाना होगा, क्योंकि यह सारा काम अकेले के बस का नहीं है. लक्ष्मण सिंह को चिंता है पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन से धरती को खतरा बढ़ता जा रहा है. इसके लिए तालाब खोदने और पेड़ लगाने की मुहीम शुरू होनी चाहिए.
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