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विवादों के बीच राजस्थान यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में ज्योतिबा फुले की वापसी, सावरकर भी पढ़ाया जाएगा
राजस्थान यूनिवर्सिटी में बीए फर्स्ट और सेकंड ईयर के पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम में अब फिर से ज्योतिबा राव फुले को पढ़ाया जाएगा. तय हुआ है कि विनायक दामोदर सावरकर को भी पढ़ाया जाएगा.

राजस्थान यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम से समाज सुधारक ज्योतिबा फुले का चैप्टर हटाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया. इसके बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी ने अपना फैसला बदल दिया है. यहां पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम में ज्योतिबा राव फुले को फिर से शामिल किया गया है. हालांकि अब बदले हुए पाठ्यक्रम में ज्योतिबा फुले के साथ बीजेपी व आरएसएस के आदर्श विनायक दामोदर सावरकर को भी पढ़ाया जाएगा.
अहिल्याबाई होलकर के जन्म के 300 साल पूरे होने पर बीजेपी ने हाल में ही पूरे देश में कई दिनों का कार्यक्रम चलाया था. अंग्रेजों से माफी मांगने को लेकर सावरकर का नाम विवादों में रहता है. सियासी कोहराम के बाद पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए यूनिवर्सिटी ने पाठ्यक्रम मंडल की बैठक कराई.
सावरकर को शामिल किए जाने पर विवाद?
इस बैठक में ही यह तय किया गया कि बीए फर्स्ट और सेकंड ईयर के पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम में अब फिर से ज्योतिबा राव फुले को पढ़ाया जाएगा. एम एन राय के पाठ्यक्रम को हटाया जाएगा. उनकी जगह ज्योतिबा राव फुले, अहिल्याबाई होलकर और विनायक दामोदर सावरकर को पढ़ाया जाएगा. हालांकि अब पाठ्यक्रम में सावरकर को शामिल किए जाने पर विवाद हो सकता है.
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पहले ही कहा था कि बीजेपी अब शिक्षा के जरिए देश पर अपनी विचारधारा थोपना चाहती है. उसे देश और समाज के लिए काम करने वाले महापुरुषों से कोई लेना देना नहीं है. वह सिर्फ अंग्रेजों के सामने घुटने टेकने वालों का महिमा मंडन करना चाहती है. पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम से ज्योतिबा राव फुले को हटाए जाने पर काफी विवाद हो रहा था.
स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम को लेकर शिक्षा मंत्री की सफाई
राजस्थान यूनिवर्सिटी द्वारा ज्योतिबा राव फुले को पॉलिटिकल साइंस के पाठ्यक्रम से हटाए जाने का फैसला बदले जाने के बाद अब स्कूली शिक्षा विभाग ने भी अपनी सफाई पेश की है. आदिवासियों के शहीद स्थल मानगढ़ धाम और आदिवासी क्रांतिकारी कालीबाई को पाठ्यक्रम से हटाए जाने पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सफाई दी है और कहा है कि इन्हें पाठ्यक्रम से हटाया नहीं गया था बल्कि नई शिक्षा नीति के तहत बदले गए पाठ्यक्रम में दूसरी जगहों पर समायोजित किया गया.
उनका दावा है कि स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में मानगढ़ धाम और कालीबाई अब भी पाठ्यक्रम में हैं. उन्होंने प्रेस नोट जारी कर उसमें इन पाठ्यक्रमों के स्थान की जानकारी भी दी है. हालांकि प्रेस नोट में लिखा गया है कि इन्हें शामिल किया गया है. पुराना फैसला बदलकर शामिल किया गया है या फिर पाठ्यक्रम में इन्हें पहले से ही जगह मिली हुई थी, यह स्पष्ट नहीं किया गया है.
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